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'वकीलों ने योगी सरकार की शव यात्रा निकाली', वायरल वीडियो आधा सही, आधा गलत निकला!

Yogi Adityanath सरकार की शव यात्रा निकाले जाने का एक वीडियो वायरल है. इसे हापुड़ में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.

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योगी सरकार के खिलाफ वकीलों के प्रदर्शन का एक वीडियो वायरल है. (तस्वीर: ट्विटर@JyotiDevSpeaks)
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शुभम सिंह
18 सितंबर 2023 (Updated: 18 सितंबर 2023, 15:06 IST)
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दावा:

यूपी के हापुड़ से बीते दिनों वकीलों पर लाठीचार्ज की खबर सामने आई थी. इसको लेकर यूपी बार काउंसिल के अलावा इलाहाबाद हाइकोर्ट बार काउंसिल ने हड़ताल करने का फैसला किया है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें कुछ वकील एक प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाल रहे हैं. वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि वकीलों ने  योगी आदित्यनाथ सरकार की शव यात्रा निकाल कर विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया है.

मिसाल के तौर पर, एक ट्विटर (X) यूजर ने लिखा है, “प्रयागराज में अधिवक्ताओं ने योगी सरकार की शव यात्रा निकाली.#ऑनलाइन_समाजवादी”

(आर्काइव लिंक)
इसके अलावा हमें कई अन्य यूजर के ट्वीट मिलें, जिन्होंने वायरल वीडियो को शेयर किए हैं. 

(आर्काइव लिंक)


पड़ताल

दी लल्लनटॉप की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला.  वकीलों के विरोध प्रदर्शन का वायरल वीडियो करीब चार साल पुराना है.

हमें एक वायरल वीडियो के कमेंट सेक्शन में एक यूजर का कमेंट दिखा, जिन्होंने यह जानकारी दी है कि वायरल वीडियो पुराना है. साथ में उन्होंने अपनी जानकारी का सोर्स भी बताया है. इससे मदद लेते हुए हमने यूट्यूब पर कुछ कीवर्ड सर्च किए. हमें ‘Akhand Bharat TV’ के यूट्यूब चैनल पर 16 सितंबर 2019 को अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. इसमें वायरल वीडियो का हिस्सा देखा जा सकता है.

वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक,इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता रितेश श्रीवास्तव के नेतृत्व में बड़ी संख्या में वकीलों ने योगी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस की मौजूदगी में अम्बेडकर चौराहे हाईकोर्ट से सुभाष चौराहा सिविल लाइंस तक सीएम योगी की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली गई थी.

ट्विटर पर कुछ कीवर्ड सर्च करने पर हमें Rajesh Rang नाम के एक ट्विटर (X) यूजर का 15 अक्टूबर 2019 का एक ट्वीट मिला. इसमें भी वायरल वीडियो मौजूद है.

इससे स्पष्ट है कि वायरल वीडियो हालिया वकीलों के प्रदर्शन का नहीं है. यह चार साल पहले से इंटरनेट पर मौजूद है.

हमें अपनी पड़ताल के दौरान सितंबर 2019 में इस मुद्दे पर पब्लिश हुई कुछ मीडिया रिपोर्ट मिलीं. ‘अमर उजाला’ की वेबसाइट पर 12 सितंबर 2019 को छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन राज्य शिक्षा सेवा अधिकरण को लखनऊ में स्थापित करने के कारण हुआ था. इस फैसले के खिलाफ वकीलों ने योगी की प्रतीकात्मक शव यात्रा निकाली थी. ‘पत्रिका’ की सितंबर 2019 में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वकीलों ने राज्य सरकार से शिक्षा सेवा सहित अन्य सभी अधिकरण प्रयागराज में स्थापित करने की मांग की रखी थी. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस प्रदर्शन से खुद को दूर रखा था.

इसके अलावा मामले की पुष्टि के लिए हमने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट प्रियदर्शी त्रिपाठी से संपर्क किया. उन्होंने भी बताया कि वायरल वीडियो चार साल पुराना है. उन्होंने हमें बताया, “वकीलों के प्रदर्शन का यह वीडियो चार साल पुराना है. यह प्रदर्शन मेरे सामने ही हुआ था. प्रदर्शन कर रहे वकीलों की मांग थी कि शिक्षा सेवा अधिकरण की स्थापना लखनऊ की बजाय प्रयागराज में की जाए.”

नतीजा

कुलमिलाकर, हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला. प्रयागराज में लगभग चार साल पहले किए गए विरोध प्रदर्शन का वीडियो हालिया घटना का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया गया है. 


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वीडियो: पड़ताल: राहुल गांधी के वायरल वीडियो का सच क्या निकला?

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