भोले हैं महेंद्र सिंह धोनी को एक लाख की डोनेशन पर ट्रोल करने वाले लोग
जानें धोनी की डोनेशन का पूरा सच.
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Mahendra Singh Dhoni की Donation पर काफी विवाद हुआ था
कोरोना से बचाव के लिए तमाम क्रिकेटरों ने दान किया है. इस कड़ी में अब इंडियन कैप्टन विराट कोहली भी शामिल हो गए हैं. कोहली ने ट्वीट कर बताया कि वे, उनकी पत्नी और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा डोनेट करेंगे. हालांकि इन दोनों ने दान की रकम का खुलासा नहीं किया.
लेकिन इन सबके बीच एक ख़बर ऐसी भी है, जिसे क्लियर करना ज़रूरी है. ख़बर है महेंद्र सिंह धोनी से जुड़ी हुई. इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान. रिपोर्ट आई थी कि धोनी ने पुणे के मुकुल माधव फाउंडेशन को एक लाख रुपये डोनेट किए. यह डोनेशन पुणे में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवारों की मदद के लिए दी गई थी.Anushka and I are pledging our support towards PM-CARES Fund & the Chief Minister's Relief Fund (Maharashtra). Our hearts are breaking looking at the suffering of so many & we hope our contribution, in some way, helps easing the pain of our fellow citizens #IndiaFightsCorona
— Virat Kohli (@imVkohli) March 30, 2020
ख़बर निकली, दूर तक गई. सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी कि धोनी ने सिर्फ एक लाख क्यों दिए? लोगों ने कहा कि 800 करोड़ की नेट वर्थ (कुल संपत्ति) वाले धोनी ने इतनी छोटी रकम क्यों दी? कई लोगों ने इसका मज़ाक भी बनाया. इसी क्रम में खूब चर्चाओं के बाद आया क्लियरेंस का सिलसिला. सेल वाली नहीं, सफाई देने वाली. ये तमाम बातें काफी दिलचस्प हैं. सबके अपने-अपने किस्से हैं. इस स्टोरी में हम इन तमाम किस्सों से आपको रूबरू कराएंगे.
किस्सा क्या है?
धोनी ने एक लाख दान किए. इस किस्से की शुरुआत हुई एक फंडरेजर से. फंडरेजर यानी तमाम लोगों से चंदा लेना. पहले की तरह अब डिब्बा लेकर घर-घर नहीं जाना पड़ता. ये काम ऑनलाइन हो जाता है. ऐसी तमाम वेबसाइटों में से एक, केट्टो पर एक फंडरेजर शुरू हुआ. इसे शुरू किया पुणे के मुकुल माधव फाउंडेशन ने. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित पुणे की मदद करें. इस नाम के फंडरेजर में शुरुआत में 12 लाख, 30 हजार जुटाने का लक्ष्य रखा गया था.
26 मार्च की रात 11 बजकर 41 मिनट पर लिए गए इस Screenshot में आप देख सकते हैं कि धोनी के नाम से एक लाख की डोनेशन दी गई है
धोनी ने इसी में एक लाख का दान किया, ऐसी ख़बरें कई जगह छपीं. ख़बर मिलने के बाद हमने इसकी पुष्टि के लिए वेबसाइट चेक की. वहां धोनी के नाम से एक लाख की डोनेशन दी गई थी. ये डोनेशन किसने दी, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई. इस अपुष्ट ख़बर के बाद से धोनी खूब ट्रोल हुए. लोगों ने कहा कि 800 करोड़ की सम्पत्ति वाले धोनी ने बेहद छोटा दिल दिखाया. लगातार होती ट्रोलिंग के बाद धोनी की पत्नी साक्षी आगे आईं. उन्होंने ट्वीट कर मीडिया को लताड़ा.
फिर क्या हुआ?
साक्षी के आगे आने के बाद एक और तरह की रिपोर्ट आने लगी. कहा जाने लगा कि धोनी ने एक लाख देकर उस एनजीओ का लक्ष्य पूरा कराया. कहा गया कि धोनी ने अपने एक लाख के जरिए. 12 लाख 30 हजार तक पूरे किए. ट्रोल्स को यह समझना चाहिए कि धोनी जैसे इंसान को ट्रोल करना गलत है. धोनी की इंडियन आर्मी से जुड़ी छवि का भी हवाला दिया गया. लोगों ने कहा कि धोनी अगर वर्ल्ड कप में 'बलिदान' ग्लव्स के साथ खेल सकते हैं, तो आपदा में दान भी किया ही होगा.यह भी कहा गया कि धोनी अक्सर दान करते रहते है. धोनी ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जो सबको बताकर दान करें. हो सकता है कि धोनी ने किसी को बिना बताए बड़ी रकम दान कर दी हो. लेकिन यह तमाम बातें सिर्फ अनुमान थीं. ठीक उसी तरह जैसे जनवरी, 2020 तक WHO का अनुमान था कि कोरोना वायरस मनुष्य से मनुष्य में नहीं फैलता. इनमें फैक्ट के नाम पर बस भरोसा था. यकीन था कि माही ने ऐसा किया होगा.I request all media houses to stop carrying out false news at sensitive times like these ! Shame on You ! I wonder where responsible journalism has disappeared !
