शराब, जुआ, रील्स... ऐसी चीज़ों की लत क्यों लग जाती है? जवाब है 'डोपामीन एडिक्शन'
डोपामीन एक न्यूरोट्रांसमीटर और केमिकल है. ये हमारे दिमाग में मौजूद होता है. जब हम कोई ऐसी एक्टिविटी करते हैं, जिससे हमें अच्छा महसूस होता है. तब दिमाग में डोपामीन रिलीज़ होता है. डॉक्टर से समझेंगे कि डोपामीन क्या है. ये शरीर में कहां बनता और इसका बनना क्यों ज़रूरी है. डोपामीन एडिक्शन के क्या साइड इफ़ेक्ट हैं. सबसे ज़रूरी, इस एडिक्शन से छुटकारा कैसे पाएं.

हमारे 5 सवाल हैं, आपको उनका जवाब हां या न में देना है. 1- क्या फ़ोन हर कुछ मिनट में चेक करते रहते हैं, भले ही कोई नोटिफिकेशन न आया हो? 2- पांच मिनट का ब्रेक लेते हैं और रील्स स्क्रोल करना शुरू करते हैं. पांच मिनट का एक घंटा कब हो जाता है, पता ही नहीं चलता? 3- जंक फ़ूड और मीठा खाने की तलब होती है और इन्हें खाते ही मूड मस्त हो जाता है? 4- शॉपिंग करना पसंद है. इस चक्कर में अक्सर ऐसी चीज़ें भी ख़रीद लाते हैं जिनकी ज़रूरत भी नहीं है? 5- पढ़ते, टीवी देखते या काम करते हुए कुछ न कुछ खाने की आदत है. उसके बिना मज़ा नहीं आता? अगर इन सभी सवालों का जवाब हां है, तो आपको डोपामीन एडिक्शन हो सकता है. अब ये नई बला क्या है? आइए जानते हैं.

डोपामीन एक हॉर्मोन है और न्यूरोट्रांसमीटर भी. न्यूरोट्रांसमीटर यानी एक केमिकल मैसेंजर. इसका काम होता है दिमाग के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक मैसेज पहुंचाना. पुराने ज़माने में जो डाक काका होते थे न, बिलकुल वैसा ही. इसे 'फील गुड' हॉर्मोन भी कहा जाता है. यानी ये हॉर्मोन आपको अच्छा महसूस करवाता है. आप मोटिवेटेड और संतुष्ट महसूस करते हैं.
अब कौन अच्छा और खुश महसूस नहीं करना चाहता? इसलिए, जो चीज़ें आपके ब्रेन में डोपामीन का प्रोडक्शन बढ़ाती हैं, उनकी लत लग जाती है. जैसे रील्स देखने की. जंक फ़ूड और मीठा खाने की. शॉपिंग करने की. इसी को ‘डोपामीन एडिक्शन’ कहते हैं.
अब आप कहेंगे, इसमें बुराई ही क्या है? इंसान को अगर किसी चीज़ से ख़ुशी मिल रही है, तो उसमें क्या नुकसान है? इसका जवाब मिलेगा आज. हर लत ही तरह, ये एडिक्शन भी नुकसानदेह है.
सबसे पहले डॉक्टर से समझेंगे कि डोपामीन क्या है. ये शरीर में कहां बनता और इसका बनना क्यों ज़रूरी है. डोपामीन एडिक्शन क्या होता है. डोपामीन एडिक्शन के क्या साइड इफ़ेक्ट हैं. सबसे ज़रूरी, इस एडिक्शन से छुटकारा कैसे पाएं.
डोपामीन क्या होता है?ये हमें बताया डॉक्टर पल्लवी शर्मा ने.

डोपामीन एक न्यूरोट्रांसमीटर और केमिकल है. ये हमारे दिमाग में मौजूद होता है. ये दिमाग के सेल्स यानी एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक सिग्नल पहुंचाता है.
जब हम कोई ऐसी एक्टिविटी करते हैं, जिससे हमें अच्छा महसूस होता है. जैसे अच्छा खाना खाना, एक्सरसाइज़ करना या किसी से तारीफ मिलना. उस वक्त दिमाग में डोपामीन रिलीज़ होता है. इसी वजह से डोपामीन को हैप्पीनेस केमिकल भी कहा जाता है.
ये शरीर में कहां बनता है और इसका बनना क्यों ज़रूरी है?डोपामीन दिमाग के एक हिस्से 'सब्सटेंशिया निग्रा' में बनता है. ये दिमाग के रिवॉर्ड पाथवे का मुख्य केमिकल है. रिवॉर्ड पाथवे दिमाग का एक सिस्टम है, जो हमें अच्छा महसूस कराता है. कुछ बीमारियों में डोपामीन ज़्यादा मात्रा में बनने लगता है. जैसे बिहेवियरल एडिक्शन यानी बिना नशे वाली चीज़ का आदी होना और साइकोसिस यानी ऐसी चीजें देखना या सुनना, जो असल में होतीं ही नहीं.
वहीं कुछ बीमारियों में डोपामीन कम बनता है, जैसे पार्किंसन डिज़ीज़. डोपामीन हमारे लिए ज़रूरी है, क्योंकि इससे हमें उत्साह और काम करने की प्रेरणा मिलती है. अगर दिमाग में डोपामीन कम बने, तो मोटिवेशन और खुशी की कमी महसूस हो सकती है.

