किरोड़ी लाल मीणा, अनिल विज को नोटिस...क्या बागियों पर बीजेपी ने स्ट्रेटेजी बदल दी है?
Delhi Vidhansabha Chunav के नतीजों के बाद BJP ने अपना फोकस अब बागी नेताओं की ओर शिफ्ट कर लिया है. लंबे समय से अपने बयानों से पार्टी को असहज करने वाले Anil Vij और Kirodi Lal Meena जैसे नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी फ्रंटफुट पर है. विरोधियों को चित करने के बाद अब पार्टी बगावती तेवर दिखा रहे नेताओं के खिलाफ एक्शन मोड में आ गई है. लंबे समय से बागी तेवर दिखा रहे कुछ नेताओं को कारण बताओ नोटिस भी दिया गया है. किरोड़ी लाल मीणा और अनिल विज को पार्टी की प्रदेश इकाइयों ने नोटिस जारी किया है. कहा जा रहा है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इनकी गतिविधियों से नाराज़ है. पर सवाल है कि लंबे समय से बागियों पर चुप्पी साधने वाली बीजेपी क्या अपनी रणनीति में बदलाव करने जा रही है. क्या इन नेताओं के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा?
किरोड़ी लाल मीणा को नोटिस क्यों मिला है?किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान बीजेपी के कद्दावर नेता हैं. 6 बार के विधायक हैं. और दूसरी बार मंत्री बने हैं. वर्तमान राज्य सरकार में कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं. संसद के दोनों सदनों में भी एक-एक बार उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं. डॉक्टरी की पढ़ाई भी की है. अपनी साफगोई और उत्तेजित छवि के लिए जाने जाते हैं. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ सड़क से विधानसभा तक मोर्चा बुलंद किया था. कुछ लोग तो गहलोत सरकार के खिलाफ इन्हें बीजेपी की ‘वन मैन आर्मी’ तक कह देते हैं. मीणा छात्रों के मुद्दों पर मुखर रहते हैं. यहां तक कि अपनी पार्टी को भी घेरने से बाज नहीं आते हैं. वसुंधरा राजे से मतभेद के चलते लंबे समय तक पार्टी से बाहर भी रहे हैं.
बीते 6 फरवरी को किरोड़ी लाल मीणा ने एक जनसभा के दौरान अपनी ही सरकार पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा,
मेरी जासूसी हो रही है, मेरे फोन टैप किए जा रहे हैं, पिछली सरकार में भी यही किया गया था, लेकिन मैंने सभी को चकमा दे दिया था, अब फिर से वही हो रहा है. जब से मैंने भ्रष्टाचार के कुछ मामलों को उजागर किया, तबसे सरकार ने मेरी गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी.
किरोड़ी लाल मीणा के इस दावे को विपक्ष ने लपक लिया. कांग्रेस ने राजस्थान विधानसभा में यह मुद्दा उठाया. और इन आरोपों को लेकर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर दी. मीणा के बयान के चलते पार्टी की किरकरी के बाद हाईकमान एक्टिव हुआ. और जेपी नड्डा के निर्देश के बाद राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदन राठौड़ ने 10 फरवरी को उनको कारण बताओ नोटिस जारी किया. नोटिस में कहा गया कि किरोड़ी लाल मीणा ने इस तरह का बयान देकर बीजेपी की बहुमत वाली सरकार की छवि धूमिल की है. इस नोटिस का जवाब देने के लिए उनको तीन दिनों का समय दिया गया.
नोटिस का जवाब देने की आखिरी तारीख को किरोड़ी लाल मीणा ने अपना जवाब प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को भेजा है. और उसकी एक-एक कॉपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भेजी है. किरोड़ी लाल मीणा ने अपने जवाब में लिखा,
मेरा फोन टैप हो रहा है. मुझे इसका इनपुट मिला था. मैंने मीडिया में किसी से भी यह बात नहीं कही. एक सामाजिक कार्यक्रम में अपनी बात रखी थी. जिसे किसी ने वायरल कर दिया. मैंने हमेशा पार्टी के लिए काम किया है. मैं पार्टी का अनुशासित सिपाही हूं.

