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मां-बेटे का कारनामा, 3 युद्ध में इस्तेमाल हुए IAF की हवाई पट्टी ही बेच दी!

Airforce Airstrip Sold By Mother Son: मामले का खुलासा पहली बार तब हुआ जब रिटायर्ड रेवेन्यू ऑफिसर निशान सिंह ने शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 2021 में हलवारा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर जांच की मांग की. जांच में देरी और कोई एक्शन न होने की वजह से निशान सिंह ने हाईकोर्ट का रुख किया.

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Airforce Airstrip Sold By Mother Son Duo 28 Years Back, Used In World War II And Wars Against Pakistan
हाईकोर्ट की जांच पर शुरू हुई थी जांच. (प्रतीकात्मक फोटो)
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रिदम कुमार
1 जुलाई 2025 (Updated: 1 जुलाई 2025, 01:48 PM IST) कॉमेंट्स
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पंजाब के रहने वाले एक मां-बेटे ने फर्ज़ीवाड़े और धोखाधड़ी की नई मिसाल कायम की है. फर्ज़ी तरीक़े से आपने कई तरह की चीज़ें बिकती देखी होंगी. लेकिन इन मां बेटों ने तो एयरफोर्स की हवाई पट्टी ही बेच डाली. वो भी कोई आम हवाई पट्टी नहीं, बल्कि वो हवाई पट्टी जिसका इस्तेमाल 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में लैंडिंग ग्राउंड के तौर पर किया गया. मां-बेटे के इस फर्जीवाड़े में साथ दिया रेवेन्यू अधिकारियों ने. अब जाकर हाईकोर्ट के दख़ल और विजिलेंस की जांच के बाद दोनों के ख़िलाफ FIR दर्ज की गई है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक, यह हवाई पट्टी पंजाब के फिरोज़पुर जिले के फत्तूवाला गांव में है. यह गांव पाकिस्तान से सटे बॉर्डर के बेहद नज़दीक है. इस ज़मीन को 1945 में ब्रिटिश शासन ने दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान रॉयल एयर फोर्स के लिए अधिग्रहित किया था. बाद में यह ज़मीन भारतीय वायुसेना के अधीन आ गई. 

साल 1997 में डुमनी वाला गांव की रहने वाली उषा अंसल और उसके बेटे नवीन चंद ने इसे फर्ज़ी तरीक़े से बेच दिया. दोनों ने पहले तो ज़मीन पर मालिकाना हक़ जताया. अधिकारियों के साथ मिलकर रेवेन्यू रिकॉर्ड में घालमेल किया. इसके बाद फर्ज़ी दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मीन को बेच दिया. 

ऐसे हुआ मामले का खुलासा

मामले का खुलासा पहली बार तब हुआ जब रिटायर्ड रेवेन्यू ऑफिसर निशान सिंह ने शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 2021 में हलवारा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को पत्र लिखकर जांच की मांग की. जांच में देरी और कोई एक्शन न होने पर निशान सिंह ने हाईकोर्ट का रुख किया. 

कोर्ट को बताया गया कि ज़मीन के मूल मालिक मदन मोहन लाल की 1991 में मौत हो गई थी. 1997 में उसकी मौत के 6 साल बाद ज़मीन की बिक्री के फर्ज़ी डॉक्यूमेंट तैयार किए गए. लेकिन वायुसेना ने कभी इस ज़मीन को नहीं बेचा था. इसके बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो (PVB) के चीफ डायरेक्टर को आरोप की जांच करने का आदेश दिया था. 

हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

विजिलेंस ने 20 जून को जांच की रिपोर्ट दायर की. इसी के आधार पर मां-बेटे के ख़िलाफ FIR दर्ज की गई. हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को शिकायत मिलने के बावजूद कुछ न करने के लिए फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने इसे नेशनल सिक्योरिटी के लिए संभावित खतरे की नज़र से देखा.

जस्टिस हरजीत सिंह बराड़ ने अपने आदेश में पंजाब विजिलेंस के चीफ डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से आरोपों की जांच करने और जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करने को कहा है. उन्हें चार हफ़्तों में जांच पूरी करने को कहा है. 

हाईकोर्ट की फटकार और जांच के बाद मई 2025 में ज़मीन को औपचारिक रूप से फिर रक्षा मंत्रालय को सौंप दिया गया. पंजाब प्रशासन ने भी अपनी रिपोर्ट में माना कि यह ज़मीन अब भी रिकॉर्ड में वैसी ही है जैसी 1958-59 में थी और उस पर वायुसेना का ही कब्ज़ा है.

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