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'झूठ नहीं बोलना चाहिए...', 5 साल के बेटे की गवाही ने पत्नी के मर्डर केस में पिता को जेल भिजवाया

कोर्ट में मामले के पांच गवाह अपनी बातों से पलट गए. मृतका का भाई इस मामले का मुख्य शिकायतकर्ता था, वो भी अपनी गवाही से पलट गया. लेकिन आरोपी के 5 साल का बेटा अडिग रहा. दूसरे पक्ष ने कोर्ट में उसे तोड़ने की कोशिश की. लेकिन अंत में उसकी गवाही से पिता को आजीवन कारावास की सजा दिलाई.

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UP Aligarh Wife Murder Case
दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
16 जुलाई 2025 (Published: 11:41 AM IST) कॉमेंट्स
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अखिलेश नाम के एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप था. मुख्य शिकायतकर्ता समेत पांच गवाह अपनी बातों से मुकर गए थे. इसके कारण मामला आरोपी के पक्ष में जा रहा था. लेकिन फिर कठघरे में गवाही के लिए पेश हुआ उसका पांच साल का बेटा. बच्चे की गवाही से न सिर्फ पिता को आजीवन कारावास की सजा मिली बल्कि उसने अपनी बातों से सबका ध्यान खींचा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे ने कोर्ट में कहा,

मुझे पता है कि सच बात बोलनी चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए. झूठ बोलने से भगवान नाराज हो जाते हैं…

क्या है पूरा मामला?

मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के गभाना इलाके का है. 10 फरवरी 2022 को 32 साल की सावित्री अपने घर में मृत पाई गई थीं. उनके ससुराल वालों ने मृतका के भाई राम अवतार को बताया कि उनकी बहन ने आत्महत्या कर ली है. पुलिस जब मौके पर पहुंची, तब शव जमीन पर पड़ा था. 

राम अवतार ने बताया कि उनकी बहन की शादी 12 साल पहले हुई थी और उनके तीन बच्चे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अवधेश और उसके घरवाले महिला को दहेज के लिए परेशान कर रहे थे. उन्हें शक था कि उनकी बहन की हत्या की गई है. इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले लिया और पोस्टमार्टम कराया.

रिपोर्ट से पता चला कि महिला की मौत गला घोंटने से हुई थी, शरीर पर चोटों के कई निशान भी थे. पुलिस ने अवधेश को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन बाद में उसे जमानत मिल गई और वो बाहर आ गया.

बचाव पक्ष की दलील

सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष ने कहा कि घटना के वक्त अखिलेश अपने घर पर नहीं था. उन्होंने दावा कि वो मध्य प्रदेश में था और मामले की जानकारी मिलने के बाद घर लौटा. बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट में ये तक कह दिया कि सावित्री एक ‘जिद्दी महिला’ थी और वो इस बात से नाराज थी कि अखिलेश उसे अपने साथ मध्य प्रदेश नहीं ले गया.

जैसे-जैसे मुकदमा आगे बढ़ा, अभियोजन पक्ष के 13 गवाहों में से पांच अपने बयानों से पलट गए. सावित्री का भाई राम अवतार, जिसकी शिकायत पर अखिलेश को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, वो भी अपने बयान से पलट गया.

लेकिन दम्पति का सबसे बड़ा बेटा, जो अपनी मां की मृत्यु के समय पांच साल का था, अडिग रहा. उसने अपना बयान नहीं बदला.

पांच साल के बच्चे ने कोर्ट को क्या बताया?

बच्चे ने कोर्ट को बताया,

मेरे पिता रोजाना गभाना में पेंट बेचने जाते हैं. वो सुबह 5 बजे घर से निकलते हैं और 10 बजे तक लौट आते हैं. जिस दिन मेरी मां की मृत्यु हुई, उस दिन वो गभाना में पेंट बेचने गए थे. उस सुबह खाना खाने के बाद, मैं खेलने चला गया. दोपहर में जब पुलिस आई, तब मुझे पता चला कि मेरी मां की मृत्यु हो गई है... 

जिस रात मेरी मां की मृत्यु हुई, उसने भिंडी की सब्जी बनाई थी. मैंने, मेरे भाइयों, पिता और मां, सभी ने भिंडी की सब्जी खाई. खाना खाने के बाद, मैं सोने चला गया. सुबह मैंने, मेरे पिता और भाइयों ने वही सब्जी खाई. मेरी मां ने कुछ नहीं खाया.

बच्चे की बात को काट नहीं सका दूसरा पक्ष

कोर्ट ने अपनी समझ के आधार पर बाल गवाह की इस गवाही पर संतुष्टि जताई. उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष बच्चे की गवाही को काट नहीं सका. तमाम कोशिशें के बावजूद वो बच्चे से कोई ऐसी बात नहीं उगलवा सका, जिससे उसकी बातें गलत साबित हों. अदालत ने कहा कि बच्चे की गवाही से ये साबित होता है कि घटना के वक्त अखिलेश मध्य प्रदेश में नहीं था, वो अपने घर पर ही था.

ये भी पढ़ें: एक आठ साल के बच्चे की गवाही के आधार पर अदालत ने उसकी ही मां को मौत की सजा सुनाई.

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार यादव ने चालीस साल के अखिलेश को हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास और 20,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. अदालत ने मुख्य शिकायतकर्ता राम अवतार के खिलाफ जानबूझकर अदालत में झूठी गवाही देने का मामला दर्ज करने का भी निर्देश दिया. अदालत के इस फैसले के बाद जमानत पर बाहर आए अखिलेश को हिरासत में ले लिया गया और जेल भेज दिया गया. 

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