'शोले' में जय, वीरू, बसंती, गब्बर और ठाकुर की कास्टिंग कैसे हुई?
गब्बर के रोल के लिए तीन उम्मीदवार थे. इस रोल को अमिताभ बच्चन के अलावा संजीव कुमार भी करना चाहते थे.
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15 अगस्त 1975 को एक फिल्म आई. 'शोले'. रिलीज़ के पहले कुछ दिन ये फिल्म भले ही कमाई ना कर पाई हो, लेकिन दो हफ़्तों बाद लगभग हर सिनेमा के चाहने वाले की ज़ुबां पर इस फिल्म की चर्चा थी. लोग सिनेमा हॉल्स में इस फिल्म के डायलॉग्स दोहरा रहे थे. आज भी लोगों को फिल्म के किरदारों के नाम कंठस्थ होंगे. लेकिन क्या आपको पता है? इस पूरी कास्ट को एक साथ लाना इतना आसान नहीं था. 'शोले' के डायरेक्टर रमेश सिप्पी लल्लनटॉप के ख़ास शो 'बैठकी' में आए. फिल्म की कास्टिंग के बारे में जब सवाल किया गया, तो सबसे पहले उन्होंने बसंती के रोल में हेमा मालिनी को कास्ट करने का किस्सा बताया. रमेश सिप्पी ने कहा,
'जब मैं ये रोल लेकर हेमा मालिनी के पास गया तो उन्होंने कहा, 'सीता और गीता' के बाद आप मुझे ऐसा रोल दे रहे हैं? मैंने कहा, रोल तो बढ़िया है लेकिन हां, सीता और गीता की तुलना में छोटा है. इसीलिए आपसे पूछ रहा हूं कि क्या आप करना चाहेंगी? हेमा मालिनी ने कहा, आपकी फिल्म और मैं ना करूं, ऐसा तो हो नहीं सकता.'
अब बात गब्बर की. गब्बर के रोल के लिए तीन उम्मीदवार थे. इस रोल को अमिताभ बच्चन के अलावा संजीव कुमार भी करना चाहते थे और डैनी इस रोल के लिए लगभग फाइनल थे. फिर अमजद खान की कास्टिंग कैसे हुई? जब ये सवाल रमेश सिप्पी से पूछा गया तो इसका जवाब देते उन्होंने कहा,
'अमिताभ बच्चन को रोल अच्छा लगा था लेकिन उन्होंने इस रोल के लिए ज़िद नहीं की. उनको जो रोल ऑफर किया गया, उन्होंने बहुत प्यार से उसके लिए हामी भर दी. डैनी को जब ये रोल सुनाया गया, तो उन्हें भी ये रोल अच्छा लगा और हमने उन्हें साइन कर लिया. जब शूटिंग का समय आया तो डैनी 'धर्मात्मा' की शूटिंग में फंस गए थे. कोशिश की गई कि डैनी किसी तरह ये फिल्म कर लें लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.'
आगे उन्होंने बताया,
'गब्बर के रोल में अमजद खान का नाम सलीम साहब ने सुझाया था. मैंने उन्हें एक प्ले में देखा था. मुझे वो अच्छे एक्टर लगे. जब वो ऑफिस में मुझसे मिलने आए, तो उन्हें देखकर ही लगा कि ये एक कुछ अलग सा चेहरा है और गब्बर के रोल में एकदम फिट हो जाएगा. दो-तीन दिन बाद बुलाकर उनका लुक टेस्ट किया, तो हमें वो बहुत अच्छा लगा.'
'जाओ कह दो गब्बर से, रामगढ़ वालों ने पागल कुत्तों के सामने रोटी डालना बंद कर दिया है'. फिल्म में ये डायलॉग है ठाकुर का. संजीव कुमार ने इस किरदार को पर्दे पर जीवंत किया है. लेकिन फिल्म में ये रोल धर्मेन्द्र करना चाहते थे. उन्हें वीरू का किरदार करने के लिए मनाने का किस्सा भी दिलचस्प है. रमेश सिप्पी ने बताया,
'मैंने धर्मेन्द्र से कहा; आप ठाकुर का रोल करना चाहते हैं तो कीजिए, कहानी फिर आपकी हो जाएगी. अगर आप गब्बर का रोल करना चाहते हैं तो वो कर लीजिए, काफी कलरफुल रोल है. लेकिन हेमा मालिनी नहीं मिलेगी. जिसके बाद धर्मेन्द्र वीरू का किरदार करने के लिए मान गए'.
जय के किरदार के लिए अमिताभ बच्चन पहली चॉइस नहीं थे. उनसे पहले शत्रुघ्न सिन्हा का ज़िक्र हुआ था. लेकिन रमेश सिप्पी इस बात के लिए तैयार नहीं थे. उनका मानना था कि इस फिल्म में पहले से ही चार-चार सुपरस्टार्स हैं. मैं एक और स्टार अगर ले लेता हूं तो मेरे लिए शूटिंग करना और सबको साथ रखना मुश्किल हो जाएगा. फिर आखिरकार अमिताभ फाइनल हुए. ये बात और है कि फिल्म रिलीज़ होते-होते उनकी ‘ज़ंजीर’ और ‘दीवार’ आ चुकी थीं और वो भी बड़े स्टार बन चुके थे. शत्रुघ्न सिन्हा से बड़े.