'पद्मावत' पर 4 राज्यों का बैन न भी हटता तो ऐसे देख सकते थे ये फिल्म!
क्यों संजय भंसाली की 'पद्मावत' के बारे में इसके विरोधी शुरू से ही गलत थे.
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"पद्मावत" के एक दृश्य में राजा रतन सिंह के रूप में शाहिद कपूर और पद्मावती के रोल में दीपिका पादुकोण.
हो सकता है 'पद्मावती/पद्मावत' डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की सबसे औसत फिल्म हो, लेकिन ये तय है कि 25 जनवरी को रिलीज होने जा रही ये फिल्म उनकी सबसे ज्यादा चर्चित, विश्लेषित और सबसे ज्यादा देखी जाने वाली मूवी होगी.
लेकिन कैसे? क्योंकि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकारों ने तो फिल्म को बैन कर दिया था.
ये दरअसल साल 2018 है. जब नेटफ्लिक्स, एमेज़न प्राइम, हॉट स्टार जैसे वीडियो प्लेटफॉर्म हैं जिन पर घर बैठे नई-नई फिल्में देखी जा सकती हैं.
ये सब न भी हो तो इरोस नाओ का अपना लाइव स्ट्रीमिंग चैनल है जहां आप 'पद्मावती' देख लेंगे क्योंकि इरोस ही संजय भंसाली की ये फिल्म प्रस्तुत कर रहा है. रिलीज के कुछ दिनों में ये यहां उपलब्ध हो जाएगी.
इरोस नाओ का यूट्यूब चैनल है जहां कुछ दिनों बाद 100 रुपये में पद्मावती देख सकेंगे. घर में या चितौड़ के किसी पहाड़ पर बैठकर. जैसे जिस 'बाजीराव मस्तानी' को रोकने के लिए कोशिशें हुईं थी वो अब 100 रुपये में इस चैनल पर देखी जा रही है.
लाइव स्ट्रीमिंग का ये युग अगर न भी आया होता तो पाइरेसी तो 10-20 साल से है ही. हर छोटे से छोटे कस्बे में पहले सीडी में और आज पेन ड्राइव में 20 रुपये में ऐसी सब 'पद्मावती' देखने को मिल जाती हैं.
बाकी आज तो वो टाइम है जब दिल्ली मेट्रो में या राजस्थान रोड़वेज की बस में बगल वाला/वाली अपने स्मार्टफोन पर एकदम नई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्में एचडी और 720p जैसे सघन प्रिंट में देख रहा/रही होती है. मोबाइल से मोबाइल शेयरइट होती रहती हैं, वो भी फ्री में.
इन सब तरीकों के इतर, लुटेरे टाइप के दर्शक भी हैं जो टॉरेंट कम्युनिटीज़ से 'पद्मावती' मांग लेते हैं. क्योंकि ज्यादा से ज्यादा ये फिल्म 5 या 10 राज्यों में बैन हो जाएगी, लेकिन किसी राज्य में तो लगेगी. पूरे भारत में भी बैन हो जाए (जो भारतीय संविधान के रहते कोई कर नहीं सकता) तो फ्रांस में तो लगेगी. वहीं से होते-होते भारत में पहुंचेगी और फिर फैल जाएगी.
'मोहल्ला अस्सी' का अभी आधिकारिक ट्रेलर तक रिलीज नहीं हुआ है, थियेटर में लगना तो दूर की बात है लेकिन इस फिल्म को अब तक आधा भारत देख भी चुका. (हालांकि अब ये फिल्म भी रिलीज होने जा रही है.)
'पद्मावत' की इतनी चर्चा कर दी गई है कि अब इस फिल्म को न देख पाना लोगों के लिए असंभव सा है. ये इसी से मान सकते हैं कि संजय भंसाली की पिछली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' को लेकर हल्ला हुआ लेकिन इतना ज्यादा नहीं. नतीजतन उसके ट्रेलर को दो साल में 1.40 करोड़ व्यूज़ मिले. 'पद्मावती' सामान्य रूप से बिना हो-हल्ले के रिलीज होती तो उसके व्यूज़ 2 से 2.5 करोड़ हो जाते, लेकिन विरोध की वजह से दो महीने में इसके ट्रेलर को 5.41 करोड़ व्यूज़ मिल चुके हैं. ये फिल्म के आधिकारिक चैनल के व्यूज़ हैं, दर्जनों दूसरे यूट्यूब चैनल भी हैं जिन्होंने इस ट्रेलर को अपने यहां अपलोड किया और उनके करोड़ों व्यूज़ अलग से हैं. बदले हुए नाम 'पद्मावत' के बाद वायाकॉम 18 मोशन पिक्चर्स ने फिल्म का नया ट्रेलर भी रिलीज किया है जिसके एक करोड़ व्यूज़ होने वाले हैं और जो यूट्यूब पर नंबर 1 पर ट्रेंड कर रहा है.
इस फिल्म के दीपिका पादुकोण स्टारर जिस 'घूमर सॉन्ग' को आपत्तिजनक बताने की कोशिश की गई, उसे नतीजतन अब तक 9 करोड़ व्यूज़ सिर्फ ऑफिशियल चैनल पर मिल चुके हैं.
यहां तक कि फेसबुक पर जिन राजपूत ग्रुप्स ने लगातार 'पद्मावती' के खिलाफ प्रचार चला रखा है, उन्होंने भी इसका ट्रेलर जब आया तो शेयर किया. विरोध करने के लिए भी ट्रेलर देखना-दिखाना ही पड़ा.
आगे भी विरोध करना है तो पिक्चर तो देखनी ही पड़ेगी.
बिन देखे कैसे पता चलेगा कि जिस ग्रुप ने पद्मावती और खिलजी के बीच एक प्रेम दृश्य होने का झूठा बहाना करके जयपुर में संजय भंसाली से मारा-पीटी की और राजनीतिक माइलेज लेने की शुरुआत की, वो दृश्य तो इस फिल्म में है ही नहीं. वो लोग पहले ही जानते थे कि ऐसा कोई सीन नहीं है क्योंकि कभी था ही नहीं. फिर इन्होंने अपनी शब्दावलियां बदल दीं. कुछ और झूठ और कुतर्क ले आए. कि इतिहासकारों को दिखाओ, राजपूत प्रतिनिधियों को दिखाओ. सेंसर बोर्ड ने ऐसा भी कर दिया तो फिर विरोध के लिए कुछ और झूठ जारी रख दिया.
अब जब फिल्म रिलीज होगी तो राजपूत पाएंगे कि आज़ाद भारत के इतिहास की ये अकेली फिल्म है जिसने राजपूतों को इस तरह हीरोज़ के रूप में दिखाया है. बल्कि उन्हें इतना ग्लैमराइज़ किया है कि आलोचकों को ये फिल्म अच्छी नहीं लगेगी. शायद नौबत ये आ जाए कि जब भंसाली की इस फिल्म को राजपूतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए बहुत बुरे रिव्यूज़ मिल रहे हों तब सोशल मीडिया पर ये ही राजपूत, भंसाली की रक्षा में आगे आएं.
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