Netflix की 'IC814' सीरीज में आतंकियों के नाम 'हिंदू या मुस्लिम'? इस मिनट पर क्लियर हो जाएगा
IC814 The Kandahar Hijack Controversy: चर्चा है कि इस सीरीज में आतंकवादियों के नाम बदले गए हैं और उन्हें दयालु दिखाने की कोशिश की गई है.
नेटफ्लिक्स को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने समन जारी किया है (Netflix Summoned). कारण है- हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरीज IC814: The Kandahar Hijack. इस सीरीज में पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह और विजय वर्मा जैसे अभिनेताओं ने काम किया है. अनुभव सिन्हा ने इसे डायरेक्ट किया है. नेटफ्लिक्स इंडिया की कॉन्टेंट प्रमुख हैं मोनिका शेरगिल. न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मंत्रालय ने शेरगिल को इस वेब सीरीज के कथित विवादास्पद पहलुओं पर जवाब देने के लिए 3 सितंबर को पेश होने के लिए कहा है.
ये सीरीज साल 1999 के कंधार हाईजैक पर आधारित है. जिस प्लेन को हाईजैक किया गया, उसके पायलट कैप्टन देवी शरण और पत्रकार श्रींजॉय चौधरी ने बाद में एक किताब लिखी. नाम दिया- 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन्स स्टोरी'. IC814 वेब सीरीज इसी किताब से प्रेरित है.
IC814 को लेकर Netflix को समन24 दिसंबर, 1999 की शाम को पांच आतंकवादी इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC814 में चढ़े. विमान को काठमांडू से दिल्ली आना था. आतंकवादियों ने प्लेन को हाईजैक कर लिया. सीरीज में जो दिखाया गया है, उसे लेकर दावा है कि आतंकवादियों के नाम बदल कर ‘हिंदू’ रख दिए गए हैं. और दूसरा विवाद ये कि आतंकवादियों को संवेदनशील और दयालु दिखाने का ‘प्रयास’ किया गया.
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कंधार हाईजैकिंग के घटनाक्रम के दौरान 6 जनवरी, 2000 को तत्कालीन सरकार ने एक बयान जारी किया. इसमें पांचों हाईजैकर्स के नाम इस प्रकार बताए गए थे-
- इब्राहिम अतहर
- शाहिद अख्तर सईद
- सनी अहमद काजी
- मिस्त्री जहूर इब्राहिम
- शाकिर
हालाकि बयान में ये भी बताया गया था कि आतंकवादियों ने पैसेंजर्स के सामने बात करने के लिए ‘निकनेम’ या ‘कोडनेम’ रखे थे. हाईजैकर्स एक दूसरे को इसी नाम से बुलाते थे. गौरतलब है कि वेब सीरीज में भी हाईजैकर्स एक-दूसरे से इसी नाम से बात करते हैं. ये नाम हैं-
- चीफ
- डॉक्टर
- बर्गर
- भोला
- शंकर
सीरीज का पांचवां एपिसोड. 34 मिनट 24 सेकंड पर एक हाईजैकर के असली नाम का जिक्र आता है. लीड नेगोशिएटर मुकुल मोहन के किरदार में मनोज पहवा आतंकवादियों से बात कर रहे होते हैं. बातचीत अच्छी नहीं चल रही थी. इस दौरान पहवा अचानक से चीफ (हाईजैकर) को उसके असली नाम से बुलाते हैं,
“इब्राहिम मियां, चीफ जी, इब्राहिम मियां.”
असली नाम सुनकर हाईजैकर के चेहरे पर फ्रस्टेशन दिखता है और वो गुस्से में मुक्का मारता है.
अमजद मियां का नाम बार-बार आयापहले एपिसोड के 4:12 मिनट पर तीन आतंकवादियों के बीच की बातचीत दिखाई गई है. इंडियन एंबेसी के अधिकारी रामचंद्र यादव कुछ लोगों के कमरे में चुपचाप माइक्रोफोन लगाते हैं. वो लोग पाकिस्तान से थे, और राम को उन पर शक था. उन लोगों की जो बातचीत रिकॉर्ड होती है, उसमें एक आतंकी अपने साथी का असली नाम ले लेता है. इसमें अमजद मियां नाम के व्यक्ति की बातचीत चीफ और डॉक्टर कोड नेम वाले व्यक्तियों से हो रही होती है. यहां भी अमजद का नाम स्पष्ट लिया गया है. हालांकि, वो प्लेन में मौजूद हाईजैकर्स में से एक नहीं था. लेकिन पूरी सीरीज में उसकी चर्चा कई बार होती है. यानी इस पूरी घटना के पीछे की योजना में उसे शामिल दिखाया गया है.