किरोड़ी लाल मीणा राज्य सरकार में मनचाहा विभाग नहीं मिलने के चलते पहले से ही नाराज चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि अब ट्रांसफर पोस्टिंग में उनकी बात नहीं सुने जाने से खुलकर बगावत के मूड में आ गए हैं. लेकिन बात बस इतनी भर नहीं है. लोकसभा चुनाव के दौरान अपने गृह क्षेत्र दौसा लोकसभा सीट हारने के बाद किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया. मीणा मंत्री पद पर बने रहे. लेकिन नाराजगी जारी रही. उनको मनाने के लिए पार्टी ने दौसा विधानसभा में होने वाले उपचुनाव में उनके भाई जगमोहन मीणा को टिकट दिया. लेकिन वो चुनाव हार गए. भाई की हार के बाद किरोड़ी लाल ने भितरघात का आरोप लगाया. उन्होंने कहा,
हार-जीत एक जोड़ा है, सुख-दुख की तरह. चुनाव हार भी जाते हैं. जीत भी जाते हैं. आपने महाभारत देखा, जैसे अभिमन्यु को घेरकर सब मारते हैं, वैसे मारा गया है.
इंडिया टुडे से जुड़े आनंद चौधरी बताते हैं,
किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान बीजेपी के सबसे सीनियर नेताओं में से हैं. और उन्हें प्रशासनिक तौर पर एक अनुभवहीन नेता के अंदर काम करना पड़ रहा है. साथ ही उनको अच्छा विभाग भी नहीं मिला.
आनंद चौधरी का मानना है कि इस नोटिस के माध्यम से मीणा को अपनी हद में रहने का मैसेज दे दिया गया है. लेकिन बीजेपी किरोड़ी लाल पर एक्शन लेकर मीणा वोटर्स को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती, जो पहले से ही पार्टी से दूर जाते दिख रहे हैं. हालांकि, राजस्थान बीजेपी से जुड़े एक नेता ने बताया कि इस बार पार्टी किरोड़ी लाल मीणा पर ऐक्शन ले सकती है.
अनिल विज के साथ क्या होगा?हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री और सबसे सीनियर विधायक अनिल विज को भी बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पिछले कुछ दिनों से अनिल विज लगातार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बडौली और हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे. जिसके चलते उनको ये नोटिस भेजा गया है. नोटिस में लिखा गया कि आपने पब्लिकली पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी की है. इस प्रकार की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा यह जानते हुए आपने ये बयान दिए और यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बादोली ने 10 फरवरी को विज को यह नोटिस भेजा और तीन दिन के भीतर जवाब मांगा गया है. इस नोटिस के बाद माना जा रहा है कि विज पर कार्रवाई की संभावना प्रबल है.
अनिल विज ने 11 फरवरी को मोहन लाल बादोली के कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया है. यह जवाब 8 पेज का है. विज ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया,
मैं 3 दिन से बाहर था. बेंगलुरु से रात को घर आया. ठंडे पानी से नहाया. रोटी खाई और बैठकर मैंने जवाब दे दिया. मैंने उसमें ये भी लिखा है कि अगर किसी और बात का जवाब चाहिए तो मुझे बता दें. वह भी मैं लिखकर दे दूंगा. जितना मैं याद कर सका. सोच सका. लिखकर दे दिया.
अनिल विज ने अपने जवाब में क्या लिखा है ये बताने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा,
मैंने जो चिट्ठी लिखी, उसे नष्ट किया और कतरनें जेब में रख लिया. इन्हें घर जाकर जला दूंगा.
उन्होंने नोटिस के मीडिया में लीक होने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ये दो लोगों के बीच की सीक्रेट कम्यूनिकेशन थी. इसे लीक कौन कर रहा है? पार्टी चाहे तो इसकी भी जांच करा सकती है.

अनिल विज हरियाणा बीजेपी के सबसे वरिष्ठ नेता हैं. सुषमा स्वराज की खाली की गई सीट से उपचुनाव जीतकर 1990 में पहली बार विधायक बने थे. यानी तबसे विधायक है. जब राज्य में बीजेपी का कोई खास जनाधार नहीं था. 1996 और साल 2000 में निर्दलीय सदन में पहुंचे. फिर 2005 में पार्टी में वापसी हुई. चुनाव हारे. उसके बाद से लगातार विधायक हैं. वर्तमान सरकार में ऊर्जा, परिवहन और श्रम विभाग के मंत्री हैं. साल 2014 में पहली बार हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी. सबसे सीनियर नेता होने के चलते विज खुद को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक दावेदार मान रहे थे.
