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दिल की सेहत बिगड़ रही! ये पैरों से पता चल जाता है

दिल का काम शरीर के अलग-अलग अंगों तक खून पहुंचाना होता है. अगर पैरों तक ठीक मात्रा में खून नहीं पहुंच रहा है, तो इसका मतलब दिल में कोई दिक्कत है.

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what your legs can tell you about your heart health
पैरों का दिल से सीधा कनेक्शन होता है
4 जून 2025 (Updated: 4 जून 2025, 03:04 PM IST) कॉमेंट्स
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आप दिल की जांच करवाने डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने सबसे पहले अपने आले से आपकी दिल की धड़कनें सुनीं. कुछ सवाल पूछे. फिर आपके पैर जांचें और लिख दिए कुछ टेस्ट. क्या आपने कभी सोचा है, दिल के डॉक्टर मरीज़ के पैर क्यों देखते हैं? वो इसलिए क्योंकि आपके पैरों का दिल की सेहत से सीधा कनेक्शन होता है. कैसे? ये जानकारी हमें दी मैक्स हॉस्पिटल में कार्डियक साइंसेज़ के सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर वैभव मिश्रा ने.

dr vaibhav mishra
डॉ. वैभव मिश्रा, सीनियर डायरेक्टर, कार्डियक साइसेंज, मैक्स हॉस्पिटल

डॉक्टर वैभव कहते हैं कि पैरों की जांच करने से पता चलता है कि शरीर में खून का बहाव कैसा है. कहीं आर्टरीज़ यानी धमनियों में कोई ब्लॉकेज तो नहीं है. देखिए, दिल का काम शरीर के अलग-अलग अंगों तक खून पहुंचाना होता है. अगर पैरों तक ठीक मात्रा में खून नहीं पहुंच रहा है, तो इसका मतलब दिल में कोई दिक्कत है.

जैसे अगर मरीज़ के पैर, टखनों या पंजों में सूजन है, तो हो सकता है कि दिल ठीक तरह खून पंप नहीं कर रहा.

PAD
पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ में हाथ-पैरों तक खून ले जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो जाता है

इसी तरह, अगर किसी के पैर ठंडे रहते हैं, या पीले या नीले पड़ गए हैं तो इसका मतलब पैरों में खून का फ्लो कम हो गया है. ये पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ यानी PAD का लक्षण हो सकता है. इसमें हाथ-पैरों तक खून ले जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो जाता है. ऐसे में मरीज़ को चलने पर पिंडलियों में दर्द या जकड़न महसूस होती है. पैर ठंडे रहते हैं. उनमें सुन्नपन या झुनझुनी महसूस होती है. पैरों का रंग बदल जाता है. ये सभी पेरिफ़ेरल आर्टरी डिज़ीज़ के लक्षण हैं. इसकी जांच के लिए डॉक्टर पैरों की पल्स चेक करते हैं. अगर पल्स कमज़ोर है या नहीं मिल रही है. तब ये धमनियों में ब्लॉकेज का इशारा हो सकता है.

वहीं अगर किसी मरीज़ के पैर में कोई चोट लगी है या कोई घाव है, और वो जल्दी नहीं भर रहा. तब इसका मतलब पैरों में खून का फ्लो सही नहीं है. ऐसा डायबिटीज़ के मरीज़ों के साथ ज़्यादा होता है.  

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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