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सिर्फ कुत्ते के काटने से नहीं, संक्रमित गाय का दूध पीने से भी हो सकता है रेबीज़! कैसे बचें?

रेबीज़ एक बीमारी है. जो दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालती है. ये जानवरों से इंसानों में फैल सकती है. रेबीज़ के ज़्यादातर मामले कुत्ते के काटने से होते हैं. लेकिन गाय और भैंस को बीमार जानवर के काटने से रेबीज़ हो सकता है. फिर उनसे इंसानों में फैल सकता है.

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woman dies of rabies after drinking milk from infected cow
दुनियाभर में रेबीज़ से जितनी भी मौतें होती हैं, उनमें से 36% भारत में होती हैं
27 मार्च 2025 (Published: 01:41 PM IST)
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रेबीज़ सिर्फ कुत्ते के काटने से होता है. अगर आपको भी अब तक यही लगता है, तो आज अपनी ये गलतफहमी आज दूर कर लीजिए. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में एक महिला की रेबीज़ से मौत हुई है. लेकिन, उसे किसी कुत्ते ने नहीं काटा था. बल्कि उसे गाय के दूध से ये इंफेक्शन हुआ.

कैसे? समझाते हैं. देखिए, जिस गाय का दूध महिला ने पिया. उस गाय को एक आवारा कुत्ते ने काटा था. कुत्ते के काटने के बाद गाय रेबीज़ से संक्रमित हो गई. मगर ये बात महिला या किसी दूसरे व्यक्ति को पता नहीं थी. इसलिए, महिला गाय का दूध पीती रही.

फिर कुछ वक्त बाद, गाय में रेबीज़ से जुड़े लक्षण दिखने लगे. इसके बाद लोग गाय को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर गए. ताकि उसे वैक्सीन लगवाई जा सके. मगर महिला ने अपना इलाज नहीं कराया.

न्यूज़ 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिन बाद महिला में भी रेबीज़ के लक्षण दिखने शुरू हो गए. वो बहुत ज़्यादा घबराने लगी. रोशनी और पानी से डरने लगी. जब लक्षण बहुत गंभीर हो गए. तो घबराए परिवार वाले उसे कई अस्पतालों में लेकर गए. लेकिन, हर अस्पताल ने उन्हें वापस लौटा दिया. आखिर में, ज़िला अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे वापस घर ले जाने की सलाह दी. इसके कुछ देर बाद, महिला की मौत हो गई.

रेबीज़ से बचने के लिए अब तक उस गांव के कम से कम 10 लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं.

यानी रेबीज़ के फैलने का सिर्फ एक ही ज़रिया नहीं है. ये संक्रमित जानवर के दूध से भी फैल सकता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन यानी WHO के मुताबिक, दुनियाभर में रेबीज़ से जितनी भी मौतें होती हैं. उनमें से 36% भारत में होती हैं. यानी रेबीज़ हमारे लिए एक बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए हमने डॉक्टर आर.आर. दत्ता से पूछा कि रेबीज़ क्यों होता है. किन-किन जानवरों से फैल सकता है. इसके लक्षण क्या हैं. क्या रेबीज़ दूध से भी फैल सकता है. और, इससे बचा कैसे जाए.

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डॉ. आर.आर. दत्ता, हेड, इंटरनल मेडिसिन, पारस हेल्थ, गुरुग्राम

डॉक्टर दत्ता कहते हैं कि रेबीज़ एक बीमारी है. जो दिमाग और नर्वस सिस्टम पर असर डालती है. ये जानवरों से इंसानों में फैल सकती है. रेबीज़ के ज़्यादातर मामले कुत्ते के काटने से होते हैं. लेकिन रेबीज़ बंदर, घोड़े, जंगली चूहे, चमगादड़, गधे, लोमड़ी और नेवले से भी फैल सकता है. गाय और भैंस को बीमार जानवर के काटने से रेबीज़ हो सकता है. फिर उनसे इंसानों में फैल सकता है.

बीमार जानवर के काटने, खरोंचने, सहलाने, उनकी लार, मल-मूत्र के संपर्क में आने से रेबीज़ हो सकता है. इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर किसी गाय या भैंस को रेबीज़ है. और उसका दूध बिना उबाले पी लिया जाए. तो पीने वाले व्यक्ति को भी रेबीज़ हो सकता है. हालांकि इसका रिस्क कम होता है. लेकिन, अब एक मामला आ गया है. इसलिए सावधानी ज़रूरी है.

अगर आपको गाय या भैंस के मुंह के आसपास झाग जैसा दिख रहा है. या जानवर बहुत फ्रेंडली हो गया है. शांत हो गया है. तो ऐसे जानवर के पास बिल्कुल न जाएं. सबसे पहले उन्हें जानवरों के डॉक्टर को दिखाएं, और डॉक्टर की सलाह पर रेबीज़ की वैक्सीन लगाएं. रेबीज़ होने पर ज़्यादातर जानवर चुपचाप से रहने लगते हैं. कुछ ही जानवरों में ऐसा देखा जाता है कि वो आक्रमक और उत्तेजित जाते हैं. या लोगों को काटने दौड़ पड़ते हैं.

अगर गाय या भैंस में रेबीज़ से जुड़े लक्षण हैं. तो उनका दूध पीने से बचें. कच्चा दूध तो किसी कीमत पर न पिएं. पहले उसे अच्छे से उबालें. दूध को उबालने से उसमें मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं. इसलिए हमेशा दूध उबालने के बाद ही इस्तेमाल करें.

अब ये समझ लेते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को रेबीज़ हो जाए, तो उसमें कौन-से लक्षण दिखते हैं.

डॉक्टर दत्ता कहते हैं कि अगर जानवर ने काटा है. तो घाव में खुजली हो सकती है. या दर्द दोबारा शुरू हो सकता है. बुखार या हरारत जैसा लगता है. पानी से डर लगने लगता है. रोशनी अच्छी नहीं लगी. तेज़ हवा, आवाज़ों से भी व्यक्ति घबराने लगता है. उसे गुस्सा आ जाता है. चिढ़ मचती है. अगर लक्षण बहुत गंभीर हो जाएं. तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.

रेबीज़ से बचने के लिए इसकी वैक्सीन लगवाना बहुत ज़रूरी है. अगर आपको किसी कुत्ते या रेबीज़ से इंफेक्टेड दूसरे जानवर ने काटा है. या आप उनके संपर्क में आए हैं. तो तुरंत एंटी-रेबीज़ वैक्सीन लगवाएं. आपको 5 डोज़ का इंट्रा-मस्कुलर इंजेक्शन और रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन भी दिया जा सकता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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