लेकिन दांव लगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वयंसेवक मित्र मनोहर लाल खट्टर का. विज नाराज हुए. पर पार्टी के फैसले का सम्मान किया. लेकिन रह रहकर इसकी टीस उनके बयानों के जरिए बाहर आती रही. फिर आया 2019 का विधानसभा चुनाव. मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ नाराजगी और पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के बाद एक बार फिर से विज की उम्मीदें जीवंत हो गई. लेकिन फिर से निराशा हाथ लगी. प्रधानमंत्री का अपने मित्र पर भरोसा कायम रहा.
पिछली बार पार्टी लाइन का सम्मान करने वाले अनिल विज का सब्र इस बार जवाब दे गया. और वो रह रहकर सरकार को असहज करने वाले बयान देते रहे. लेकिन आलाकमान और राज्य नेतृत्व ने उनके बयानों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. इस दौरान उनके और खट्टर के बीच कई बार टकराव की स्थिति बनी. एक बार तो विज ने स्वास्थ्य मंत्रालय का काम छोड़ दिया. काफी मान-मनौव्वल हुए तब जाकर 64 दिन बाद विज ने मंत्रालय का काम संभाला.
कुछ महीने सब ठीक चला. फिर नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने की खबर ने विज को फिर से नाराज कर दिया. इस बार उनकी नाराजगी हाईकमान से थी. क्योंकि उनकी उम्मीद बंधी थी कि खट्टर के बाद उनकी ओर देखा जाएगा. अनिल विज की नाराजगी के बीच ही 2024 का विधानसभा चुनाव हुआ. पार्टी को इस बार अप्रत्याशित बहुमत मिला. अनिल विज फिर से जीते. जीत के बाद गाना गाते हुए उनका एक वीडियो वायरल हुआ. गाने के बोल थे- ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया. हर फ्रिक को धुएं में उड़ाता चला गया.’ इसके बाद कयास लगाया गया कि अनिल विज अब पुरानी बातों को धुंए में उड़ा चुके हैं. लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा. नए सरकार में एक बार फिर से उन्होंने बगावती तेवर अपना लिया.
कर्नाटक में भी बागी को नोटिसकर्नाटक में बीजेपी की केंद्रीय अनुशासन समिति ने बीजापुर शहर के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतमल को दूसरा नोटिस जारी किया है. उनको ये नोटिस बीएस येदियुरप्पा के बेटे और राज्य के बीजेपी प्रमुख बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ लगातार हमलावर रहने के चलते दिया गया है. नवंबर 2023 में विजयेंद्र को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था. यतमल तभी से उनका विरोध कर रहे हैं. दिसंबर 2023 में ही उनको पहला नोटिस दिया गया था. यतमल को येदियुरप्पा के धुर विरोधी माने जाने वाले बीएल संतोष का करीबी माना जाता है. वे भी येदियुरप्पा की तरह लिंगायत समुदाय से आते हैं. और ये नहीं चाहते कि येदियुरप्पा के बाद लिंगायत समुदाय के नेता के तौर पर विजयेंद्र स्थापित हों.
क्या पंकजा मुंडे को भी नोटिस जाएगा?किरोड़ी लाल मीणा और अनिल विज की तरह ही महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री पंकजा मुंडे भी पार्टी के खिलाफ बयान बाजी करती दिख रही है. उन्होंने 9 फरवरी को नासिक में स्वामी समर्थ केंद्र के एक कार्यक्रम में कहा,
उनके पिता के समर्थकों के पास इतनी प्रभावी संख्या और ताकत है कि वे अगर इकट्ठा हो जाएं तो पंकजा एक नया राजनीतिक दल बना सकती हैं.
पंकजा मुंडे बीजेपी के कद्दावर नेता रहे गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं. गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र में पार्टी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरा थे. 2014 में एक सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था. अनिल विज और किरोड़ी लाल मीणा की तरह पंकजा मुंडे भी लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रही हैं. जून 2023 में पंकजा मुंडे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था,
मैं बीजेपी की हूं, लेकिन बीजेपी मेरी थोड़ी ही है. अगर कुछ नहीं मिला तो खेत में गन्ना काटने चली जाऊंगी.
