मोहनजोदड़ो में बड़का बाथटब ही नहीं, और भी गजब की चीजें मिली थीं
मोहनजोदड़ो यानी मौत का टीला. पर इस शहर की खुदाई में मिली हैं ऐसी चीजें जिन्हें देख दंग रह जाओगे-
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फोटो - thelallantop
मदर गॉडेस
इस मूर्ति को हम मदर गॉडेस नाम से जानते हैं. ये मोहनजोदड़ो की देवी है. इस मूर्ति की पूजा की जाती थी. इस मूर्ति के हिसाब से इतिहासकार मानते हैं कि मोहनजोदड़ो के समाज में औरतों की दशा अच्छी थी.
मिट्टी की बैलगाड़ी
ये मोहनजोदड़ो से मिली मिट्टी की बैलगाड़ी है. जिसपर एक आदमी सवारी कर रहा है. इसका मतलब उस वक्त बैलों का यूज सामान ढोने और सवारी करने के लिए होने लगा था.
कांसे की नर्तकी
कांसा समझते हो न. अरे घर में जिसके पुराने बर्तन होते हैं. मेनली इसमें तांबा होता है. और थोड़ा टिन के साथ एलुमिनियम मिलाकर बनाया जाता है. तो ये है कांसे की नर्तकी. नर्तकी बोले तो डांसर. ये कांसे की मूर्ति दो बातें बताती है- पहली ये कि कांसे जैसा जटिल मेटल मोहनजोदड़ो में लोगों को बनाना आता था. दूसरा ये कि मोहनजोदड़ो के लोग मनोरंजन के लिए नाचते-गाते थे. ऐसा नहीं कि ऐसे ही नाच लेते थे. डांस उस टाइम पर एकदम डेवलप आर्ट थी. और डांस के लिए डांसर होती थीं. अलग से. वो भी प्रॉपर ड्रेस होती थी उनकी डांस की. मूर्ति देखो.
चीते वाली मुहर
ये है धारी वाला चीता. एक मोहर पर छपा था. ये मोहर मोहनजोदड़ो की खुदाई में से निकली थी. इसके ऊपर जो दिख रही है. वो है मोहनजोदड़ो की लिखाई. माने लिपि. कहा जाता है कि ये चित्रात्मक है. यानी लिखने की जगह चित्र बनाए जाते थे. जिनका उस वक्त कुछ मतलब होता था. लोग समझते थे पर हम आज तक मतलब नहीं समझ सके हैं.
मोहनजोदड़ो का राजा-पुजारी
ये मोहनजोदड़ो की एकदम विशेष मूर्ति है. इतिहासकारों का अनुमान है कि ये रहा होगा राजा. मगर इसकी ड्रेस देखो. ये पुजारी जैसी है. कुछ लोग इसलिए मानते हैं कि मोहनजोदड़ो में राजा-पुजारी एक ही आदमी होता था. खैर ध्यान से देखो, इसकी दाढ़ी है. पर मूंछ क्लीन शेव है.
मोहनजोदड़ो का सीवर सिस्टम
हर शहर के लोग सीवर की समस्या से जरूर जूझे होंगे. हमारे यहां तो रोज ही सीवर जाम हो जाता था. और उसका पानी रोड पर भर जाता था. रोज सड़क खोद के नई सीवर लाइन डाली जाती है. पर फायदा कुछ नहीं होता. पर मोहनजोदड़ो में देखो नाला बना दिख रहा है न. भैया सड़क वाला तो जानते ही हो. 90 डिग्री पे काटती थी मोहनजोदड़ो शहर में. जिससे अपने आप झाड़ू लग जाता था. वैसे ही सीवर का सिस्टम भी बहुत धांसू था.
पशुपतिनाथ
ये हैं पशुपतिनाथ. नेपाल के मंदिर वाले नहीं. मोहनजोदड़ो वाले. इनकी मूर्ती की तुलना इतिहासकार शिव से करते हैं. कहते हैं यही आगे चलकर शिव के रूप में पहचाने गए. रीजन दिया जाता है कि नंदी नाम का बैल शिव के पास था. फोटो में देखो इनके पास भी एक बैल है. पर इनके पास और भी बहुत से जानवर हैं. शेर, हाथी और गैंडा.
महान स्नानागार
इसको तो फोटो देखके ही पहचान गए होगे. हां, यही है महान स्नानागार. यहां लोग नहाया करते थे. माना जाता है कि इसमें नहलाकर ही लोगों को धार्मिक रूप से शुद्ध किया जाता था. माने जब किसी बाहरी को अपने में शामिल करना हो तो पहले इसमें उसे नहलाया जाता था. यहां सामूहिक रूप से लोग नहाते थे.
मुखौटा
ये एक मुखौटा है जो मोहनजोदड़ो की खुदाई से मिला है. इसकी खास बात ये बताई जाती है कि इसका चेहरा मंगोलाइड है. जैसा चीन के लोगों का होता है. साथ ही ये मोहनजोदड़ो में लोगों की कला और नाटकों की रूचि को भी दिखाता है.
अनाजघर
ये जो फोटो में दिख रहा है न. ये है अनाज रखने की जगह. देख रहे हो कित्ती बड़ी है. पर वैज्ञानिक मानते हैं कि यहां कभी अनाज रखा नहीं गया. कारण ये कि अनाज का कोई अवशेष नहीं मिला है. पर इस अनाजघर को देखकर ये जरूर पता चलता है कि मोहनजोदड़ो के लोगों को खेती आती थी. और उनकी खेती बढ़िया चल रही थी. तभी तो इतना अनाज उगा पाते कि इत्ते बड़े अनाजघर में रखते.