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मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल में 6 महीने तक बढ़ा AFSPA, देश में सबसे पहले कहां लागू हुआ था ये कानून?

केंद्र सरकार ने Manipur, Nagaland और Arunachal Pradesh में AFSPA छह महीने के लिए बढ़ा दिया. AFSPA सेना को खास पावर देता है, जैसे गिरफ्तारियां, तलाशी, और फोर्स का इस्तेमाल. भारत में AFSPA सबसे पहले कब लगा? यहां पढ़ें.

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AFSPA in Manipur
Manipur में 13 थानों को छोड़कर पूरे राज्य में AFSPA लागू. (PTI)
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मौ. जिशान
30 मार्च 2025 (Updated: 30 मार्च 2025, 07:52 PM IST) कॉमेंट्स
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केंद्र सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट में सुरक्षा के मद्देनजर मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. गृह मंत्रालय ने रविवार को गजट जारी करते हुए यह जानकारी दी. मणिपुर के 13 थानों को छोड़कर पूरे राज्य में AFSPA लागू रहेगा. केंद्र सरकार ने इन राज्यों में कानून और व्यवस्था की समीक्षा करने के बाद ये फैसला किया है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक यहां AFSPA लागू रहेगा.

केंद्र सरकार ने आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट, 1958 (AFSPA) (1958 के 28) के सेक्शन 3 की पावर का इस्तेमाल करते हुए मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों को 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया है, जहां AFSPA लगाया गया है. मणिपुर में लंबे समय से हिंसा चल रही है. गृह मंत्रालय ने इसके 13 थानों को छोड़कर सभी जगह AFSPA लगा दिया है.

इंडिया से जुड़े अमित और जितेंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन वाले मणिपुर में इन थाना क्षेत्रों को AFSPA के दायरे से बाहर रखा है.

क्र.सं.पुलिस थानाजिला
1.इंफालइंफाल पश्चिम
2.लाम्फेल
3.सिटी
4.सिंगजामेई
5.पाटसोई
6.वांगोई
7.पोरोम्पैटइंफाल पूर्व
8.हिंगांग
9.इरिलबंग
10.थौबलथौबल
11.बिष्णुपुरबिष्णुपुर
12.नामबोल
13.काकचिंगकाकचिंग

नागालैंड की बात करें तो सरकार ने 1 अक्टूबर 2024 को राज्य के 8 जिलों और 5 अन्य जिलों के 21 पुलिस थानों को छह महीने के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया था. सरकार ने ताजा समीक्षा के तहत इन क्षेत्रों में अगले छह महीने तक AFSPA को बरकरार रखा है.

नागालैंड के दिमापुर, निउलैंड, चुमुकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों में AFSPA लागू रहेगा. इसके अलावा, खुजामा जिले के कोहिमा-उत्तर, कोहिमा-दक्षिण, जुबजा और केजोचा थाने; मोकोकचुंग जिले के मांगकोलेंबा, मोकोकचुंग-I, लोंगथो, तुली, लोंगचेम और अनाकी ‘सी’ थाने; लोंगलेंग जिले में यांगलोक थाने; वोखा जिले के भंडारी, चांमपांग और रालान थाने; और जुनहेबोटो जिले के घटासी, पुघोबोटो, सताखा, सुरूहुतो, जुनहेबोटो और अघुनाटो थाने में भी AFSPA बरकरार रहेगा.

अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लांगडिंग जिलों में AFSPA छह महीने के लिए लागू रहेगा. इसके अलावा, असम के बॉर्डर से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसई जिले के नामसई, महादेवपुर और चौखम पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में भी AFSPA लागू रहेगा. 1 अप्रैल 2025 से छह महीने तक इन क्षेत्रों में AFSPA लागू रहेगा, और अगर सरकार को सही लगता है तो छह महीने से पहले भी इसे हटाया जा सकता है.

AFSPA क्या है?