आजकल हम डोपामीन को नेचुरल तरीके से नहीं, बल्कि तुरंत पाना चाहते हैं. इंस्टेंट फूड, इंस्टेंट शॉपिंग जैसी चीजें हमें फौरन खुशी देती हैं. बहुत ज़्यादा फोन चलाना और सोशल मीडिया की लत भी इसका हिस्सा है. बिहेवियरल एडिक्शन जैसे गैंबलिंग और शराब की लत भी इसमें शामिल हैं. ये सब तरीके दिमाग में डोपामीन रिलीज करने के शॉर्टकट बन जाते हैं. जब ब्रेन को इन शॉर्टकट्स की आदत पड़ जाती है, तो इसे डोपामीन एडिक्शन कहा जाता है. बार-बार और जल्दी-जल्दी डोपामीन रिलीज होने से दिमाग का रिवॉर्ड सिस्टम प्रभावित होता है.
डोपामीन एडिक्शन के साइड इफ़ेक्टलंबे समय तक डोपामीन एडिक्शन से फोकस और कुछ करने की चाह धीरे-धीरे कम होने लगती है. जो चीज़ें लंबे समय तक खुशी दे सकती हैं. जैसे एक्सरसाइज या हेल्दी फूड, उनकी चाह कम होने लगती है. दिमाग तुरंत खुशी देने वाली चीज़ों की तरफ ज़्यादा आकर्षित होने लगता है. बार-बार फोन चेक करना और बिहेवियरल एडिक्शंस बढ़ने लगते हैं. नींद कम आना और चिड़चिड़ापन लंबे समय तक बना रह सकता है. अगर ये समस्या बनी रहे, तो एंग्ज़ायटी और डिप्रेशन जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं. ये सभी साइड इफेक्ट्स डोपामीन एडिक्शन की वजह से हो सकते हैं.
डोपामीन एडिक्शन का इलाजसंतुलित जीवनशैली ही डोपामीन एडिक्शन का सबसे अच्छा इलाज है. हेल्दी खाना खाएं और रोज़ एक्सरसाइज़ करें. दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं, किसी सोशल कम्यूनिटी से जुड़े रहें. अपनी हॉबीज़ के लिए समय निकालें, लेकिन ऐसी हॉबी न चुनें जो सिर्फ तुरंत खुशी दे. डिजिटल डिटॉक्स बहुत ज़रूरी है. मोबाइल और स्क्रीन से कुछ दूरी बनाकर रखें. कुछ दिनों तक पूरी कोशिश करें कि स्क्रीन का कम से कम इस्तेमाल हो. लगातार ऐसा करने से ये आदतें धीरे-धीरे छूटने लगती हैं.
आदतों को अचानक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे बदलें. फिर चाहे वो स्क्रीन की लत हो, शराब की या किसी और चीज़ की. इन्हें धीरे-धीरे अपनी जिंदगी से कम करें. अगर आपको लगे कि आप अकेले ये नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी काउंसलर की मदद लें. कई बार इन एडिक्शन के पीछे एंग्ज़ायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं छिपी होती हैं. लेकिन, सही इलाज होने से एडिक्शन पर कंट्रोल किया जा सकता है.
अगर पहले आपको किताब पढ़ने, वॉक पर जाने, गार्डनिंग करने से ख़ुशी मिलती थी, पर अब नहीं मिलती. उल्टा आप हर चीज़ से जल्दी बोर हो जाते हैं. तो उसके पीछे वजह डोपामीन एडिक्शन ही है. इस एडिक्शन से छुटकारा पाने के लिए आप डॉक्टर की बताई टिप्स फॉलो करिए. आपको असर ज़रूर देखने को मिलेगा.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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