मोदी के अगले पड़ाव वियतनाम से भारत का बड़ा पुराना रिश्ता है
पढ़िए वियतनाम के चंपा राज्य के बारे में.
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फोटो - thelallantop
कहानियों के मुताबिक चंपा को पो नगर नाम की देवी ने बसाया था. बचपन में पो को एक जंगल में छोड़ दिया गया था. एक लकड़हारे ने पो को बेटी की तरह पाला-पोसा था. पो जब बड़ी हो गई तो एक दिन जंगल से चन्दन की एक लकड़ी ले आई. फिर अपने मां-बाप से बोली कि मुझे चीन के राजकुमार से शादी करनी है. मां-बाप बड़े परेशान हुए. पर पो चली गई.


192 ईस्वी में चंपा का राज्य बना था. जब चीन के हान वंश का साम्राज्य टूटा था. चंपा का राज्य 192 से लेकर 1697 ईस्वी तक रहा. चंपा के लोग बड़े हिम्मती थे. चीन के राजा, मंगोल, खमेर और वियतनाम के लोगों के हमले का बहादुरी से सामना किया था. और अपना राज्य बचाए रखा. 3.
चाम बस लड़ाकू ही नहीं थे, धन-सम्पदा भी बहुत थी उनके पास. सोना, चांदी, जवाहरात, मसाले सब था. चीन, ताइवान, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, इंडिया, मिडिल ईस्ट, नार्थ अफ्रीका सबसे व्यापार होता था.

कहा जाता है कि कोलंबस ने अपने आखिरी यात्रा में चम्पा जाने का प्लान बनाया था. वहां की धन-सम्पदा के बारे में सुनकर. 5.
हिंदुस्तान से हिन्दू और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी वहां पहुंचे थे. ईसा से 400 साल पहले से ही चंपा में हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं. पर चाम लोगों के हिसाब से. शिव की मूर्ति में चौड़ी नाक, मोटे होंठ और एक हल्की सी मुस्कान है. ये वहां के लोगों की तरह है.

वहां के आर्किटेक्चर में भी इंडिया की छाप है. वियतनाम के बीच में माई सन नाम की सैंक्चुअरी है. माई सन चंपा राज्य की राजधानी थी. इसमें बहुत सारे हिन्दू मंदिर थे. विष्णु, शिव और कृष्ण को समर्पित. शिवलिंग भी बहुत थे. अब कुल 20 मंदिर बचे हैं. माई सन अब UNESCO की हेरिटेज साइट में आता है.

18वीं शताब्दी में चंपा का राज्य ख़त्म हो गया. 14वीं शताब्दी से इस पर हमले होने लगे थे. 1441 में चंपा के राजा की मौत हो गई. बाकी वियतनाम के राजा ने इस पर हमला कर दिया. फिर भी थोड़ा बहुत चाम राज्य बचा था जो 17वीं शताब्दी में पूरी तरह ख़त्म हो गया. लगभग 1500 साल तक चला था चाम राज्य. 8.
चंपा साम्राज्य के लोग अभी भी कम्बोडिया और वियतनाम के बॉर्डर पर रहते हैं. लगभग दस लाख की जनसंख्या है इनकी. चाम और कम्बोडियन दोनों भाषाएं बोलते हैं. साम्राज्य टूटने के बाद बहुत सारे चाम कंबोडिया भाग गए. वहां उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया. पर अभी भी ज्यादातर चाम हिन्दू ही हैं.
