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क्या हैंड सैनिटाइज़र से कैंसर हो सकता है?

यूरोपीय यूनियन की एक एजेंसी ने इंटरनल रिपोर्ट में इथेनॉल को टॉक्सिक सब्सटेंस यानी ज़हरीला तत्व बताया है. रिपोर्ट में कहा गया कि इथेनॉल से कैंसर और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कॉम्प्लिकेशंस का ख़तरा बढ़ सकता है.

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european union may ban ethanol over cancer and pregnancy risk concerns
एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र में इथेनॉल होता है (फोटो: Freepik)
24 अक्तूबर 2025 (Published: 10:22 PM IST)
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कोविड महामारी के बाद बहुत सारे लोगों ने हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना शुरू किया. खासकर एल्कोहल-बेस्ड. ऐसे सैनिटाइजर्स में इथेनॉल डाला जाता है. इथेनॉल एक तरह का केमिकल है. इसे कीटाणुओं का खात्मा करने के लिए काफ़ी असरदार माना जाता है. पिछले कुछ समय से अस्पतालों में भी इसका इस्तेमाल काफ़ी बढ़ा है. लेकिन एल्कोहल-बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र में डाले जाने वाले इसी इथेनॉल पर यूरोपीय यूनियन बैन लगाने के बारे में सोच रहा है. वजह है, इथेनॉल का कैंसर से कनेक्शन.

अगर बैन लगा, तो सिर्फ हैंड सैनिटाइज़र ही चपेटे में नहीं आएगा. हर बायोसाइडल प्रोडक्ट, जिसमें इथेनॉल होता है, इसकी जद में आएंगे.

बायोसाइडल प्रोडक्ट्स वो होते हैं, जो जर्म्स जैसे बैक्टीरिया, वायरस और फंगस को खत्म करने के लिए बनाए जाते हैं. हैंड सैनिटाइज़र, फर्श साफ करने वाला लिक्विड यानी डिसइन्फेक्टेंट, माउथवॉश, कीटनाशक स्प्रे और एंटीसेप्टिक लोशन, ये सभी बायोसाइडल प्रोडक्ट्स हैं.

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कोविड महामारी के बाद हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ा है (फोटो: Freepik)

यूरोपीय यूनियन की एक एजेंसी है- यूरोपियन केमिकल्स एजेंसी(ECHA). इसके एक वर्किंग ग्रुप ने 10 अक्टूबर को एक इंटरनल रिपोर्ट जमा की. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें इथेनॉल को टॉक्सिक सब्सटेंस यानी ज़हरीला तत्व बताया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि इथेनॉल से कैंसर और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले कॉम्प्लिकेशंस का ख़तरा बढ़ सकता है. इसलिए क्लीनिंग और दूसरे प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

एथेनॉल को बायोसाइडल प्रोडक्ट्स में डालना सेफ है या नहीं, फिलहाल इस पर जांच चल रही है. अगर एक्सपर्ट कमिटी को ऐसा लगता है कि इथेनॉल से कैंसर हो सकता है. या प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशंस बढ़ सकते हैं. तो एथेनॉल की जगह कोई और केमिकल इस्तेमाल करने की सिफारिश की जाएगी. लेकिन अभी फैसला आना बाकी है. जो भी नतीजे आएंगे, यूरोपियन यूनियन उसके हिसाब से फैसला लेगा.

फिलहाल यूरोपियन केमिकल्स एजेंसी की बायोसाइडल प्रोडक्ट्स कमिटी की बैठक 25 से 27 नवंबर के बीच होनी है. देखते हैं, इस बैठक में इथेनॉल की किस्मत का क्या फैसला होता है?

वैसे World Health Organization यानी WHO इथेनॉल को हैंड हाइजीन यानी हाथ साफ करने के लिए सेफ मानता है.

हमने आकाश हेल्थकेयर के डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट में विज़िटिंग कंसल्टेंट, डॉक्टर पूजा चोपड़ा से पूछा कि क्या इथेनॉल हमारी सेहत के लिए नुकसानदेह है? क्या वाकई इससे कैंसर हो सकता है?

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डॉ. पूजा चोपड़ा, विज़िटिंग कंसल्टेंट, डर्मेटोलॉजी, आकाश हेल्थकेयर

डॉक्टर पूजा कहती हैं कि हैंड सैनिटाइज़र या डिसइन्फेक्टेंट में मौजूद इथेनॉल से घबराने की ज़रूरत नहीं है. ये सेफ है. हैंड सैनिटाइज़र में मौजूद इथेनॉल, स्किन की ऊपरी परत पर कीटाणुओं को खत्म करने के लिए बनाया जाता है. ये शरीर में एब्ज़ॉर्व नहीं होता. इसलिए इससे कैंसर जैसी बीमारी का रिस्क बहुत कम या लगभग न के बराबर होता है. इसलिए लोगों को डरने की ज़रूरत नहीं है. ये ज़रूर है कि बार-बार एल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर इस्तेमाल करने से स्किन ड्राई हो सकती है. उसमें खुजली हो सकती है. इसलिए साथ में मॉइस्चराइज़र ज़रूर लगाएं.

इथेनॉल को कार्सिनोजेन यानी कैंसर पैदा करने वाला तब माना जाता है, जब ये लंबे समय तक बड़ी मात्रा में शरीर के संपर्क में रहे या अंदर जाए. जैसे शराब के ज़रिए. लेकिन सैनिटाइज़र और उसके जैसे दूसरे प्रोडक्ट्स में इथेनॉल की मात्रा बहुत कम होती है. WHO और भारत की हेल्थ मिनिस्ट्री, दोनों ही इथेनॉल-बेस्ड सैनिटाइजर को सेफ मानते हैं. इसलिए इससे कैंसर होने के दावों से घबराएं नहीं. वैसे अभी यूरोपीय यूनियन ने भी अपना आखिरी फैसला नहीं सुनाया है.

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