AFSPA की धारा-3 केंद्र सरकार या राज्य के गवर्नर को ये शक्ति देती है कि अगर उन्हें किसी राज्य या राज्य के किसी स्थान विशेष के हालात इस हद तक चिंताजनक, असामान्य और ख़तरनाक लगते हैं कि उन्हें वहां आर्म्ड फोर्सेज़ के इस्तेमाल की नौबत लगे, तो वे उस क्षेत्र विशेष या पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र का दर्ज़ा दे सकते हैं, जहां केंद्र सरकार AFSPA लगाती है. अगर किसी क्षेत्र में AFSPA लागू रहता है, तो वहां AFSPA के तहत, सेना को विशेष शक्तियां दी जाती हैं जब वे किसी अशांत क्षेत्र में काम कर रहे होते हैं.

AFSPA में मिलने सेना की शक्तियां-

  • अगर कोई व्यक्ति कानून या आदेश का उल्लंघन कर रहा हो, तो सेना के अधिकारी उस व्यक्ति पर बल प्रयोग कर सकते हैं, यहां तक कि उसे मार भी सकते हैं, अगर यह सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी हो.
  • सेना किसी भी सशस्त्र हमले से बचाव के लिए हथियारों, विस्फोटकों या अन्य स्ट्रक्चर को नष्ट कर सकती है, जो किसी सैन्य हमला के लिए तैयार या इस्तेमाल में लाया जा रहा हो.
  • सेना बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है अगर उसे शक हो कि व्यक्ति ने कोई संज्ञेय अपराध किया है या वो करने वाला है.
  • सेना बिना वारंट के किसी भी जगह पर तलाशी ले सकती है अगर यह शक हो कि वहां कोई चोरी की संपत्ति, हथियार, गोला-बारूद या विस्फोटक रखा गया है.
  • गिरफ्तारी के बाद पुलिस को सौंपना: किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद सेना को उसे नजदीकी पुलिस थाने के अधिकारी के पास जल्द से जल्द सौंपना होता है.

बचाव: AFSPA के तहत काम करने वाले अधिकारियों को किसी भी कानूनी कार्रवाई से सुरक्षा हासिल होती है, जब तक कि केंद्रीय सरकार से पहले इजाजत ना मिल जाए.

1960 में एक संशोधन के बाद AFSPA के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया गया था. इस कानून के तहत सेना को खास अधिकार दिए जाते हैं. इसके साथ यह भी देखा जाता है कि गिरफ्तारियों और अन्य कार्रवाईयों को सही ढंग और तय प्रक्रियाओं के तहत किया जाए.

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सबसे पहले कब लगा AFSPA?

अगर आप सोच रहे हैं कि AFSPA को जम्मू-कश्मीर के लिए लाया गया तो आप गलत हैं. दरअसल, AFSPA सबसे पहले 1958 में नागा हिल्स (नागालैंड) के लिए लाया गया था. नागा गुटों के विद्रोह को दबाने के लिए भारतीय सेना को अलग से अधिकार देने की जरूरत महसूस हुई. नागा गुटों, खासकर नागा फेडरल आर्मी (NFA) की भारत से आजादी की मांग और उनकी छापामार रणनीतियों की वजह से यह फैसला लिया गया.

नागा इलाकों के पहाड़ों और जंगलों में नागा गुट से छापामार लड़ाई जीतना बेहद मुश्किल था. कई इलाकों के तो नक्शे भी नहीं थे. फौज भेजने के दो साल बीतने के बाद भारत सरकार का सब्र कुछ टूटा और तय किया गया कि फौज को नागा गुटों के Chutzpah (हुत्सपा भयंकर दुस्साहस) से निपटने के लिए ज्यादा अधिकारों की जरूरत है. 1958 में हुत्सपा के जवाब में AFSPA लाया गया. नागा हिल्स (नागालैंड) के लिए लाया गया था. AFSPA के आने के बाद नागा गुटों पर दबाव बढ़ा, तो नागा नेशनल काउंसिल (NNC) के अंगामी ज़ापू फिज़ो 1960 में पूर्वी पाकिस्तान छोड़कर लंदन चले गए.

 

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