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ओज़ेम्पिक जैसी GLP-1 दवाओं के लिए WHO की गाइडलाइन समझ लीजिए

दुनियाभर में वेट लॉस के लिए ओज़ेम्पिक और उसकी जैसी दूसरी दवाओं का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है.

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WHO issues global guideline on the use of GLP-1 medicines in treating obesity in hindi
अगले 5 सालों में ओबेसिटी से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी होने की संभावना है (फोटो: Getty)
4 दिसंबर 2025 (Published: 05:18 PM IST)
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ओज़ेम्पिक. नाम तो सुना होगा! ये डायबिटीज़ और ओबेसिटी की दवा है. इंजेक्शन से दी जाती है. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के सेलेब्स इसकी मदद से वज़न घटा रहे हैं. कई सेलेब्रेटीज ने तो खुलकर ये माना भी है. जैसे टेस्ला और X के मालिक ईलॉन मस्क. ओपरा विनफ्रे. टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स, एक्ट्रेस एमी शुमार वगैरह-वगैरह.

लिस्ट बहुत लंबी है. दुनियाभर में वेट लॉस के लिए ओज़ेम्पिक और उसकी जैसी दूसरी दवाओं का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है. जैसे विगोवी और मोन्जरो. लेकिन, इन दवाओं में ऐसा है क्या, जिससे वज़न घटाना इतना आसान हो जाता है? दरअसल ये सभी GLP-1 ड्रग्स हैं. अब इसका मतलब क्या है?

देखिए, इन दवाओं में सेमाग्लूटाइड या टिरज़ेपटाइड या लिराग्लूटाइड होता है. इन सभी को GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट्स कहा जाता है. GLP-1 यानी ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1. ये एक इनक्रेटिन हॉर्मोन है. यानी हाज़मे से जुड़ा हुआ. खाना खाने के बाद ये खून में शुगर का लेवल कंट्रोल करने में मदद करता है. भूख कम करता है. इससे इंसान अपनी भूख पर कंट्रोल कर पाता है. वो ज़्यादा नहीं खाता और वज़न घटाने में मदद मिलती है.

इन दवाओं के बेधड़क बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने पहली बार कुछ गाइडलाइंस जारी की हैं. इन्हें 1 दिसंबर 2025 को इशू किया गया है.

WHO का कहना है कि दुनियाभर में 100 करोड़ से ज़्यादा लोग ओबेसिटी से जूझ रहे हैं. ओबेसिटी यानी मोटापा. अगर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगले 5 सालों में ओबेसिटी से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. ये चिंता की बात इसलिए है, क्योंकि 2024 में करीब सैंतीस लाख मौतों के पीछे एक बड़ा हाथ ओबेसिटी का था.

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दुनियाभर में 100 करोड़ से ज़्यादा लोग मोटापे से जूझ रहे हैं (फोटो: Freepik)

एक ओबीज़ इंसान कौन होता है?

WHO के मुताबिक, अगर किसी एडल्ट का बॉडी मास इंडेक्स यानी BMI 30 या उससे ज़्यादा है, तो वो ओबीज़ माना जाता है. BMI एक स्केल है, जो बताता है कि जेंडर, हाइट और उम्र के हिसाब से किसी इंसान का वज़न ठीक है या नहीं.

ओबेसिटी की वजह से दिल की बीमारियां, टाइप-2 डायबिटीज़ और कुछ तरह के कैंसर का रिस्क भी बढ़ जाता है. जो लोग पहले ही किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनके लिए ओबेसिटी और ज़्यादा ख़तरनाक है.

ओबेसिटी कम करने में GLP-1 थेरेपीज़ मदद कर सकती हैं. लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है.

पहली, एडल्ट्स में मोटापे के इलाज के लिए GLP-1 थेरेपीज़ का इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को ये नहीं दी जानी चाहिए. क्यों? क्योंकि आगे जाकर इन थेरेपीज़ का क्या प्रभाव पड़ेगा? ये कितनी सेफ हैं? इस पर अभी पर्याप्त डेटा मौजूद नहीं है. इन थेरेपीज़ की लागत भी फिलहाल काफी ज़्यादा है. हमारा हेल्थ सिस्टम इनके बहुत ज़्यादा इस्तेमाल के लिए अभी तैयार नहीं है.

दूसरी बात, जो लोग मोटापे के लिए GLP-1 थेरेपीज़ ले रहे हैं. उनके लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना ज़रूरी है. जैसे उन्हें एक हेल्दी डाइट अपनानी चाहिए. रोज़ एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. इससे इलाज और बेहतर होगा.

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WHO के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस 

WHO के डायरेक्टर-जनरल डॉक्टर टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस कहते हैं, 

'ओबेसिटी एक बड़ा ग्लोबल हेल्थ चैलेंज है. नई गाइडलाइंस मानती हैं कि ओबेसिटी लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है. जिसे व्यापक इलाज और देखभाल से ठीक किया जा सकता है. सिर्फ दवाइयों से इस ग्लोबल हेल्थ क्राइसिस का हल नहीं निकाला जा सकता. लेकिन GLP-1 थेरेपीज़ लाखों लोगों को ओबेसिटी से उबरने और उससे जुड़े ख़तरों को कम करने में मदद कर सकती हैं.'

ओबेसिटी किसी एक व्यक्ति की दिक्कत नहीं है. बल्कि पूरे समाज के लिए चुनौती है. इससे निपटना है, तो तीन चीज़ें करनी होंगी.

पहली, ऐसी नीतियां लागू करनी होंगी, जो लोगों की सेहत बेहतर बनाएं और मोटापा बढ़ने से रोकें.

दूसरी, जिन लोगों में ओबेसिटी और इससे जुड़ी बीमारियों का ख़तरा ज़्यादा है. उन्हें समय रहते पहचाना जाए. उनकी स्क्रीनिंग हो और फिर उस हिसाब से इलाज किया जाए.

तीसरी, व्यक्ति की ज़रूरत के हिसाब से उसका पूरा इलाज हो. 

अगर ये गाइडलाइंस फॉलो की जाएं, तो दुनियाभर में ओबेसिटी पर कंट्रोल किया जा सकता है.

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