बैड्स ऑफ बॉलीवुड के सीन में रणबीर जो फूंक रहे, उस वेपिंग के नुकसान क्या हैं?
ई-सिगरेट या वेप, बैटरी से चलने वाली डिवाइस है. इसमें एक लिक्विड भरा जाता है. ये बैटरी से जुड़े हीटिंग एलिमेंट की मदद से गर्म होता है और एरोसोल बनाता है.

Aryan Khan की वेब सीरीज़ ‘Bads Of Bollywood’ 18 सितंबर 2025 को रिलीज हो चुकी है. हर तरफ़ इसके चर्चे हैं. सीरीज़ के कई सीन्स काफी फनी हैं और खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. लेकिन इसके एक सीन पर विवाद शुरू हो गया है.
इस सीन में करण जौहर, आन्या सिंह और रणबीर कपूर स्क्रीन पर नज़र आ रहे हैं. होता यूं है कि करण जौहर और आन्या सिंह, जो सीरीज़ में हीरो के मैनेजर का रोल प्ले कर रही हैं, बैठकर बात कर रहे होते हैं. तभी वहां एंट्री होती है रणबीर कपूर की. रणबीर बातों-बातों में आन्या सिंह से उनका वेप मांगते हैं. वेप माने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट. आन्या उन्हें वेप थमाती हैं. फिर थोड़ी देर बाद, रणबीर स्क्रीन पर वेप से धुआं उड़ाते हुए दिखाई देते हैं.

जब ये सब हो रहा होता है, तब स्क्रीन पर कोई वॉर्निंग या डिस्क्लेमर नहीं आता. यही है पूरे विवाद की जड़. आरोप है कि शो में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम, 2019 का उल्लंघन हुआ है. रणबीर कपूर के इस सीन के लिए शो के मेकर्स को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन यानी NHRC से नोटिस मिल चुका है. NHRC ने मुंबई पुलिस को आदेश दिया है कि वो एक्टर रणबीर कपूर, सीरीज़ के मेकर्स और स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म नेटफ्लिक्स के खिलाफ FIR दर्ज करे.
‘बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ के इस सीन के चलते वेपिंग यानी ई-सिगरेट पर भी खूब बात हो रही है. कई लोग इसे नॉर्मल सिगरेट से कम खतरनाक, कम नुकसानदेह मानते हैं. पर सच्चाई इससे कोसों दूर है.
ई-सिगरेट कैसे काम करती है और इससे शरीर को क्या नुकसान पहुंचता है. ये हमने पूछा मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, डॉक्टर शरद जोशी से.

डॉक्टर शरद कहते हैं कि ई-सिगरेट या वेप, बैटरी से चलने वाली डिवाइस है. इसमें एक लिक्विड भरा जाता है. ये बैटरी से जुड़े हीटिंग एलिमेंट की मदद से गर्म होता है और एरोसोल बनाता है. एरोसोल का मतलब है, हवा में तैरते हुए बहुत छोटे-छोटे कण या बूंदें. इस एरोसोल को व्यक्ति सांस के ज़रिए अंदर खींचता है. अंदर यानी फेफड़ों तक. फिर बाहर छोड़ता है.
ई-सिगरेट कई शेप और कई साइज़ में आती है. कुछ USB ड्राइव जैसी दिखती हैं. कुछ पैन, हाईलाइटर, स्मार्टफोन और खिलौनों जैसी. इनके फ्लेवर भी अलग-अलग होते हैं. जैसे कैंडी, मेन्थॉल और मिंट वगैरह.
लोग वेप को लेकर Delulu में रहते हैं कि उन्होंने सिगरेट का Solulu निकाल लिया है. लेकिन ऐसा है नहीं. कुछ ई-सिगरेट में निकोटीन होता है. ये एक केमिकल है, जिसकी लत बहुत तेज़ी से लगती है. निकोटीन सिगरेट में भी पाया जाता है. हालांकि वेप में निकोटीन की मात्रा कम होती है. निकोटीन से दिमाग के विकास पर असर पड़ता है. प्रेग्नेंट महिलाओं और भ्रूण के लिए तो ये बहुत बुरा है ही. निकोटीन से पेट में मौजूद बच्चे के दिमाग और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंच सकता है.
ई-सिगरेट के लिक्विड में कुछ कैंसर पैदा करने वाले केमिकल्स भी हो सकते हैं. जैसे फॉर्मल्डिहाइड, एसेटाल्डिहाइड, बेंज़ीन और अक्राइलोनिट्राइल वगैरह. साथ ही, इसमें निकेल, टिन और लेड जैसे हेवी मेटल्स भी हो सकते हैं. हेवी मेटल्स ऐसे मेटल्स होते हैं, जिनकी थोड़ी मात्रा भी शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है.

ई-सिगरेट में ऐसे महीन कण भी पाए जा सकते हैं, जो फेफड़ों में गहराई तक जाकर, धीरे-धीरे उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें फ्लेवर देने वाले कई केमिकल भी डाले जाते हैं. जैसे डायसेटिल. इसे फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जोड़ा जाता है.
ई-सिगरेट से हार्ट फेल होने का ख़तरा भी कई गुना बढ़ जाता है. साल 2024 में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में एक स्टडी पेश की गई. इस स्टडी के मुताबिक, ई-सिगरेट पीने से हार्ट फेलियर का खतरा 19 फीसदी तक बढ़ जाता है. इसके लिए रिसर्चर्स ने डेढ़ लाख से भी ज़्यादा लोगों के डेटा को पढ़ा. वैसे ई-सिगरेट के नुकसान पर यह पहली रिसर्च नहीं है. इससे पहले भी कई रिपोर्ट्स ई-सिगरेट के संभावित जोखिमों के बारे में बात कर चुकी हैं. जो लोग सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उनके लिए भी ई-सिगरेट पर शिफ्ट होना सही नहीं है, क्योंकि वेपिंग की भी ठीक वैसे ही लत लग जाती है. जैसे स्मोकिंग. तो बता वही की वही हुई.
8 अप्रैल 2024 को World Health Organization यानी WHO ने एक्स पर एक पोस्ट किया था. इसमें बताया गया था कि वेपिंग करने के 24 घंटों के अंदर दौरे पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इससे पहले WHO ने दुनिया के सभी देशों से ई-सिगरेट पर बैन लगाने की मांग भी की थी. साथ ही कहा था कि इसे दूसरे टोबैको प्रोडक्ट्स की तरह ही ट्रीट किया जाए.
सितंबर 2019 में भारत सरकार ने अध्यादेश लाकर ई सिगरेट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था.
जी हां, ई-सिगरेट भारत में बैन है. लेकिन, फिर भी ये मार्केट में उपलब्ध है. किसी न किसी तरीके से लोगों को मिल ही जाती है. पर अगर आप अच्छी और लंबी ज़िंदगी जीना चाहते हैं, तो न तो सिगरेट पिएं. न ही ई-सिगरेट.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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