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नींद पूरी नहीं होती या रात में बार-बार टूटती है? नुकसान सोच भी नहीं सकते

अगर नींद पूरी नहीं होती, तो ब्लड प्रेशर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं. हार्ट रिदम यानी दिल की लय में गड़बड़ी आ सकती है. कार्डियक फेलियर हो सकता है यानी दिल ठीक तरह खून पंप नहीं कर पाता.

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what are the effects of not getting enough sleep at night
नींद क्यूं रात भर नहीं आती? (फोटो: Freepik)
6 अक्तूबर 2025 (Published: 04:31 PM IST)
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‘हमें भी नींद आ जाएगी, हम भी सो ही जाएंगे, अभी कुछ बे-क़रारी है, सितारो तुम तो सो जाओ.’

क़तील शिफ़ाई का ये शेर 'नाइट आउल्स' पर एकदम फिट बैठता है. नाइट आउल्स वो लोग हैं, जो रात में देर तक जागते रहते हैं. कुछ बदनसीबों को नींद नहीं आती. चाहे जितनी भी करवटें बदल लें. कुछ रात रील्स देखते-देखते काट देते हैं. कुछ फ़िल्में और सीरीज़ बिंज वॉच करते हैं. वजह जो भी हो. ऐसे लोगों के लिए दिन काटना बड़ा मुश्किल हो जाता है. अगले दिन थकान रहती है. काम करने का मन नहीं करता. दिनभर नींद आती है, पर सो नहीं पाते.

अगर आप भी एक नाइट आउल हैं. या आपके आसपास कोई ऐसा है. तो जान लीजिए, नींद पूरी न होने से पूरे शरीर को नुकसान पहुंचता है. तमाम बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाता है.

कई लोगों को तो रात में अपने आप नींद आना ही बंद हो चुकी है. ऐसे लोग सोने के लिए सहारा लेते हैं मेलाटोनिन सप्लीमेंट का. आज बात होगी नींद और उसकी कमी पर. डॉक्टर से जानेंगे कि अगर नींद पूरी न हो, तो इससे शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है. रात में कितने घंटे की नींद ज़रूरी है. जानेंगे, क्या मेलाटोनिन के भरोसे रोज़ सोना सेहत के लिए ठीक है और रात में ठीक से नींद आ जाए, इसके लिए क्या करें. 

नींद पूरी न होने से शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है?

ये हमें बताया डॉक्टर संजय मनचंदा ने. 

dr sanjay manchanda
डॉ. संजय मनचंदा, चेयरपर्सन, स्लीप मेडिसिन, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली

अगर नींद पूरी नहीं होती, तो बहुत सारी दिक्कतें हो सकती हैं. ब्लड प्रेशर से जुड़ी दिक्कत हो सकती है. हार्ट रिदम यानी दिल की लय में गड़बड़ी आ सकती है. कार्डियक फ़ेलियर हो सकता है यानी दिल ठीक तरह खून पंप नहीं कर पाता. अगर नींद पूरी न हो या बार-बार टूटे, तो ताज़गी महसूस नहीं होती. अगले दिन बैठे-बैठे नींद के झटके आते हैं. नींद की कमी एक-तिहाई सड़क और औद्योगिक दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है. एक व्यक्ति जागती अवस्था से गहरी नींद में 10 सेकंड में पहुंच सकता है. अगर गाड़ी चलाते व्यक्ति को हल्की-सी झपकी आ जाए, तो रोड एक्सीडेंट हो सकता है. इसलिए अच्छी नींद आना बहुत ज़रूरी है. 

ज़्यादा नींद आना अलग बीमारी है और नींद न आना अलग बीमारी. अभी तक 80 स्लीप डिसऑर्डर्स के बारे में जानकारी है. इसलिए ये जानना ज़रूरी है कि मरीज़ को दिक्कत क्या है. इसके बाद ही उसकी नींद के पैटर्न की स्टडी करके इलाज किया जाता है.

रात में कितने घंटे की नींद ज़रूरी है?

- नींद आमतौर पर 6 से 9 घंटे की होती है.

- हालांकि हर व्यक्ति की अलग ज़रूरत होती है.

- ज़रूरी नहीं कि नींद 6, 8 या 9 घंटे आए.

- लेकिन नींद का एक अच्छा पैटर्न होना ज़रूरी है.

क्या मेलाटोनिन नींद लाने में मदद करता है?

मेलाटोनिन एक नेचुरल हॉर्मोन है. ये दिमाग में मौजूद पीनियल ग्रंथि से रिलीज़ होता है. मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स की भूमिका जेट लेग या नाइट शिफ्ट में काम करने वालों में ज़्यादा है. बाकी लोगों को इसकी ज़रूरत कम ही पड़ती है. इसे तभी इस्तेमाल करें, जब आपको जेट लेग हो. यानी लंबे सफर के बाद जब नींद न आ रही हो. इसे नींद के लिए लगातार इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

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मोबाइल फोन पर रात में आने वाले मैसेज न देखें, बार-बार नोटिफिकेशन आने से नींद टूट जाती है. (फोटो: Freepik)
अगर नींद नहीं आती तो क्या करें?

बेड पर तभी लेटें, जब नींद आने लगे. बेड स्लीपिंग पिल नहीं है. अगर बेड पर करवटें बदलते रहेंगे, तो टेंशन बढ़ेगी. आप चाहे कितने बजे सोएं, उठने का वक्त रोज़ एक ही होना चाहिए. अगर नींद नहीं आती, कम आती है या खराब आती है, तो कमरे से घड़ी हटा दें. वरना आप हर वक्त घड़ी ही देखते रहेंगे, इससे टेंशन बढ़ेगी और नींद ख़राब होगी. 

अपने मोबाइल फोन को बंद करके चार्ज करें. मोबाइल फोन पर रात में आने वाले मैसेज न देखें. बार-बार नोटिफिकेशन आने से नींद टूट जाती है और व्यक्ति अपना फोन चेक करने लगता है. फोन की लाइट रेटिना और दिमाग को दिन जैसा महसूस कराती है. इससे अच्छी नींद आना और ज़्यादा मुश्किल हो जाता है

शाम को 6 बजे के बाद चाय, कॉफी और सिगरेट न पिएं. ये स्टिमुलेंट्स हैं यानी ये दिमाग को उत्तेजित करते हैं. इनसे नींद ख़राब होती है. शाम के बाद एक्सरसाइज़ भी ज़्यादा न करें. शरीर थका होने पर अच्छी नींद नहीं आती, रिलैक्स होने पर आती है. सोने से पहले अगर आप गुनगुने पानी से नहाएंगे, तो शरीर रिलैक्स होगा और आपको अच्छी नींद आएगी.

सिर्फ नींद आना काफी नहीं है. नींद अच्छी आनी चाहिए. बार-बार टूटनी नहीं चाहिए. गहरी नींद आनी चाहिए. नींद ऐसी हो, कि सुबह उठकर आपको आलस नहीं, ताज़गी महसूस हो. अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आपको ध्यान देने की ज़रूरत है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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