पूर्व RBI गवर्नर उर्जित पटेल का बड़ा बयान, टैरिफ से अर्थव्यवस्था को नुकसान, कटौती की जरूरत
IMF के Executive Director उर्जित पटेल ने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि कोई भी देश हो वह जिससे चाहे जिस कीमत पर चाहे तेल खरीद सकता है. रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत के भुगतान संतुलन को भारी राहत मिली है.

RBI के पूर्व गवर्नर और IMF के नए कार्यकारी निदेशक (Executive Director IMF) उर्जित पटेल ने अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ पर चिंता जताई है. पटेल ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत के 55% निर्यात प्रभावित हो रहे हैं. इस नुकसान को तुरंत कम करने की जरूरत है. उनका कहना है कि भले ही इससे वैश्विक व्यापार का ज्यादातर हिस्सा स्थिर बना हुआ हो लेकिन आने वाले वक्त में इससे निवेश में भारी अनिश्चितता पैदा हो सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में पटेल ने कहा कि जिन भारतीय उत्पादों पर ये टैरिफ लगे हैं, उनमें ज्यादातर उपभोक्ता वस्तुएं हैं. इसे लेकर सरकार काफी एक्टिव है. लेकिन उसे उन क्षेत्रों में मदद करनी होगी जो सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि नए बाजारों की खोज और विदेशी व्यापार समझौतों (FTAs) पर ध्यान देना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि वैश्विक स्तर पर अमेरिका विश्व व्यापार का 13 प्रतिशत हिस्सा है. लेकिन 87 प्रतिशत वैश्विक व्यापार पहले की तरह चल रहा है, इसलिए व्यापार को और बढ़ाने और नए बाजार तलाशने की गुंजाइश है.
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इंटरव्यू के दौरान IMF के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर भी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि कोई भी देश हो वह जिससे चाहे जिस कीमत पर चाहे तेल खरीद सकता है. रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत के भुगतान संतुलन को भारी राहत मिली है. अगर हम ओपन मार्केट से तेल खरीदते तो कीमतें हमारे लिए काफी ज्यादा होती है.
वहीं अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से लगाए जाने वाले टैरिफ पर पटेल ने कहा कि सिर्फ टैरिफ ही नहीं बल्कि उसमें बार-बार बदलाव की संभावना भी निवेश के लिए खतरनाक है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भारत या अमेरिका की बात नहीं है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका असर हो रहा है. दुनिया अब ‘चाइना प्लस वन’ नहीं बल्कि ‘चाइना प्लस वेट’ की तरफ बढ़ रही है.
वहीं, जब उनसे BRICS में भारत की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह संगठन अब ज्यादा समावेशी हो गया है. इसका मकसद किसी का विरोध करना नहीं है. उन्होंने BRICS को न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था जैसी संस्थाओं को जोखिम कम करने वाले प्लेटफॉर्म बताया.
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