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बुलडोजर चला और 35 मिनट में उजड़ गया 35 साल का आशियाना, तैमूर नगर के बाशिंदे बोले- 'परिवार लेकर कहां जाएं'

Taimoor Nagar bulldozers raze homes: राजू वैद्य का घर दक्षिण दिल्ली के तैमूर नगर नाले के सामने था और इस कार्रवाई में गिराए जाने वाले पहले ढांचों में से एक था. वो कहते हैं- 'कम से कम उन्हें हमें रहने के लिए जगह तो देनी चाहिए थी.' लोगों ने और क्या कहा?

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Taimoor Nagar bulldozers raze homes
तैमूर नगर के लोगों ने बुलडोज़र चलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है. (फ़ोटो - PTI)
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हरीश
6 मई 2025 (Updated: 6 मई 2025, 08:46 AM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेश के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) कई इलाक़ों में नालों की सफाई कर रही है. कम से कम आठ बुलडोज़र दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के तैमूर नगर इलाक़े में अवैध निर्माणों को काट और ध्वस्त कर रहे हैं (Bulldozers Raze Homes in Taimoor Nagar).

ये बुलडोज़र जल निकासी लाइन के किनारे बने अनधिकृत मकानों को हटा रहे हैं. ताकि आसपास के नालों की सफाई हो पाए और बरसात के मौसम में भी पानी बहकर सही से जा पाए. लेकिन इस बीच कई स्थानीय लोगों का दर्द भी बाहर आया है, जो दशकों से इलाक़े में रह रहे हैं. लेकिन उनका घर इस कार्रवाई की जद में आ गया है.

राजू वैद्य का घर दक्षिण दिल्ली के तैमूर नगर नाले के सामने था और इस कार्रवाई में गिराए जाने वाले पहले ढांचों में से एक था. वो पास के सर्वोदय विद्यालय में सफाईकर्मी के तौर पर काम करते हैं. सोमवार, 5 मई की सुबह तक राजू वैद्य और उनका परिवार 35 साल पुराना अपना घर खाली कर चुका था. उन्हें सराय काले खां के नज़दीक किराए का मकान मिल गया था. राजू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए कहते हैं,

हम इतने सालों से यहां रह रहे हैं. और अब जब हमें यहां से हटाया जा रहा है, तो हमें बदले में कुछ नहीं मिल रहा है. मैं समझता हूं कि नाले को साफ करने की ज़रूरत है. लेकिन कम से कम उन्हें हमें रहने के लिए जगह तो देनी चाहिए थी.

राजू वैद्य ने आगे कहा,

मैं एक स्कूल में सफाईकर्मी हूं. पहले भी हमारा सिर्फ़ गुजारा ही हो रहा था. अब मकान का भी किराया देना पड़ेगा हर महीने. हम कैसे जिएंगे?

ये भी पढ़ें- 'घर गिराने की जल्दी क्यों थी...' छलका पीड़ितों का दर्द

52 साल के मैदुल अब्दुल अज़ीज़ का घर भी इसी इलाक़े में पड़ता है. उन्हें भी डर है कि कहीं उनका घर भी न ढहा दिया जाए. उन्होंने पूछा,

मैं यहां 45 साल से रह रहा हूं. हमें इस तरह कैसे फेंका जा सकता है? हमें 2013 में दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) ने बपरौला में एक फ्लैट आवंटित किया था. लेकिन उन्होंने हमें आख़िरकार कुछ नहीं दिया. आज वो हमारे घरों को ध्वस्त करने जा रहे हैं. मैं अपने आठ बच्चों और पोते-पोतियों को कहां ले जाऊंगा?

वाल्मीकि झुग्गी के रहने वाले 60 साल के प्रेम पाल ने कहा कि कई निवासी 1990 के दशक से यहां रह रहे हैं. उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उनके घरों का सिर्फ़ एक हिस्सा ही ध्वस्त किया जाएगा. हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए प्रेम पाल कहते हैं,

मेरे परिवार में 10 सदस्य हैं और इतने सारे लोगों के लिए सबसे सस्ते आवास का किराया 7,000 से 10,000 रुपये प्रति माह है. मेरे पास ज़रूरी आय नहीं है. मैं अपने परिवार को कहां ले जाऊंगा?

बताते चलें, दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 मई को नाले के आसपास अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. 2 मई को बारिश और आंधी के बाद दक्षिण दिल्ली समेत राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए थे. कोर्ट ने इसके लिए नाले का बारिश के पानी को नीचे की ओर नहीं बहा पाने को ज़िम्मेदार ठहराया था. क्योंकि अतिक्रमण के कारण ये रुक गए थे.

तैमूर नगर के आसपास ही दो और इलाक़े हैं, महारानी बाग और न्यू फ़्रेंड्स कॉलोनी. महारानी बाग के निवासियों ने कोर्ट में अपनी दलीलें दीं. बताया कि नाले पर अवैध कचरा डंपिंग और अनधिकृत निर्माण के कारण मानसून के दौरान उन्हें भारी बाढ़ का सामना करना पड़ता है.

निवासियों ने बताया कि इससे जल निकासी की क्षमता कम हो जाती है और प्रदूषित पानी महारानी बाग और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी जैसे पॉश इलाकों की सड़कों पर वापस बह जाता है. इसी के बाद कोर्ट ने DDA को नाले के रास्ते में किसी भी तरह की बाधा को हटाने का निर्देश दिया था.

वीडियो: India-Pakistan मैच, भारत विरोधी नारे, Maharashtra में क्यों चला बुलडोजर?

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