घर के अंदर कपड़े सुखाना आज ही बंद करें, वजह भी जान लीजिए
जब घर के अंदर गीले कपड़े सुखाए जाते हैं, तो इनमें मौजूद पानी धीरे-धीरे भाप बनकर हवा में उड़ जाता है. इससे कमरे में नमी बढ़ जाती है.

कपड़े धोने के बाद आप कहां सुखाते हैं? कोई कहेगा छत पर. कोई कहेगा बालकनी में. जगह कोई भी हो. मकसद एक ही है. कपड़ों को ऐसी जगह सुखाया जाए जहां उन्हें अच्छी धूप मिले. जहां कपड़े अच्छी तरह सूख पायें और उनमें नमी न बचे. लेकिन, अक्सर बरसात और ठंड के मौसम में धूप नहीं निकलती. तब लोग घरों के अंदर कपड़े सुखाते हैं. बहुत लोगों के घरों में कपड़े बाहर सुखाने की सुविधा नहीं है. कई बार इंसान इतना बिज़ी होता है कि कपड़ों को कुर्सी पर रखकर ही सूखने छोड़ देता है.
खैर वजह जो भी है, अगर आप भी हमेशा कपड़ों को अंदर ही सुखाते हैं, तो एक बात जान लीजिए. ये आपकी सेहत के लिए नुकसानदेह है.

डॉक्टर कुलदीप कहते हैं कि जब घर के अंदर गीले कपड़े सुखाए जाते हैं, तो इनमें मौजूद पानी धीरे-धीरे भाप बनकर हवा में उड़ जाता है. इससे कमरे में नमी बढ़ जाती है. नमी बढ़ने से वातावरण में मौजूद फंगल स्पोर्स को तेज़ी से पनपने का मौका मिल जाता है. फंगल स्पोर्स यानी फंफूद के छोटे-छोटे कण. फिर ये कण सांस के ज़रिए शरीर में दाखिल हो जाते हैं. ये फेफड़ों के लिए नुकसानदेह है. खासकर उन लोगों के लिए, जिन्हें पहले से ही सांस से जुड़ी कोई बीमारी है. जैसे अस्थमा.
वहीं जिन्हें धूल या फंगस से एलर्जी है, उन्हें भी कई तरह की दिक्कतें होती हैं. जैसे छींक आना. नाक बहना. आंखों में जलन होना और स्किन पर रैशेज़ पड़ जाना.

इसी तरह, जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है. जैसे छोटे बच्चे, बीमार और बुज़ुर्ग. इनमें फंगल या बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. जिससे उन्हें सांस की बीमारियां, फेफड़ों में इंफेक्शन या स्किन की बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए, आपको कभी भी घर के अंदर कपड़े नहीं सुखाने चाहिए. हमेशा धूप में ही कपड़े सुखाएं.
अगर कभी मजबूरी में घर के अंदर कपड़े सुखाने पड़ें, तो वेंटिलेशन का ध्यान ज़रूर रखें, ताकि कमरे में ताज़ी हवा आती-जाती रहे और हवा का फ्लो बना रहे. इसके लिए खिड़की, दरवाज़े खोल दीजिए. साथ ही, घर के अंदर डिह्यूमिडिफायर या एग्जॉस्ट फैन का इस्तेमाल करिए. डिह्यूमिडिफायर एक मशीन है. जो हवा में नमी का लेवल घटाकर उसे कंट्रोल में रखती है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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