इसके बाद पंकजा मुंडे को 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी परंपरागत बीड सीट से लोकसभा का टिकट मिला. लेकिन NCP (शरद पवार गुट) के बजरंग सोनवाने ने उनको हरा दिया. 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया था. वर्तमान में पंकजा मुंडे MLC हैं. और महाराष्ट्र सरकार में एनिमल हसबैंड्री और पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी है.

गोपीनाथ मुंडे का कद महाराष्ट्र बीजेपी में काफी बड़ा था. नितिन गड़करी को छोड़ दे तो महाराष्ट्र में कोई भी नेता उनके मुकाबले में नहीं था. लेकिन उनके निधन के बाद पंकजा को पार्टी में वो हैसियत हासिल नहीं हुई, जिसकी उम्मीद उन्होंने लगा रखी थी. साल 2014 में बीजेपी की सरकार बनी, मुख्यमंत्री बने देवेंद्र फडणवीस. पंकजा मुंडे को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इस दौरान उन पर चिक्की घोटाले का आरोप भी लगा. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पंकजा मुंडे बीड के परली से विधानसभा चुनाव हार गईं. हार के बाद उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं पर अपने खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. 14 अप्रैल 2023 को GST अधिकारियों ने पंकजा मुंडे के मालिकाना हक वाली एक चीनी फैक्ट्री पर छापा मारा. छापेमारी के बाद पंकजा ने बयान दिया,
GST अधिकारियों ने उन्हें बताया कि इसके लिए उनको ऊपर से आदेश था.
उनका इशारा देवेंद्र फड़णवीस की तरफ था. इसके बाद भी कई बार पंकजा परोक्ष तौर पर फड़णवीस पर निशाना साध चुकी हैं. लेकिन फड़णवीस ने कभी सार्वजनिक तौर पर उनका प्रतिकार नहीं किया. उनका कहना है वो वे पंकजा को बहन मानते हैं. लेकिन उन पर आरोप लगता है कि गोपीनाथ मुंडे की गैर हाजिरी में वो भाई वाली भूमिका में नजर नहीं आए.
बीजेपी हाईकमान क्या करने वाला है?नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बीजेपी में सेंटर स्टेज पर आने के बाद से बीजेपी की छवि ऐसी पार्टी की बनी है जिसके बड़े से बड़े नेता दिल्ली के फैसले को सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं. लेकिन अनिल विज, किरोड़ी लाल मीणा और पंकजा मुंडे लंबे समय से पार्टी को असहज करने वाले बयान दे रहे थे. लोकसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण बीजेपी आलाकमान इन पर कार्रवाई का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में जीत मिलने के बाद एक बार फिर से बीजेपी का जोश हाई है.
अब सवाल ये उठता है कि क्या किरोड़ी लाल मीणा, अनिल विज और बसनगौड़ा पाटिल की तरह पंकजा को भी बीजेेपी नोटिस जारी कर सकती है. इन नेताओं पर कार्रवाई की संभावना को इस बात से भी बल मिलता है कि इन राज्यों में निकट भविष्य में चुनाव नहीं होने हैं. और इनमें से कोई भी नेता राज्य में अपनी सरकार को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं है. ऐसे में पार्टी इन पर कार्रवाई के माध्यम से ये संदेश दे सकती है कि आलाकमान के खिलाफ किसी भी असहमति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
हालांकि, इससे पहले सत्यपाल मलिक और वरुण गांधी के मामलों में कार्रवाई ना करते हुए भी उन्हें हाशिए पर ढकेल चुकी है. दोनों ही नेताओं ने पार्टी में रहते हुए पार्टी पर तीखे हमले किए. लेकिन बीजेपी ने इन्हें जवाब तक नहीं दिया. समय के साथ दोनों नेताओं की प्रासांगिकता घटती चली गई लेकिन बीजेपी को कोई खास फर्क नहीं पड़ा. हालांकि, विज और मीणा को नोटिस देने के बाद ऐसे कहा जा रहा है कि इस बार बीजेपी बक्शने के मूड में नहीं है. देखना होगा कि बात सिर्फ नोटिस तक ही सीमित रहती है या पार्टी कोई सख्त कदम भी उठाएगी.
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