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CM फडणवीस मुंबई लोकल ब्लास्ट के दोषियों की रिहाई से खुश नहीं, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे

21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 12 लोगों को रिहा कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अदालत में पेश किए गए सबूत आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे.

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Fadnavis Calls Bombay HCs Train Blast Verdict Shocking
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस. (क्रेडिट - इंडिया टुडे)
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सौरभ शर्मा
21 जुलाई 2025 (Published: 11:12 PM IST) कॉमेंट्स
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुंबई लोकल सीरियल ब्लास्ट मामले के दोषियों को बरी करने के हाई कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं. 21 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत में दोषी करार दिए गए सभी 12 लोगों को रिहा कर दिया. इसके बाद सीएम फडणवीस ने हाई कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई और कहा कि वे इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.

कोर्ट के फैसले के बाद न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए CM ने इसे ‘शॉकिंग’ बताते हुए कहा,

"बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला चौंकाने वाला है और हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे."

11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर, सात धमाके हुए थे. इन धमाकों से 189 लोगों की मौत हो गई, जबकि 800 से अधिक घायल हुए थे. साल 2015 में एक स्पेशल कोर्ट ने महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम्स एक्ट (MCOCA) के तहत एक आरोपी को बरी कर दिया था. बाकी 12 में से पांच को मौत की सजा और सात को उम्रकैद की सजा मिली थी.

लेकिन 19 साल बाद 21 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सभी 12 लोगों को रिहा कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अदालत में पेश किए गए सबूत आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं थे.

इसे भी पढ़ें - मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: 2015 में फांसी की सजा, 2025 में बरी, इस बीच क्या-क्या हुआ?

बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद मामले में बरी किए गए मोहम्मद साजिद अंसारी ने ANI कहा,

"मैं शुरू से कह रहा था कि मैं निर्दोष हूं. पुलिस ने हमारे खिलाफ झूठा केस बनाया. जिन 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया, वे सभी निर्दोष हैं. ATS ने झूठी कहानी फैलाई. हमारे सभी कबूलनामे यातना देकर लिए गए. आज बॉम्बे हाई कोर्ट ने आखिरकार हमें निर्दोष करार दिया. मेरे जीवन के 19 साल बर्बाद हो गए. मेरी बेटी और पत्नी ने बहुत कुछ सहा है."

रिहा किए गए एक अन्य शख्स जामिर अहमद के भाई शरीफुर रहमान ने बताया कि उनके भाई को 19 साल बाद बरी किया गया है. इस दौरान उनके परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. रहमान ने कहा कि उनका भाई फिलहाल अमरावती जेल में है और हाई कोर्ट के फैसले के बाद उनके परिवार में खुशी का माहौल है.

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