किडनी खराब होने का संकेत है चेहरे, गले पर सूजन, ये टेस्ट जरूर करवाएं
जब किडनी ख़राब होने लगती है, तो शरीर में गंदगी और एक्स्ट्रा फ्लूइड इकट्ठा होने लगते हैं. इनकी वजह से शरीर में सूजन आने लगती है. ये सूजन पैरों, हाथों, फेफड़ों, पेट और चेहरे पर दिखाई देती है.
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आपने कभी साइकिल चलाई है? जब साइकिल के पहिए में हवा कम हो जाती है. तब क्या पहिया आपको खुद बोलता है कि भाई, मुझे में हवा कम हो गई है. डलवा दो. वरना मैं ठीक से काम नहीं कर पाऊंगा.
नहीं न. बस पहिए में हवा कम होने पर साइकिल चलाना मुश्किल हो जाता है. बड़ा बल लगाना पड़ता है साइकिल चलाने के लिए.
ठीक यही आपके शरीर के साथ भी होता है. जब किडनियों में दिक्कत आने लगती है. तो वो खुद नहीं बोलतीं. वो आपको सिग्नल देती हैं. संकेत भेजती हैं. ये साइन्स आपके चेहरे, आपके गले पर भी दिखते हैं. इन्हीं संकेतों के बारे में आज हम बात करेंगे. डॉक्टर से जानेंगे कि किडनी ख़राब होने पर चेहरे और गले पर क्या लक्षण दिखते हैं. ये चेहरे और गले पर ही क्यों नज़र आते हैं. फिर पता करेंगे कि किडनी से जुड़े कौन-से टेस्ट आपको करवाने चाहिए, जिनसे पक्के तौर पर पता चलता है कि किडनियों में दिक्कत है. और किडनियां सही-सलामत रहें. इसके लिए क्या करें.
किडनी ख़राब होने पर चेहरे, गले पर क्या लक्षण दिखते हैं?ये हमें बताया डॉक्टर अनुजा पोरवाल ने.

किडनी हमारे शरीर का एक अहम अंग है. इसका काम शरीर से वेस्ट (कचरे) और टॉक्सिंस (हानिकारक पदार्थों) को बाहर निकालना है. साथ ही, किडनी हमारे शरीर के कई अंगों को सपोर्ट करती है. जैसे दिमाग, दिल और हॉर्मोनल सिस्टम. जब किडनी ख़राब होने लगती है, तब शरीर में गंदगी और एक्स्ट्रा फ्लूइड इकट्ठा होने लगते हैं. इनकी वजह से शरीर में सूजन आने लगती है. ये सूजन पैरों, हाथों, फेफड़ों, पेट और चेहरे पर दिखाई देती है.
किडनी के लक्षण चेहरे और गले पर क्यों नज़र आते हैं?- किडनी की बीमारी का एक मुख्य लक्षण है चेहरे पर सूजन आना, खासकर सुबह उठने के बाद.
- अगर सुबह उठकर बाकी अंगों की तुलना में आपके चेहरे और गले पर ज़्यादा सूजन दिखे.
- तब ये किडनी की बीमारी का एक संकेत हो सकता है.
- इसका कारण है शरीर में पानी का बढ़ जाना.
- जब किडनी कमज़ोर हो जाती है, तो वो शरीर से अतिरिक्त पानी को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाती.

अगर आपको किडनी से जुड़ा कोई लक्षण दिख रहा है या आप किडनी की बीमारी के रिस्क पर हैं. तब आपको किडनी की जांच ज़रूर करानी चाहिए. जांच में एक आसान-सा ब्लड टेस्ट किया जाता है, इसे किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT) कहते हैं. इसमें यूरिया और क्रिएटिनिन लेवल चेक किए जाते हैं.
इसके अलावा, एक सिंपल यूरिन रूटीन टेस्ट किया जाता है. अगर इसमें ब्लड या प्रोटीन का लीकेज दिखे, तो ये भी किडनी में ख़राबी की ओर इशारा करता है. अल्ट्रासाउंड से भी किडनी की स्थिति देखी जाती है. अगर दोनों किडनी के साइज़ में फर्क हो या किडनी सही जगह पर न हो या फिर उनकी बनावट में कोई गड़बड़ी दिखे. तब ये भी किडनी की बीमारी का संकेत है. कई बार किडनी की बायोप्सी और कुछ इम्यूनोलॉजिकल मार्कर्स की जांच भी की जाती है ताकि बीमारी का सही कारण पता चल सके.
किडनी की बीमारियों से कैसे बचाव करें?किडनी की बीमारी में बचाव की सबसे अहम भूमिका है क्योंकि किडनी की बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं कर सकते. किडनी की बीमारी के रिस्क फैक्टर्स हैं– डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, दिल की दिक्कतें, किडनी स्टोन, ल्यूपस, वैस्कुलाइटिस, आनुवंशिक बीमारी या किडनी की बनावट में गड़बड़ी. जिन लोगों में ये रिस्क फैक्टर्स हैं, उन्हें रेगुलर अपनी किडनी की जांच करवानी चाहिए. अगर कोई बीमारी निकलती है, तो उसे समय पर पहचानकर स्पेशलिस्ट से इलाज ज़रूरी है.
साथ ही, हेल्दी और पौष्टिक खाना खाएं. रोज़ टहलें और वज़न कंट्रोल में रखें. बिना ज़रूरत लंबे समय तक दवा न लें. शराब और सिगरेट से बचें. अच्छी नींद लें और वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखें ताकि लाइफस्टाइल सही रहे.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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