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भैरव कमांडो, रूद्र ब्रिगेड, ड्रोन यूनिट्स: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना में बड़े बदलाव की तैयारी

Indian Army का लक्ष्य हर यूनिट के अंदर एक ऐसी Platoon तैयार करना है जो खास तौर पर Drones को हैंडल करेगी. सेना की हर यूनिट को निर्देश दिए गए हैं कि एक ऐसा स्ट्रक्चर बनाया जाए जिसमें कुछ चुनिंदा Soldiers को सिर्फ Drone Warfare के लिए इस्तेमाल किया जाए.

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after operation sindoor army goes under major overhaul inducts drone units rudra brigade and bhairav commando
सेना में ड्रोन के अलाव एक नई कमांडो यूनिट बनाई जाएगी (PHOTO-AajTak)
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मानस राज
4 अगस्त 2025 (Updated: 4 अगस्त 2025, 12:31 PM IST) कॉमेंट्स
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ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में ड्रोन्स (Drone Warfare) के इस्तेमाल को देखने के बाद इंडियन आर्मी में एक बड़ा बदलाव किया गया है. इन बदलावों को देखें तो सबसे बड़ा इस्तेमाल ड्रोन्स को लेकर हुआ है. अब सेना की रेजिमेंट्स में अलग-अलग यूनिट्स में स्टैंडर्ड तौर पर ड्रोन्स को भी इशू किया जाएगा. इसके अलावा भी सेना में कुछ नई यूनिट्स का गठन भी किया जा रहा है. इसके तहत भैरव कमांडो बटालियन (Bhairav Commando), इंटीग्रेटेड ब्रिगेड्स (Integrated Brigades) और आर्टिलरी माने तोप वाली रेजिमेंट में दिव्यास्त्र बैटरी लाने पर काम चल रहा है.

भविष्य की लड़ाई के लिए तैयार इंडियन आर्मी

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट किया है कि सेना में नई तरह की बटालियन और ब्रिगेड्स के गठन का काम काफी समय से चल रहा है. भविष्य के वॉरफेयर को देखते हुए सेना को ऐसे हथियार और ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे वो हमेशा दुश्मन से एक कदम आगे रहें. ऑपरेशन सिंदूर के बाद इन बदलावों में और भी तेजी आई है. इस ऑपरेशन से जो चीजें सीखने को मिली हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए ये सारे बदलाव किए जा रहे हैं.

इन बदलावों का सबसे अहम हिस्सा सेना में एक नई ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम माने ड्रोन को रोकने वाले सिस्टम्स को इंफेंट्री (पैदल सेना) बटालियंस में शामिल करना है. इसके अलावा इन्हें आर्मर्ड और आर्टिलरी (तोप) रेजिमेंट्स में भी शामिल किया जाएगा. फिलहाल सेना में जो बटालियंस ड्रोन का इस्तेमाल कर रही हैं, वो इसे सेकेंड्री हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं. यानी इन बटालियंस में जरूरत के हिसाब से ड्रोन सिस्टम्स का इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से सैनिक ड्रोन्स के इस्तेमाल को कभी भी अपने पहले एक्शन के तौर पर नहीं लेते. लेकिन अब हर सैनिक ड्रोन और काउंटर ड्रोन ऑपरेट करने में माहिर हो, इसका ध्यान रखा जाएगा.

सेना का लक्ष्य हर यूनिट के अंदर एक ऐसी प्लाटून (सेना की छोटी ईकाई जिसमें 30-32 सैनिक होते हैं) तैयार करना है जो खास तौर पर ड्रोन्स को हैंडल करेगी. सेना की हर यूनिट को निर्देश दिए गए हैं कि एक ऐसा स्ट्रक्चर बनाया जाए जिसमें कुछ चुनिंदा सैनिकों को सिर्फ ड्रोन वॉरफेयर की ट्रेनिंग दी जाए. इंफेंट्री रेजिमेंट्स में फिलहाल प्लाटून और कंपनी (एक कंपनी में 120 सैनिक) के स्तर पर सर्विलांस ड्रोन्स को शामिल किया जाएगा. इसके लिए अलग-अलग यूनिट्स से लगभग 70 जवानों को इस काम के लिए नियुक्त किया जाएगा. साथ ही कुछ अन्य सैनिकों की जिम्मेदारियों में बदलाव करने की भी जरूरत होगी. यानी हर सैनिक को कम से कम इतनी ट्रेनिंग दी जाएगी, कि वो ड्रोन जैसी चीजों को हैंडल कर सकें.  