‘आतंकियों को ह्यूमनाइज किया गया’एक और चर्चा आतंकवादियों को ह्यूमनाइज करने या उन्हें संवेदनशील और दयालु दिखाने को लेकर भी है. इसके कुछ दृश्यों का संदर्भ दिया जा रहा है. जैसे एक सीन में हाईजैकर्स यात्रियों के साथ अंताक्षरी खेल रहे हैं.
Nilesh Mishra ने क्या कहा?स्टोरीटेलर नीलेश मिश्रा ने भी इस हाईजैक पर एक किताब लिखी है. किताब का नाम है- 173 Hours in Captivity. आतंकवादियों को मानवीय दिखाने वाले दावों को लेकर उन्होंने X पर एक पोस्ट किया है. एक यूजर ने सवाल पूछा था कि क्या उन्होंने सच में अंताक्षरी खेली थी. इस पर उन्होंने लिखा है,
क्या है IC814 की पूरी कहानी?"हां, ये मेरी किताब में है. यात्रियों के साथ अनगिनत साक्षात्कारों पर आधारित. बर्गर (एक आतंकी का कोडनेम) ने जिस सेब को काटा था, उसे भूखे यात्रियों के बीच बांटा गया. रुपिन कटियाल (एक यात्री) को बिजनेस क्लास में लाया गया और उसे काटकर मार दिया गया, वो कई दिनों तक मृत पड़ा रहा, जबकि उसकी नवविवाहिता दुल्हन इकॉनमी क्लास में बेखबर बैठी रही. ऐसे कई भयावह और दुखद क्षण थे."
काठमांडू से IC814 को अगवा कर लिया गया. आतंकी विमान को अफगानिस्तान के काबुल ले जाना चाहते थे. लेकिन प्लेन में पर्याप्त ईंधन नहीं था. कैप्टन देवी शरण ने उन्हें समझाया कि प्लेन को दिल्ली में लैंड कराना ही होगा ताकि ईंधन भराया जा सके. लेकिन आतंकी इसके लिए नहीं मानें. उन्होंने प्लेन को लाहौर में लैंड करने की परमिशन मांगी. परमिशन नहीं मिली. तो प्लेन को अमृतसर में लैंड कराया गया. लेकिन आतंकियों को संदेह हुआ तो वहां से भी प्लेन उड़ा ले गए.
प्लेन को लाहौर ले जाया गया. वहां से टेक ऑफ के बाद विमान काबुल होते हुए मस्कट और फिर ओमान तक गया. लेकिन कहीं लैंड करने की परमिशन नहीं मिली. आखिरकार 25 दिसंबर की सुबह करीब 3 बजे विमान दुबई में लैंड हुआ. यहां ईंधन भरे जाने के एवज में 26 यात्रियों को रिहा करने और रुपिन कटियाल का शव वापस करने पर समझौता हुआ. इसके बाद विमान ने अफगानिस्तान में काबुल की तरफ उड़ान भरी. लेकिन काबुल एयरपोर्ट की तरफ से विमान को कंधार ले जाने को कहा गया. 26 दिसंबर की ही सुबह करीब 8 बजे विमान कंधार हवाई अड्डे पर लैंड कर चुका था.
आतंकियों और भारत सरकार के बीच लंबी बातचीत चली. हाईजैकर्स ने मांगों की लंबी लिस्ट दी थी. लेकिन अंत में मसूद अजहर, अहमद ओमार सईद शेख, और मुश्ताक जरगर नाम के आतंकवादियों को रिहा करने पर सहमति बनी. 31 दिसंबर को भारत सरकार ने तीनों आतंकियों को हाईजैकर्स को सौंप दिया और उन्होंने बदले में बंधकों को रिहा कर दिया.
फिलहाल सीरीज पर विवाद जारी है. अब देखना ये है कि नेटफ्लिक्स इंडिया आईबी मिनिस्ट्री को क्या जवाब देता है और मिनिस्ट्री इससे कितना संतुष्ट होती है.
वीडियो: Kandahar Hijack में क्या हुआ था? Web Series पर बवाल क्यों?