— Sakshi Singh 🇮🇳❤️ (@SaakshiSRawat) March 27, 2020
सच्चाई क्या है?
भरोसा तो हमें भी था. अपने कैप्टन कूल पर. ट्रोल्स से हम भी ख़फा थे. हमें भी गुस्सा था कि धोनी को ऐसे कैसे ट्रोल किया जा सकता है. उन्होंने भारत को ICC की सारी ट्रॉफी जिताई. टेस्ट रैंकिंग में नंबर वन बनाया. आर्मी के साथ ट्रेनिंग की. अपने साथ हमेशा इंडियन आर्मी की पहचान लेकर चलते हैं, तो ऐसे हीरो की ट्रोलिंग से हमें आया गुस्सा. हमने शुरू की पड़ताल.सबसे पहले तो हम मुकुल माधव फाउंडेशन के फंडरेजर पर गए. वहां हमने पाया कि अब धोनी का नाम लिस्ट से गायब हो चुका था. एक लाख देने वाले बंदे या बंदी के नाम के आगे अब वेल विशर लिखा था. हमने स्क्रीनशॉट लिया. पहले के लिए स्क्रीनशॉट में जहां 253 लोगों ने दान किया था, वहीं ताजा वाले में यह संख्या 323 हो चुकी थी. यानी कई सारे लोग दान करके गए थे. लिस्ट में बाकी के नाम वही थे. बस धोनी का नाम हट चुका था. साथ में लक्ष्य भी बढ़कर 20 लाख का हो चुका था.

27 मार्च की रात सात बजकर 49 मिनट पर लिए गए इस स्क्रीनशॉट में धोनी का नाम गायब हो चुका है. बता दें कि साक्षी का ट्वीट दोपहर दो बजकर 21 मिनट पर आया था.
फिर हमने रांची के लोकल पत्रकारों से पता लगाया. वहां से हमें ख़बर मिली कि माही के परिवार ने ऐसी किसी भी डोनेशन की बात से साफ इनकार किया है. अब हम चौंके. क्योंकि इस किस्से की जड़ ही अब गायब हो चुकी थी. अगर धोनी ने दान किया ही नहीं, तो तमाम जिम्मेदार लोग किस आधार पर उन्हें डिफेंड कर रहे थे? फिर हमने धोनी के दोस्त और उन्हें मैनेज करने वाली कंपनी रीति स्पोर्ट्स के कर्ता-धर्ता अरुण पांडेय से संपर्क साधा.
पांडेय को फोन किया, तो पता चला कि वे विदेश में हैं. ऐसा उनकी कॉलरट्यून ने हमें बताया. हम ठहरे मिडिल क्लास भारतीय. सोचा कि क्यों अगले का पैसा खर्च कराएं. हमने अपनी बात टेक्स्ट मैसेज के जरिए उन तक पहुंचाई. मैसेज डिलिवर्ड हुआ. फिर हमने वही सवाल वॉट्सऐप पर भेजे. वहां मैसेज पहुंचा. पांडेय जी ने मैसेज पढ़ा भी, लेकिन जवाब नहीं दिया. हमने 'केटो' के जरिए मुकुल माधव फाउंडेशन तक भी अपने सवाल पहुंचाए. लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला.
गलती किसकी?
हमारी सारी खोजबीन के बाद यही निकला कि धोनी ने यह दान नहीं किया है. एक लाख के दान पर धोनी को ट्रोल कर रहे लोग नादान हैं. उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. जब कैप्टन कूल ने दान किया ही नहीं, तो दान की रकम पर काहे का हंगामा? अब ये वाली बात तो क्लियर रही. इसके अलावा धोनी कहीं दान करेंगे, तो हम वो ख़बर भी आप तक पहुंचाएंगे.अब तक धोनी ने कोरोना वायरस से बचने की अपील तक क्यों नहीं की?