The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Health
  • why birthmarks are formed and how to remove it

बर्थमार्क क्यों बनते हैं? इन्हें कैसे हटाया जा सकता है?

वैस्कुलर बर्थमार्क खून की नसों की बनावट में हुई गड़बड़ी की वजह से बनते हैं. वहीं, पिगमेंटेड बर्थमार्क स्किन में मौजूद रंग के असामान्य वितरण की वजह से होते हैं.

Advertisement
why birthmarks are formed and how to remove it
बर्थमार्क जन्मजात होते हैं
4 मार्च 2025 (Updated: 4 मार्च 2025, 02:22 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

हममें से ज़्यादातर लोगों के शरीर पर बर्थमार्क होते हैं. यानी जन्म से ही कुछ निशान होते हैं. मगर, ये निशान होते क्यों हैं. इनके होने का क्या मतलब है. ये सबकुछ समझेंगे. ये भी जानेंगे कि अगर बर्थमार्क में किसी तरह का बदलाव होने लगे, तो क्या करना चाहिए. और, इन्हें हटवाने का प्रोसीजर क्या है?

बर्थमार्क क्या होते हैं?

ये हमें बताया डॉक्टर सुनीता नाइक ने.

dr sunita naik
डॉ. सुनीता नाइक, सीनियर कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजी, काया लिमिटेड

बर्थमार्क स्किन पर बने प्राकृतिक निशान होते हैं. ये अलग-अलग आकार के होते हैं. ये जन्म के समय मौजूद हो सकते हैं या कुछ समय बाद दिख सकते हैं.

बर्थमार्क मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं. पहला, वैस्कुलर बर्थमार्क और दूसरा, पिगमेंटेड बर्थमार्क. वैस्कुलर बर्थमार्क खून की नसों की वजह से बनते हैं. इसमें सैल्मन पैच सबसे आम है. इसे स्टॉर्क बाइट या एंजल्स किस भी कहते हैं. ये हल्के गुलाबी या लाल रंग के होते हैं. जन्म के बाद माथे, आंखों, नाक या होठों के पास देखे जाते हैं. ये समय के साथ हल्के पड़ने लगते हैं. 

vascular birthmark
वैस्कुलर बर्थमार्क 

वैस्कुलर बर्थमार्क का दूसरा प्रकार हेमन्जिओमा है. ये थोड़े उभरे हुए और गहरे लाल रंग के होते हैं. ये समय के साथ छोटे हो सकते हैं.

वैस्कुलर बर्थमार्क का तीसरा प्रकार पोर्ट-वाइन स्टेन है. ये चेहरे पर बैंगनी या लाल रंग के होते हैं. ये समय के साथ हल्के नहीं पड़ते, वैसे ही रहते हैं.

pigmented birthmark
पिगमेंटेड बर्थमार्क

अब पिगमेंटेड बर्थमार्क की बात कर लेते हैं. ये स्किन में मौजूद पिगमेंट (रंग) की वजह से बनते हैं. इसमें कैफ़े-ऑ-लेट स्पॉट सबसे आम है. ये हल्के भूरे रंग के होते हैं. पूरे शरीर में कहीं भी पाए जा सकते हैं. 

फिर आते हैं मंगोलियन स्पॉट्स. ये आमतौर पर गहरे रंग वालों में कमर के निचले हिस्से में देखे जाते हैं. ये जन्म के समय मौजूद होते हैं और धीरे-धीरे हल्के हो सकते हैं. 

पिगमेंटेड बर्थमार्क का तीसरा प्रकार पिगमेंटेड नेवस है. इन्हें मोल्स या मस्से भी कहा जाता है. ये भी कई तरह के हो सकते हैं, जैसे बेकर्स नीवस और स्पिट्ज नीवस. ये छोटे या बड़े, हल्के या गहरे रंग के हो सकते हैं.

बर्थमार्क क्यों बनते हैं?

वैस्कुलर बर्थमार्क खून की नसों की बनावट में हुई गड़बड़ी की वजह से बनते हैं. जब शिशु के अंग बन रहे होते हैं, तब अगर खून की नसों का निर्माण ठीक से न हो, तो वैस्कुलर बर्थमार्क बन सकते हैं. वहीं, पिगमेंटेड बर्थमार्क स्किन में मौजूद पिगमेंट (रंग) के असामान्य वितरण (डिस्ट्रीब्यूशन) की वजह से होते हैं. जब भ्रूण में स्किन का रंग बन रहा होता है, तब अगर पिगमेंट का सही तरह से वितरण न हो, तो पिगमेंटेड बर्थमार्क बन सकते हैं. हमारे जीन्स भी बर्थमार्क बनने की एक वजह हो सकते हैं. वहीं, अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला किसी खास तरह के वातावरण के संपर्क में आती है, तो इसकी वजह से भी बर्थमार्क बन सकते हैं.

बर्थमार्क कैसे हटवा सकते हैं?

अगर ज़रूरत हो तो लेज़र थेरेपी कर सकते हैं. पोर्ट-वाइन स्टेन के लिए पल्सड डाइ लेज़र किया जाता है. पिगमेंटेड नीवस के लिए क्यू-स्विच लेज़र किया जाता है. इलाज के लिए 4 से 6 सेशन लग सकते हैं. 

दूसरा तरीका सर्जरी है. अगर बर्थमार्क बड़ा हो तो सर्जरी के ज़रिए हटाया जा सकता है. सर्जरी के बाद टांके लगाए जाते हैं. 

तीसरा तरीका क्रायोथेरेपी है. इसमें लिक्विड नाइट्रोजन से बर्थमार्क को फ्रीज़ करके नष्ट किया जाता है. कुछ मामलों में दवाइयों से भी इलाज होता है. जैसे हेमन्जिओमा, बीटा ब्लॉकर्स (जैसे प्रोपेनॉल) देकर इसका साइज़ छोटा किया जा सकता है.

बर्थमार्क में किस तरह के बदलाव होने पर डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी?

ज़्यादातर बर्थमार्क कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. लेकिन, अगर इनमें कुछ बदलाव दिखें, तो डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है. जैसे अगर बर्थमार्क का आकार बढ़ने या बदलने लगे, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए. अगर आपके बर्थमार्क से पानी या खून निकल रहा है. अगर उसमें दर्द हो रहा है, तो ये इंफेक्शन हो सकता है. अगर बर्थमार्क का साइज़ बहुत ज़्यादा बढ़ने लगे तो कुछ पिगमेंटेड बर्थमार्क में कैंसर बनने का चांस होता है. ऐसे में डॉक्टर के पास ज़रूर जाएं. 

अगर आपका बर्थमार्क संवेदनशील अंगों के पास है. जैसे आंखों के पास और जिससे नज़रों पर असर पड़ रहा हो. नाक के पास हो और जिससे सांस लेने में दिक्कत हो रही हो. मुंह के पास हो और जिससे खाने-पीने में परेशानी हो रही हो, तो ऐसे बर्थमार्क का इलाज करवाना ज़रूरी है. 

अगर बर्थमार्क के साथ कुछ लक्षण महसूस हो रहे हैं. जैसे लगातार सिरदर्द या चक्कर आना, तो ये किसी जेनेटिक डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है.

देखिए, वैसे तो बर्थमार्क्स को हटवाने की कोई ज़रूरत नहीं है. लेकिन, अगर आपको उसमें कोई बदलाव नज़र आता है. कोई दिक्कत महसूस होती है. तब आपको डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. ‘दी लल्लनटॉप ’आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: टॉन्सिल में भी स्टोन हो सकता है, लक्षण जान लीजिए!

Advertisement