पंजाब में सरकार बनाने के AAP के दावे हवाई नहीं हैं. प्रदेश के बड़े शहर 'सी-वोटर सर्वे' के उन पोस्टरों से पटे हैं, जिनमें AAP की जीत की भविष्यवाणी की गई है. लेकिन बीते कुछ दिनों में अरविंद केजरीवाल की पार्टी के लिए हालात खराब हुए हैं.
पिछले एक-दो महीने में AAP को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. इन घटनाओं के पीछे साजिश हो, कोई राजनीतिक पेच हो, कोई रिपोर्ट हो या अंदरूनी कलह. लेकिन इनसे पार्टी को सच में बड़ा नुकसान हो सकता है.
1. छोटेपुर का बड़ा सपोर्ट
पंजाब में AAP संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर पर बड़ा दिलचस्प आरोप था. सिर्फ 2 लाख रुपये में टिकट बेचने का. कैश लेते हुए उनका वीडियो सामने आया था, जिस पर उनकी सफाई थी कि वे पार्टी चलाने के लिए लोगों से पैसा लेते हैं, ये रिश्वत नहीं है. लेकिन केजरीवाल ने उन्हें तुरंत पार्टी से निकाल दिया. इस तरह उसने एक अहम सिख चेहरा तो खो ही दिया, सुच्चा और उनके समर्थकों के रूप में एक प्रभावशाली गुट पैदा कर लिया जिसका अब एकमात्र मकसद AAP को नुकसान पहुंचाना होगा.
छोटेपुर के समर्थक जब भारी संख्या में प्रोटेस्ट करने उतरे तो AAP को शायद अपनी जल्दबाजी का एहसास हुआ. AAP नेता संजय सिंह को कहना पड़ा कि छोटेपुर अभी पार्टी का हिस्सा हैं और दो सदस्यों की कमेटी अभी मामले की जांच कर रही है. सोमवार को वो संजय सिंह छोटेपुर को मनाने मोहाली में उनके घर भी गए, लेकिन छोटेपुर के तेवर अब नरम होते नहीं दिख रहे.
छोटेपुर कहते हैं कि वो ढाई साल से प्रदेश में AAP को मजबूत बनाने में लगे थे. अब वो चोट खाए हैं. 3 सितंबर से स्वर्ण मंदिर से वो अपना पंजाब दौरा शुरू करेंगे और कार्यकर्ताओं से संवाद करके आगे की रणनीति तय करेंगे.
2. डाडलानी और जैन समाज दोनों को खोया
बॉलीवुड के म्यूजिक कम्पोजर और AAP नेता विशाल डाडलानी को एक ट्वीट महंगा पड़ गया. जैन मुनि तरुण सागर के हरियाणा विधानसभा में प्रवचन पर व्यंग्य करना चाह रहे थे, बैकफायर कर गया. पार्टी ने तुरंत उनको टाइट किया, जिसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया. केजरीवाल ने ट्वीट करके माफी मांगी.
लेकिन तब तक जैन भावनाएं आहत हो चुकी थीं. दिल्ली में केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन हुआ. हालांकि इसके बाद डडलानी ने माफी मांग ली. पार्टी ने तुरंत अपने जैन चेहरे सत्येंद्र जैन को आगे किया. वो चंडीगढ़ में जैन मुनि से मिले और डडलानी के बयान पर मांफी मांगी.
इससे AAP को दोतरफा नुकसान हुए. जैन वोटर्स जिनमें काफी संख्या कारोबारियों की है, नाराज हुए. '5 साल केजरीवाल' जैसे गाने बना चुके और अपने शोज के जरिये भीड़ जुटाने वाले विशाल डाडलानी ने पार्टी से विदा ले ली.
3. सिद्धू के नाम पर हल्ला मचाया, हाथ कुछ न आया
नवजोत सिद्धू ने जोश-जोश में BJP की राज्यसभा सांसदी से इस्तीफा दे दिया. हल्ला हो गया कि अब वो AAP में जा रहे हैं और केजरीवाल ने बड़ा हाथ मारा है. लेकिन सिद्धू ने इसके बाद जो शर्तें रखीं वो केजरीवाल को रास न आईं.
