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हाई कोर्ट का आदेश था, फिर भी अबॉर्शन के लिए अस्पताल में भटकती रही नाबालिग रेप विक्टिम

MP High Court ने अबॉर्शन का ऑर्डर दिया था. इसके लिए नाबालिग और उसके परिवार वाले अस्पताल में भटकते रहे. बाद में धार की सांसद और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंची. फिर क्या हुआ?

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MP High Court abortion order
इससे पहले, पुलिस पर आरोप लगे थे कि वो केस दर्ज करने की बात टालते रहे. (प्रतीकात्मक फ़ोटो- PTI)
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हरीश
28 मई 2025 (Published: 10:30 AM IST) कॉमेंट्स
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मध्य प्रदेश के धार ज़िला अस्पताल पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. यहां एक 13 साल की रेप विक्टिम कथित तौर पर भटकती रही कि उसका अबॉर्शन (गर्भपात) हो जाए. इस अबॉर्शन का आदेश ख़ुद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने दिया था. लेकिन आरोप है कि अस्पतालकर्मियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.

27 मई की सुबह 11 बजे से ही नाबालिग और उसके परिवार वाले अस्पताल में भटकते रहे. दैनिक भास्कर की ख़बर के मुताबिक़, दोपहर क़रीब दो बजे धार की सांसद और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंची. तब नाबालिग के पिता ने उनसे मदद मांगी. कहा,

हमने क्या ग़लती की थी? हमारी बच्ची के लिए हमें मदद चाहिए…

ऐसे में मंत्री सावित्री ठाकुर ने अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाई और अबॉर्शन के निर्देश दिए. तब जाकर अस्पताल प्रशासन हरकत में आया. क़रीब शाम 4 बजे नाबालिग रेप विक्टिम को इंदौर मेडिकल कॉलेज रेफ़र कर दिया गया.

पुलिस के चक्कर लगाता रहा परिवार

दैनिक भास्कर की ख़बर बताती है कि 13 साल की नाबालिग धार ज़िले के एक गांव की रहने वाली है. क़रीब तीन महीने पहले कुछ बदमाश उसे किडनैप करके अहमदाबाद ले गए. यहां कथित तौर पर उसका रेप किया गया. इसके बाद नाबालिग अपने परिवार के साथ शिकायत करने पहुंची. लेकिन आरोप है कि राजगढ़ और तिरला थानों की पुलिस मामले को ट्रांसफ़र करती रही.

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जब परिवार तिरला थाने पहुंचा, तो उन्हें बताया गया कि घटना राजगढ़ की है. वहीं, जब परिवार ने राजगढ़ में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो उन्हें कहा गया कि मामला तिरला में दर्ज होगा. बाद में कोर्ट ने थक हार कर परिवार ने 7 मई को स्थानीय चीफ़ जुडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट में याचिका दायर की.

कोर्ट के आदेश के बाद नाबालिग का मेडिकल कराया गया. तब पता चला कि उसे ढाई माह का गर्भ है. इसके बाद परिजन ने अबॉर्शन की मंजूरी के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने धार के SP से इस मामले में जवाब मांगा है.

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