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छत्तीसगढ़ : शराब घोटाला मामले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे के घर ED का छापा

ED ने कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में Bhupesh Baghel के बेटे Chaitanya Baghel के आवास पर छापा मारा है. आरोप है कि कथित शराब घोटाले के तहत छत्तीसगढ़ में 2019 से 2023 के बीच कमीशन वसूलने और सरकारी शराब की दुकानों को बेहिसाब शराब की आपूर्ति सहित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कुल 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई है.

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भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य के आवास पर ईडी ने छापा मारा है. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)
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आनंद कुमार
18 जुलाई 2025 (Updated: 18 जुलाई 2025, 01:19 PM IST) कॉमेंट्स
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ED ने 18 जुलाई को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित आवास पर नए सिरे से छापेमारी की है. यह कार्रवाई कथित शराब घोटाले से जुड़े मामले में हुई है. ED की टीम तीन गाड़ियों में करीब 6.30 बजे चैतन्य के आवास पर पहुंचीं. और CRPF के सुरक्षा घेरे में उनके घर की तलाशी शुरू की गई.

ED के अधिकारियों ने बताया कि कथित शराब घोटाले में नए सबूत मिलने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट (PMLA) के तहत चैतन्य बघेल के घर की तलाशी ली जा रही है. चैतन्य इस घर में अपने पिता भूपेश बघेल के साथ रहते हैं.

भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर इस मामले की जानकारी दी. उन्होंने लिखा, 

ED आ गई. आज (18 जुलाई) विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है. अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था. भिलाई निवास में 'साहेब' ने ED को भेज दिया है.

ED ने इस साल मार्च में भी चैतन्य बघेल के घर पर छापेमारी की थी. तब केंद्रीय जांच एजेंसी ने चैतन्य बघेल पर कथित शराब घोटाले से अवैध कमाई करने का संदेह जताया था.

क्या है शराब घोटाला मामला?

आरोप है कि कथित शराब घोटाले के तहत छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार ने 2019 से 2023 के बीच 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.  ED के मुताबिक तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इस कथित घोटाले से होने वाली कमाई से हर महीने मोटी नकद रकम दी जाती थी.

आरोपों के मुताबिक शराब की खरीदारी पर डिस्टिलर्स (शराब बनाने वाली कंपनियों) से प्रति केस कमीशन के तौर पर रिश्वत ली जाती थी. यह शराब CSMCL (छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम) द्वारा खरीदी जाती थी. राज्य की सरकारी दुकानों से बिना किसी रिकॉर्ड के कच्ची देशी शराब बेची जाती थी. इस बिक्री से सरकार को एक रुपया भी नहीं मिला. 

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सारा पैसा सिंडिकेट की जेब में गया. डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर उन्हें फिक्स मार्केट शेयर दे दिए जाते थे, ताकि वे एक तरह से कार्टेल बना सकें. साथ ही FL-10A लाइसेंस धारकों से भी विदेशी शराब के धंधे में एंट्री देने के बदले मोटी रकम वसूली जाती थी. इस मामले में ED अब तक करीब 205 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच कर चुकी है. 

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