‘ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है’ इस डायलॉग को बोलने वाला नाइंटीज़ का मज़दूर है. अपने ढाई किलो के हाथ को सींग बनाकर जब वो मरकहे बैल की तरह जुटता था, तो गुंडों के लोहालाट शरीर को अपने मुक्के की गर्मी से पिघलाकर बहा देता था. जब वो कहता: हलक में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा. तो लगता, ये सिर्फ़ कह नहीं रहा, ये हलक में हाथ डाल भी सकता है और कलेजा निकाल भी सकता है. देखें वीडियो