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लाठीचार्ज के जिस वीडियो को कानपुर का बताया वो कहीं और का निकला!

सोशल मीडिया पर कानपुर हिंसा के बाद पुलिस की कार्रवाई से जोड़कर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. वीडियो में पुलिस लाठीचार्ज करती हुई दिखाई दे रही है.

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वायरल दावे का स्क्रीनशॉट
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अंशुल सिंह
6 जून 2022 (Updated: 6 जून 2022, 05:50 PM IST) कॉमेंट्स
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दावा

सोशल मीडिया पर कानपुर हिंसा के बाद पुलिस कार्रवाई के दावे से जोड़कर एक वीडियो वायरल हो रहा है. 18 सेकेंड का ये वीडियो टॉप एंगल से शूट किया गया है. वीडियो में पुलिस को लोगों पर लाठीचार्ज करते हुए देखा जा सकता है. 
खुद को गुजरात में हिन्दू युवा वाहिनी के प्रभारी बताने वाले योगी देवनाथ ने वायरल वीडियो ट्वीट कर लिखा, (आर्काइव)

आधी रात को कानपुर की गलियों से आती हुई इन विचित्र प्रकार की आवाज़ को ही शास्त्रों में सुकून कहा गया है. जिहादी पत्थरबाजों की अच्छे से खातिरदारी करती हुई बाबाजी की पुलिस.  

न्यूज़ चैनल ABP न्यूज़ ने भी वायरल वीडियो को कानपुर हिंसा की खबर में प्रमुखता से दिखाया था. 4  जून 2022 को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर ABP न्यूज़ ने ब्रेकिंग न्यूज़ के बीच लूप में इस वीडियो को चलाया था.

ABP न्यूज़ के वीडियो में मौजूद वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट.


इसके अलावा फेसबुक पर भी इस वीडियो को यूज़र्स कानपुर से जोड़कर शेयर कर रहे हैं.

फेसबुक पर वायरल वीडियो.

 


पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ ने वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए पड़ताल की. हमारी पड़ताल में वायरल दावा गलत निकला. वीडियो कानपुर से नहीं बल्कि महाराष्ट्र के ठाणे से है. 


वायरल वीडियो को सबसे पहले हमने की-फ्रेम्स में तोड़ा. इसके बाद एक फ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च टूल की मदद से खोजने पर हमें अप्रैल 2020 के कुछ ट्वीट्स मिले जिनमें वायरल वीडियो को इंदौर का बताया गया है.


हालांकि 2020 में भी अलग-अलग मीडिया संस्थानों ने वायरल वीडियो का फैक्ट चेक कर इसे मुंब्रा का बताया था.

यहां से क्लू लेकर हमने जब इंटरनेट पर सर्च शुरू की तो हमें ट्विटर अकाउंट Gems Of Mumbra पर वायरल वीडियो मिला. 28 मार्च 2020 को ट्वीट किए गए इस वीडियो के साथ कैप्शन है,

मुंब्रा पुलिस कोरोना से बचाना चाहते हो या लाठी से मारना चाहते हो आप.

इसके अलावा यूट्यूब चैनल 'Hindustani Reporter' ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए 29 मार्च 2020 को एक रिपोर्ट अपने चैनल पर अपलोड की है. रिपोर्ट के मुताबिक,

'वायरल वीडियो में दिख रही घटना 27 मार्च 2020 को मुंब्रा के कौसा श्रीलंका इलाके में घटी थी. श्री लंका के रशीद कंपाउंड में रेहान पीतलवाला और राजू अंसारी गुट में झड़प होने के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान जो लोग तमाशबीन बन घटनास्थल पर मौजूद थे वो सब भी लाठीचार्ज की चपेट में आ गए. बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों के खिलाफ IPC की धारा 354, 324 और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है.'

साफ है कि वायरल वीडियो का कानपुर से कोई लेना-देना नहीं है.

कानपुर हिंसा पर अपडेट

आपको बता दें कि 3 जून को कानपुर में हुई हिंसा के बाद पुलिस ने पड़ताल लिखे जाने तक 38 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हिंसा में शामिल 40 संदिग्धों का पोस्टर जारी किया है. इसके अलावा पुलिस ने 15 सोशल मीडिया हैंडल्स के खिलाफ FIR भी दर्ज की है.

नतीजा 

हमारी पड़ताल में वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ. वायरल वीडियो दो साल पुराना है और इसका कानपुर हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है. वीडियो महाराष्ट्र के ठाणे जिले में मुंब्रा थाने के अंतर्गत आने वाले कौसा इलाके का है, जहां दो गुटों की आपसी झड़प के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.

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