शशि थरूर को सही जानकारी होती तो भारत की 'पहली' विलेज लाइब्रेरी का वीडियो शेयर ना करते
कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor ने 4 फरवरी को एक वीडियो ट्वीट किया. इसमें एक ग्रामीण पुस्तकालय को दिखाया जा रहा है. सांसद थरूर का दावा है कि यह भारत का एकमात्र और पहला ग्रामीण पुस्तकालय है.
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कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने 4 फरवरी को एक वीडियो ट्वीट किया. वीडियो में एक ग्रामीण पुस्तकालय को दिखाया जा रहा है. लगभग एक मिनट के इस वीडियो में एक महिला लोगों को केरल के पेरुम्कुलम गांव में चल रही लाइब्रेरी से परिचित कराती है. सांसद थरूर का दावा है कि यह भारत का एकमात्र और पहला ग्रामीण पुस्तकालय है.
पड़तालक्या वाकई केरल के पेरुम्कुलम गांव में चल रही लाइब्रेरी भारत की पहली विलेज़ लाइब्रेरी है?
शशि थरूर के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर कई सुधीजनों ने कमेंट करके उन्हें यह अवगत कराया कि यह जानकारी गलत है. यह भारत का पहला ग्रामीण पुस्तकालय नहीं है. इससे मदद लेते हुए हमने गूगल किया. कीवर्ड सर्च करके हमें ‘द मिंट’ के यूट्यूब चैनल पर 2017 का एक वीडियो मिला, जिसमें भारत के पहले लाइब्रेरी विलेज के बारे में विस्तार से बताया गया है.
इसमें महाराष्ट्र जिले के भिलार गांव की ‘पुस्तकांच गांव’ नाम की लाइब्रेरी का जिक्र है. रिपोर्ट के अनुसार, यह भारत का पहला ग्रामीण पुस्तकालय है. इसका उद्घाटन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने 4 मई 2017 को किया था. रिपोर्ट के मुताबिक, यह राज्य मराठी परिषद, महाराष्ट्र सरकार और भीलार गांव के संयुक्त पहल से हुई है.
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‘पुस्तकांच गांव’ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, यह महाबलेश्वर रोड पर पचगनी से लगभग 5 किलोमीटर भिलार के गांव में पुस्तक प्रेमियों के लिए एक पहल की गई है. जहां 12000 से 15000 किताबें गांव में अलग-अलग 22 जगहों पर उनके साहित्य के हिसाब से व्यवस्थित हैं.
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जहां तक बात रही पेरुम्कुलम गांव के पुस्तकालय की तो इसके बारे में हमें ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की जुलाई 2021 की एक रिपोर्ट मिली. इसके मुताबिक, यह भारत का दूसरा ग्रामीण पुस्तकालय है जिसे महात्मा गांधी की याद में शुरू किया गया था. यह केरल की पहली विलेज लाइब्रेरी है और इसका उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने जुलाई 2021 में किया था.
निष्कर्षकुलमिलाकर, साफ है कि शशि थरूर का भारत के पहले ग्रामीण पुस्तकालय को लेकर किया गया दावा भ्रामक है. पहला ग्रामीण पुस्तकालय लगभग 6 साल पहले महाराष्ट्र में खोला गया था.
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