भैरव और रूद्र कमांडो बटालियन की शुरुआत 

इंडियन आर्मी ने अपनी स्ट्राइक करने की क्षमता को और घातक बनाने के लिए भैरव नाम की एक कमांडो यूनिट का गठन किया है. इंडियन आर्मी फिलहाल भैरव कमांडो फोर्स की 30 बटालियन का गठन करने जा रही है. हर बटालियन में लगभग 250 कमांडो होंगे. इन कमांडोज़ को हमला करने, दुर्गम इलाकों में ऑपरेट करने के लिए खासतौर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा. साथ ही इन्हें उन्नत हथियार और गियर्स से भी लैस किया जाएगा. अभी तक सेना में पैराशूट रेजिमेंट की स्पेशल फोर्स (Para SF) या सेना की घातक प्लाटून्स ऐसे ऑपरेशंस को अंजाम देती हैं.

सूत्रों के मुताबिक हर इंफेंट्री के रेजिमेंटल सेंटर को ये निर्देश दिया गया है कि भैरव कमांडो बटालियन पर काम शुरू करें. रेजिमेंटल सेंटर्स को ये निर्देश दिया गया है कि एक महीने के अंदर इन कमांडोज़ को ऑपरेशनल स्तर पर तैयार कर लिया जाए. इसके अलावा इंडियन आर्मी ने रूद्र ब्रिगेड के गठन का भी फैसला लिया है. इस ब्रिगेड में हर तरह की रेजिमेंट के सैनिक होंगे जो ड्रोन के अलावा सभी उन्नत गियर्स से लैस होंगे. ये एक तरह की इंटीग्रेटेड यूनिट होगी जिसमें इंफेंट्री, आर्मर्ड और आर्टिलरी; तीनों अंगों के सैनिक शामिल होंगे. इससे ये फायदा भी होगा कि अलग-अलग खूबियों वाले सैनिक एक साथ काम करेंगे.

आर्टिलरी में दिव्यास्त्र

आर्टिलरी रेजिमेंट में भी तोपों की संख्या में बदलाव किया जाएगा. हर यूनिट में कम से कम दो बैटरियां (एयर डिफेंस या तोप का लॉन्चिंग सिस्टम) और जोड़ने के साथ-साथ निगरानी और लड़ाकू ड्रोन से लैस एक तीसरी ड्रोन बैटरी जोड़ने पर विचार किया जा रहा है. वर्तमान में, हर आर्टिलरी रेजिमेंट में तीन बैटरियां हैं. हर बैटरी में छह तोपें होती हैं. इसके अलावा दिव्यास्त्र आर्टिलरी बैटरियां अगली पीढ़ी की लंबी दूरी की तोपों और लोइटरिंग हथियारों (सुसाइड ड्रोन्स) से लैस की जा रही हैं जो निगरानी करने, दुर्गम इलाकों में टारगेट्स की पहचान करने, और उन पर हमला करने में सक्षम हैं. 

इसके अलावा निगरानी को बढ़ाने के लिए भी उन्नत सिस्टम के इस्तेमाल की बात सामने आ रही है. सुरंग का पता लगाने, जासूसी मिशंस और किसी एरिया की मैपिंग के लिए हर कंपनी में एक ड्रोन यूनिट शुरू करके Electronics and Mechanical Engineers (EME) रेजिमेंट में भी बदलाव करने की योजना पर भी चर्चा की जा रही है. EME वो रेजिमेंट है जो सेना द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों के मेंटेनेंस और रखरखाव के लिए जिम्मेदार है. यानी कुल मिलाकर देखें तो भविष्य के वॉरफेयर को देखते हुए इंडियन आर्मी की लगभग हर यूनिट में मूलभूत बदलाव किए जा रहे हैं. साल 2025 की शुरुआत में ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि ये साल सेनाओं के लिए रिफॉर्म्स यानी सुधारों का साल है. ये सारे सुधार रक्षा मंत्री की उसी पहल का हिस्सा हैं.

वीडियो: रखवाले: ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन का इस्तेमाल कैसे हुआ, एयरफोर्स ऑफिसर ने सब बता दिया

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