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पॉल्यूशन से अर्थराइटिस भी हो सकता है? ये रिपोर्ट आपको मास्क पहनने पर मजबूर कर देगी

शरीर के छोटे जोड़ में दर्द होने की वजह रूमेटाइड अर्थराइटिस है. ये एक ऑटोइम्यून बीमारी है. इसमें शरीर खुद का ही दुश्मन बन जाता है.

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air pollution triggering rheumatoid arthritis in people
रूमेटाइड अर्थराइटिस बहुत ही आम तरह का गठिया है (फोटो: Freepik)
9 दिसंबर 2025 (Published: 05:34 PM IST)
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सर्दियां आती हैं. प्रदूषण बढ़ता है और आपका सांस लेना दूभर हो जाता है. खांसी आने लगती है. गले में खराश रहती है. आंखों में जलन होने लगती है. इनके अलावा, एक बीमारी और है, जिसके मामले इस मौसम में बढ़ते ही हैं. वो है अर्थराइटिस यानी गठिया.

आप कहेंगे, इसमें नया क्या है! सर्दियों में जोड़ों में तो दर्द होता ही है. लेकिन ऐसा होता है एक खास तरह के गठिया की वजह से. रूमेटाइड अर्थराइटिस. ये गठिया का बहुत ही आम प्रकार है. इसमें ख़ासतौर पर हाथ-पैरों के छोटे जोड़ों में दर्द होता है.  

rheumatoid arthritis
सर्दियों में रूमेटाइड अर्थराइटिस के मामले बढ़ जाते हैं (फोटो: Freepik)

रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है. यानी इसमें शरीर खुद का ही दुश्मन बन जाता है. इम्यून सिस्टम अपने ही हेल्दी सेल्स पर हमला बोल देता है. इससे शरीर को बहुत नुकसान पहुंचता है. रूमेटाइड अर्थराइटिस में शरीर का इम्यून सिस्टम जोड़ों के टिशूज़ यानी ऊतकों पर अटैक कर देता है. इससे जोड़ों में सूजन, दर्द और जकड़न रहती है. धीरे-धीरे जोड़ ख़राब होने लगते हैं. रूमेटाइड अर्थराइटिस के मामले महिलाओं में ज़्यादा आते हैं.

जब सर्दियों में प्रदूषण का लेवल बढ़ता है. तब अस्पतालों में रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज़ भी बढ़ने लगते हैं. रूमेटाइड अर्थराइटिस बढ़ने का प्रदूषण से क्या कनेक्शन है? ये हमने पूछा मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली में ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट डिपार्टमेंट के डायरेक्टर, डॉक्टर अखिलेश यादव से.

dr akhilesh yadav
(डॉ. अखिलेश यादव, डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट, मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली

डॉक्टर अखिलेश बताते हैं कि वायु प्रदूषण में PM2.5 होता है. PM2.5 यानी पर्टिकुलेट मैटर. ये धूल, मिट्टी, पोलेन यानी पराग और केमिकल के बहुत बारीक कण होते हैं. सांस के ज़रिए ये कण फेफड़ों में पहुंच जाते हैं. फिर खून में मिल जाते हैं. इसकी वजह से शरीर में इंफ्लेमेशन होता है. यानी अंदरूनी सूजन होने लगती है. जोड़ों में भी सूजन हो जाती है.

जो इंसान लंबे अरसे से प्रदूषण में रह रहा है, उसका इम्यून सिस्टम ओवर-एक्टिव हो जाता है. ऐसा होने पर शरीर की इम्यूनिटी, हेल्दी टिशूज़ को दुश्मन समझकर उनपर हमला कर देती है. इससे रूमेटाइड अर्थराइटिस और दूसरी ऑटोइम्यून बीमारियां होने का रिस्क बढ़ जाता है. खासकर उनमें, जिनके परिवार में पहले से ही किसी को ऑटोइम्यून बीमारी है.

रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज़ों में दिक्कत और बढ़ सकती है. उनके लक्षण ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं. इसलिए बहुत ज़रूरी है कि प्रदूषण से बचकर रहें और अपना खास ख्याल रखें.

mask pollution
प्रदूषण में बिना मास्क लगाए बाहर न निकलें (फोटो: Freepik)

इसके लिए क्या करना होगा, बताते हैं.

अगर किसी को रूमेटाइड अर्थराइटिस है, तो प्रदूषण में बाहर निकलने से बचें. अगर बाहर निकलना पड़े, तो पहले अपने एरिया का AQI चेक करें. AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स. अगर ये ज़्यादा है,  तो बाहर जाना अवॉइड करें. अगर जाना ही पड़ रहा है, तो N-95 या N-99 मास्क लगाकर जाएं. N-95 मास्क प्रदूषण के महीन कणों को 95% तक फिल्टर कर देता है. वहीं N-99 मास्क प्रदूषण में मौजूद 99% महीन कणों को फिल्टर कर देता है. अपने घर के खिड़की-दरवाज़े बंद रखें. घर में एयर प्योरिफायर भी लगाएं. दवाएं टाइम पर लें. अगर फिर भी दिक्कत बढ़ती है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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