मोजे पहनने के बाद भी ठंडे रहते हैं हाथ-पैर, वजह और बचाव जान लें
एक हद तक हाथ-पैर ठंडे रहना नॉर्मल माना जाता है. लेकिन अगर हाथ-पैर नीले, पीले, सफ़ेद, लाल या काले पड़ रहे हैं, तो ये ख़तरनाक हो सकता है.

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वो, जिनके हाथ-पैर नॉर्मल रहते हैं. ठंड में भी मात्र हथेलियां रगड़ने से गर्मी आ जाती है. मोज़े पहनने से पैर गर्म हो जाते हैं.
दूसरे वो, जिनके हाथ-पैर हमेशा ठंडे रहते हैं. सर्दियों में तो ये दिक्कत और भी बढ़ जाती है. रात में मोज़े पहनकर सोने से भी आराम नहीं मिलता. पैर बर्फ़ की तरह ठंडे रहते हैं.
लेकिन, ऐसा होता क्यों है? कुछ लोगों के हाथ-पैर हमेशा ठंडे क्यों रहते हैं? क्या ये नॉर्मल है? ये समझेंगे आज.
कुछ लोगों के हाथ-पैर हमेशा ठंडे क्यों रहते हैं?हमें बताया डॉक्टर गौरव जैन ने.

वैसे तो सर्दियों में हाथ-पैर ठंडे रहना नॉर्मल है. अंदरूनी गर्मी बचाने के लिए शरीर हाथ-पैर जैसे अंगों तक खून का बहाव कम कर देता है ताकि शरीर के ज़रूरी अंगों का तापमान ठीक रहे और उन्हें पर्याप्त गर्मी मिले. इसलिए एक हद तक हाथ-पैर ठंडे रहना नॉर्मल माना जाता है. लेकिन, अगर हाथ-पैरों का रंग बदल रहा है तो ध्यान देना ज़रूरी है. हाथ-पैर नीले, पीले, सफ़ेद, लाल या काले पड़ रहे हैं तो ये ख़तरनाक हो सकता है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हाथ-पैरों तक पर्याप्त मात्रा में खून नहीं पहुंच रहा. ऐसा पानी की कमी से हो सकता है. एनीमिया के कारण हो सकता है. थायरॉइड, शुगर, कोलेस्ट्रॉल, सिगरेट, तंबाकू, ज़्यादा चाय-कॉफ़ी या शराब पीने से भी ऐसा होता है.
डॉक्टर को दिखाना कब ज़रूरी हो जाता है?अगर ठंड की वजह से हाथ-पैरों में दर्द हो रहा है. हाथ-पैर सुन्न पड़ रहे हैं या उनके रंग में बदलाव है तो डॉक्टर को दिखाएं. ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे ऑटोइम्यून रेनॉड डिज़ीज़. वास्कुलिटिस. पानी की कमी या इलेक्ट्रोलाइट का बैलेंस बिगड़ना. एनीमिया, थायरॉइड, शुगर, कॉफ़ी या तंबाकू का सेवन करना.
ऐसे में डॉक्टर दिल की जांच कर सकते हैं. खून के फ्लो की भी जांच हो सकती है. उसके हिसाब से दवाइयां दी जाती हैं.

अगर हाथ-पैरों में दर्द या कोई परेशानी होती है तो इससे निपटने के 3 तरीके हैं.
पहला है खूब पानी पीजिए. ज़्यादा पानी पीने से खून का बहाव ठीक बना रहता है. हाथ-पैरों तक पर्याप्त खून पहुंचता है.
दूसरा, सर्दियों में हरी सब्ज़ियां और गुड़ खाइए. इससे शरीर को अच्छी मात्रा में आयरन मिलता है.
तीसरा, सर्दी से बचने के लिए दस्ताने, मोज़े और टोपी पहनिए. ठंडे पानी में हाथ न डालिए. अगर ठंडा पानी इस्तेमाल कर रहे हैं तो हाथ पोंछकर उन्हें गर्म रखिए. इससे नसें खुलती हैं. अगर दर्द है या रंग में बदलाव है तो डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.
इलाजइलाज के लिए 3-4 चीज़ें उपलब्ध हैं. कारण समझकर उसका इलाज किया जाता है. खून की नसों को खोलने के लिए दवाइयां भी दी जा सकती हैं. दवाइयां हाथ-पैरों की सिकुड़ी हुई नसों को खोलती हैं. अगर खून में गाढ़ापन है तो खून पतला करने की दवाइयां भी दी जाती हैं. कारण के हिसाब से इलाज किया जाता है. इसके लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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