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भारत करेगा हाइपरसॉनिक क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण, पाकिस्तान के आखिरी शहर तक होगी रेंज

ये एक Hypersonic Missile है. ये आवाज की रफ्तार से 5 गुना तेज रफ्तार से ट्रैवल करती है.

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DRDO से हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण 2020 में किया था. (फोटोः PTI)
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मानस राज
6 जून 2025 (Published: 09:47 AM IST) कॉमेंट्स
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रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (DRDO) जल्द ही एक हाइपरसॉनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) का परीक्षण करने जा रहा है. ये एक एक्सटेंडेड ट्रैजेक्ट्री - लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसॉनिक क्रूज़ मिसाइल (ET-LDHCM) है. प्रोजेक्ट विष्णु (Project Vishnu) के तहत बनी ये मिसाइल भारत की सबसे उन्नत हाइपरसॉनिक मिसाइल होगी. तो समझते हैं कि क्या है इस मिसाइल की खासियत, और इसके बनने से क्यों पाकिस्तान और चीन के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ सकती हैं.

जैसाकि इसके नाम से जाहिर है, ये मिसाइल एक हाइपरसॉनिक मिसाइल है. यानी आवाज की रफ्तार से 5 गुना तेज रफ्तार से ट्रैवल करती है. आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी रफ्तार 11 हजार किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है. यानी ये एक सेकेंड में लगभग 3 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. इस वजह से दुश्मन के एयर डिफेंस जब तक ये समझेंगे कि खतरा क्या है, ये तब तक टारगेट तक पहुंच चुकी होगी. जहां तक बात है रेंज की, इस मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर होगी. इस वजह से चीन का एक बहुत बड़ा हिस्सा इसकी जद में होगा. पाकिस्तान के संदर्भ में देखें तो ये मिसाइल कराची, रावलपिंडी को पार कर क्वेटा तक पहुंच सकती है.

मिसाइल में ईंधन को जलाने और जरूरी थ्रस्ट पैदा करने के लिए स्क्रैमजेट इंजन की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ये वो तकनीक है जिसमें हवा से ऑक्सीजन लेकर ईंधन को जलाया जाता है. यही वजह है कि ये मिसाइल हाइपरसॉनिक स्पीड पर उड़ सकती है. 2025 में DRDO ने स्क्रैमजेट इंजन का सफल ग्राउंड परीक्षण किया था. इस परीक्षण के दौरान 1 हजार सेकेंड तक ये इंजन एक्टिव रहा.

इस मिसाइल की एक खासियत जो सबसे अहम है वो है रडार से बचने की इसकी क्षमता. चूंकि यह लो-एल्टिट्यूड पर उड़ती है इसलिए रडार इन्हें आसानी से डिटेक्ट नहीं कर पाते. अगर वो ट्रैक कर भी ले तो भी ये बीच हवा में रास्ता बदल लेती है. इससे एयर डिफेंस सिस्टम्स की मिसाइल्स कन्फ्यूज होकर टारगेट मिस कर देती हैं.

इस मिसाइल के ऊपर एंटी-ऑक्सीजन और एंटी-हीट कोटिंग की गई है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि तेज रफ्तार में होने पर मिसाइल की ऊपरी सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है. कभी-कभी ये 2 हजार डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. अगर इनकी ऊपरी सतह को कुछ हुआ तो मिसाइल बीच हवा में फट जाएगी. इसी चिंता को ध्यान में रख कर इस पर एंटी-हीट कोटिंग लगाई गई है. प्रोजेक्ट विष्णु की पूरी टाइमलाइन देखें तो 2020 से अबतक भारत ने कई कीर्तिमान हासिल किए हैं. 

  • 2020: DRDO ने पहली बार हाइपरसॉनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का टेस्ट किया. इस दौरान मिसाइल ने 7500किलोमीटर/प्रति घंटा की रफ्तार हासिल की. 
  • 27 जनवरी, 2024: ओडिशा के तट पर दूसरी बार HSTDV का दूसरा टेस्ट हुआ. इसके परिणाम कभी पब्लिक नहीं किए गए. 
  • 16 नवंबर 2024: DRDO ने ET-LDH-CM का पहला परीक्षण किया. 
  • 2025: एक बार फिर से परीक्षण करने जा रहा DRDO.

भविष्य का वॉरफेयर ऐसे हथियारों के इर्द-गिर्द ही है जो लंबी दूरी तय कर सकें. मसलन मिसाइल्स और ड्रोन्स जैसे बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) ही भविष्य में जंग जीतेंगे. ऐसे में भारत की हाइपरसॉनिक मिसाइल तकनीक न सिर्फ देश को नई ताकत देगी. बल्कि आने वाली चुनौतियों से भी निपटने में बेहतर साबित होगी.

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