ममता बनर्जी सरकार की मुस्लिमों वाली नई OBC लिस्ट पर हाई कोर्ट की रोक
कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार की नई ओबीसी लिस्ट के लागू होने पर रोक लगा दी है.

कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High court) ने पश्चिम बंगाल सरकार को बड़ा झटका दिया है. राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने हाल ही में OBC समुदाय की नई लिस्ट जारी की थी. इनमें 76 नई जातियों को शामिल किया गया था. अब कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी की नई OBC सूची को लागू करने पर रोक लगा दी है.
इंडिया टुडे से जुड़े तापस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार, 17 जून को जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि यह रोक केस की अगली तारीख 31 जुलाई तक प्रभावी रहेगी.
हाईकोर्ट का ये फैसला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के OBC सूची को लेकर उठाए गए सवालों के बाद आया है. बीजेपी ने राज्य सरकार पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था और सूची की वैधता पर सवाल उठाए थे.
बंगाल सरकार की OBC सूची पर रोकदरअसल, पिछले साल मई में कलकत्ता हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने साल 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी सभी OBC प्रमाण-पत्रों को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ ममता सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. हालांकि, वहां से भी सरकार को कोई राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और राज्य सरकार से सही प्रक्रिया के तहत नई OBC लिस्ट बनाने को कहा था.
इसके बाद जून 2025 में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों के आधार पर नई सूची तैयार की गई. इसमें 76 अतिरिक्त जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया, जिसे राज्य कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी. इनमें से 74 जातियां ऐसी थीं, जिन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में सूची से बाहर कर दिया था. ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा में इसे लेकर कहा था कि अब उचित प्रक्रिया के बाद इन जातियों को फिर से लिस्ट में शामिल किया गया है.
इसके बाद बंगाल की OBC लिस्ट में जातियों की संख्या 140 हो गई. इनमें 79 जातियां मुस्लिम समुदाय से और 61 गैर-मुस्लिम समुदाय से हैं. यानी, संख्या के लिहाज से OBC लिस्ट में मुस्लिम समुदायों की हिस्सेदारी ज्यादा है. इसी मुद्दे पर विपक्षी पार्टी BJP ममता सरकार पर हमलावर है और उस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है.
हालांकि, ममता सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया और जोर देकर कहा कि केवल सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन ही OBC की लिस्ट में जातियों की पात्रता निर्धारित करता है.
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