अब सिद्धू भी अटके हैं और साथ में अटकी है पार्टी. उनके न आने से पार्टी को नुकसान शायद न हो, लेकिन आने से जो फायदा हो सकता था, वो नहीं होगा.
सिद्धू जट सिख हैं. पंजाब में 60 फीसदी सिख हैं, जिनमें से 21 फीसदी जट सिख हैं. उनके आने से उम्मीद बंधी थी कि वो पंजाब के रूठे पंथियों को मनाने में कारगर साबित हो सकते हैं. वे शानदार वक्ता हैं, स्टार प्रचारक हो सकते थे. मीडिया में इतना हल्ला होने के बाद भी AAP सिद्धू को झटकने में नाकाम रही. परसेप्शन के गेम में उसने एक अंक तो गंवा ही दिया है.
4. बेजा खर्चे को उजागर करने वाली CAG रिपोर्ट
कॉम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ़ इंडिया (CAG) ने दिल्ली सरकार के खर्चों का ऑडिट किया. देखा कि AAP सरकार ने प्रचार के लिए बहुत सारा पैसा खर्च किया है. 21.62 करोड़ रुपए ऐसे ऐड पर खर्च किए, जिससे पार्टी की इमेज बनाई जा सके. 18.64 करोड़ दिल्ली के बाहर ऐड छपवाने में खर्च किए गए.
CAG ने कहा कि विज्ञापन पर कुल खर्च में से करीब 25 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं हैं.
अब पंजाब और दिल्ली दोनों जगह बीजेपी और कांग्रेस CAG की रिपोर्ट को मुद्दा बना रही हैं. सभी बड़ी पार्टियां विज्ञापन पर बेतहाशा खर्च करती हैं, लेकिन CAG की रिपोर्ट से 'बेजा खर्च' को प्रामाणिकता मिल जाती है. अपने शुरुआती दिनों में CAG रपटों के हवाले से कांग्रेस पर हमला करने वाली AAP के लिए इस CAG रपट को काउंटर करना मुश्किल हो रहा है.
5. दिल्ली में जाम की खबरें, क्या अच्छे दिन हैं
दिल्ली में बारिश के बाद सड़कों पर भरा पानी और उससे हुए ट्रैफिक जाम के लिए भी बीजेपी AAP को दोषी बता रही है. इसके लिए कोई भी दोषी हो, एलजी नजीब जंग हों, या MCD की लापरवाही हो, लेकिन खराब ड्रेनेज सिस्टम का गुस्सा केजरीवाल के खिलाफ निकल रहा है.
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ये वैसा ही है कि कर्नाटक में कोई बच्चा अस्पताल में भर्ती न हो पाए तो लोग कहें कि क्या खाक अच्छे दिन हैं. इसमें लॉजिक मत खोजिए कि इसकी जिम्मेदारी तो एलजी नजीब जंग की है, क्योंकि हाई कोर्ट उन्हें दिल्ली का मुख्य प्रशासक बता चुका है. यह जनता का नैचुरल गुस्सा है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती. पंजाब में AAP पर धब्बा लगाने में लगी शक्तियां सोशल मीडिया पर ये मुद्दा भी उठा रही हैं. कह रही हैं कि उनसे दिल्ली नहीं संभल रहा, पंजाब क्या संभालेंगे.
6. संदीप कुमार की सेक्स सीडी
राजनीति में करियर चौपट करने का सबसे अचूक तरीका है सेक्स सीडी. केजरीवाल के महिला व बाल विकास मंत्री संदीप कुमार के दो वीडियो सामने आए हैं, जिनमें वो दो महिलाओं के साथ अलग-अलग मौकों पर 'आपत्तिजनक' स्थिति में दिख रहे हैं. ABP न्यूज को ये वीडियो 5 बजे मिला. उन्होंने टीवी पर खबर चलाई औऱ 8 बजे केजरीवाल से जवाब मांगा. केजरीवाल ने आधे घंटे में उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया.
आप कहते रहिए कि सहमति से सेक्स 'स्कैंडल' कैसे है, लेकिन नैतिकतावादी देश में इसका सीधा असर छवि पर पड़ता है. और AAP अब तक अपनी छवि के बूते ही कामयाब होती रही है. ये उनकी छवि पर बड़ा बट्टा होगा. विरोधी छोड़ेंगे नहीं.