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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: HC ने सभी 12 दोषियों को बरी किया, निचली अदालत ने दी थी मौत-उम्रकैद की सजा

Mumbai Train Blast : 11 जुलाई, 2006 को लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का ये फैसला 19 साल बाद आया है. जनवरी 2025 में इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी. तब से कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.

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मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के सभी दोषी बरी हो गए हैं. (इंडिया टुडे, फाइल फोटो)
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आनंद कुमार
21 जुलाई 2025 (Updated: 21 जुलाई 2025, 03:44 PM IST) कॉमेंट्स
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साल 2006 के मुंबई लोकल ब्लास्ट कोट (Mumbai train blast 2006) में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने स्पेशल टाडा कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए सभी 12 दोषियों को बरी कर दिया है. इनमें से 5 को पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि 7 को उम्रकैद मिली थी. हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को निर्दोष करार देते हुे तत्काल जेल से रिहा करने का आदेश दिया है. 12 में से एक दोषी की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. बाकी बचे 11 दोषियों को रिहा किया जाएगा. 

जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस एस. चांडक की बेंच ने अपने फैसले में कहा, 

जो भी सबूत पेश किए गए थे, उनमें कोई ठोस तथ्य नहीं था. दोषियों को टॉर्चर कर अपराध स्वीकार करने पर मजबूर किया गया था.  

इसी के चलते सभी दोषियों को संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने बरी कर दिया. 11 जुलाई, 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का ये फैसला 19 साल बाद आया है. 

जनवरी 2025 में इस मामले की सुनवाई पूरी हुई थी. तब से कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. येरवडा, नासिक, अमरावती और नागपुर जेल में बंद दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश किया गया. हाईकोर्ट ने न सिर्फ दोषियों की अपील को मंजूर किया, बल्कि राज्य सरकार द्वारा मृत्युदंड की पुष्टि के लिए दाखिल याचिका को भी खारिज कर दिया. 

हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत विश्वसनीय नहीं थे. और कई गवाहों की गवाही संदेह के घेरे में थी. कोर्ट ने ये भी कहा कि दोषियों पर जबरन दबाव डालकर उनके बयान लिए गए, जो कानूनी तौर पर मान्य नहीं है.

कोर्ट ने कहा, प्रॉसिक्यूशन पूरी तरह से फेल रहा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि दोषियों के खिलाफ पेश किए गए सबूतों में गंभीर खामियां थीं.दोषियों की पहचान परेड पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि कुछ गवाह सालों तक चुप रहे और फिर अचानक दोषियों की पहचान की, यह असमान्य है. ब्लास्ट के 100 दिन बाद किसी आम व्यक्ति का किसी संदिग्ध को याद रखना स्वाभाविक नहीं है.

बरामद किए गए सबूत पर सवाल उठाए

कोर्ट ने इस केस की जांच के दौरान बरामद बम, हथियार, नक्शे आदि पर भी सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि इन सामग्रियो की बरामदगी को लेकर कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं पेश किया गया. दोषियों की ओर से इस केस की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट युग मोहित चौधरी ने कहा कि यह फैसला उन सभी के लिए उम्मीद की किरण है, जो सालों से न्याय का इंतजार कर रहे हैं. वहीं सरकारी वकील राजा ठाकरे ने भी इस फैसले को 'मार्गदर्शक' बताया है.

मुंबई में 7 जगहों पर हुए थे ब्लास्ट 

11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की लोकल ट्रेन में महज 11 मिनट के भीतर सात अलग-अलग स्थानों पर बम ब्लास्ट हुए थे. इस ब्लास्ट में 189 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 827 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.

इस मामले में महाराष्ट्र ATS ने कुल 13 दोषियों को गिरफ्तार किया था, जबकि 15 लोगों को फरार घोषित किया था. इनमें से कइयों के पाकिस्तानी नागरिक होने का संदेह जताया गया. जांच एजेंसी ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया था. नवंबर 2006 में इस मामले में चार्जशीट दाखिल हुई थी. इसके बाद 2015 में ट्रायल कोर्ट ने 12 दोषियों को दोषी ठहराया. इनमें से 5 को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 7 को उम्रकैद मिली.

बम ब्लास्ट के 12 दोषी कौन हैं?

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट में जिन 12 लोगों को दोषी ठहराया गया था. उनके नाम हैं- कमाल अहमद अंसारी, तनवीर अहमद अंसारी, मोहम्मद फैजल शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, मोहम्मद माजिद शफी, शेख आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, मुजम्मिल शेख, सोहेल महमूद शेख, जामिर अहमद शेख, नावीद हुसैन खान और आसिफ खान.

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