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दिल्ली हाईकोर्ट के जज के बंगले में लगी आग बुझाने पहुंची थी फायर ब्रिगेड, कमरे में मिला कैश का भंडार

Delhi High Court के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने से बड़ा खुलासा हुआ है. आग बुझाने के लिए जैसे ही बचावकर्मी उनके एक कमरे के अंदर घुसे, उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला. इसके बाद जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया.

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Delhi High Court judge House Fire huge amount of cash found in the room, SC took action
दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर से मिला भारी मात्रा में कैश (फोटो: आजतक)
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अर्पित कटियार
21 मार्च 2025 (Updated: 21 मार्च 2025, 02:23 PM IST) कॉमेंट्स
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दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के आवासीय बंगले से भारी मात्रा में नकदी बरामद (Delhi High Court Judge Cash) की गई है. दरअसल, जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले (Justice Yashwant Varma) में आग लग गई. उस वक्त वे शहर में मौजूद नहीं थे. घर वालों ने फायर बिग्रेड और पुलिस को सूचना दी. आग बुझाने के लिए जैसे ही बचावकर्मी उनके एक कमरे के अंदर घुसे, उन्हें भारी मात्रा में कैश मिला. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उन्हें दूसरे हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया. 

'ट्रांसफर काफी नहीं…'

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस ने अधिकारियों को सूचित किया. जल्द ही ये खबर आग की तरह आला अधिकारियों तक पहुंच गई. उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को सूचित किया. CJI खन्ना ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया और तुरंत कॉलेजियम बैठक बुलाई. कॉलेजियम ने इस बात पर सहमति जताई कि जस्टिस वर्मा का तुरंत ट्रांसफर किया जाना चाहिए. इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. यहीं से जस्टिस यशवंत वर्मा 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट गए थे.

हालांकि, पांच जजों वाले कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का मानना ​​है कि इस तरह की गंभीर घटना के लिए ट्रांसफर काफी नहीं है. इससे न्यायपालिका की छवि धूमिल होगी और संस्था के प्रति लोगों का विश्वास भी कम होगा. उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए. अगर वे मना करते हैं तो CJI द्वारा इन-हाउस जांच शुरू की जानी चाहिए.

ये भी पढ़ें: 'स्तन पकड़ना रेप के आरोप के लिए काफी नहीं' कहने वाले जज को हटाने की मांग, CJI को लिखी गई चिट्ठी

क्या है इन-हाउस जांच?

बता दें कि संवैधानिक न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ अगर भ्रष्टाचार, गलत काम या अनियमितता के आरोप लगते हैं, तो उनसे निपटने के लिए 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने इन-हाउस जांच की प्रक्रिया शुरू की थी. इसके मुताबिक, शिकायत मिलने पर CJI सबसे पहले जज से जवाब मांगता है. अगर वे जवाब से संतुष्ट नहीं होते हैं या वे इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि मामले की गहन जांच की आवश्यकता है, तो वे इन-हाउस जांच पैनल गठित करते हैं. इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट के एक जज और दो हाईकोर्ट के मुख्य जज शामिल होते हैं.

वीडियो: हाईकोर्ट के जज को हटाने की क्या प्रक्रिया होती है?

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