फिल्म रिव्यू : मिसिंग
मनोज बाजपेयी, तबु और अन्नू कपूर इसमें लीड रोल में हैं.
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फिल्म 'मिसिंग' के एक सीन में मनोज और तबु.
मॉरिशस में दो लोग मिलते हैं. एक मर्द और एक औरत. दोनों शादीशुदा. औरत के साथ एक बच्ची भी है. अपनी-अपनी शादी से दोनों ही तंग हैं. लेकिन उससे निकल नहीं पा रहे. महिला बताती है कि उसकी बच्ची को बहुत तेज बुखार है और उसके पास कोई ठिकाना नहीं है. आदमी को जो लगता है, उसको अगर किनारे रख दें, तो वो उसकी हेल्प कर देना चाहता है. अपने लिए बुक किए रिजॉर्ट में उन्हें पनाह देकर. वहां पहुंचने के पांच घंटे के अंदर वो बच्ची गायब हो जाती है. यहां से शुरू हुई इस पूरी फिल्म में पुलिस इंवेस्टिगेशन चलती रहती है. इस पुलिस जांच से क्या मिलता है ये तो बाद की बात है, लेकिन फिल्म खत्म होने के बाद आपको जो मिलता है, वो है सीख, समय का बढ़िया इस्तेमाल और पैसा वसूल सीरियस एंटरटेनमेंट.

फिल्म के एक सीन मेंं तबु मनोज बाजपेयी.
फिल्म कई बार थोड़ी बिखरी हुई सी लगती है लेकिन बाद में पता चलता है कि जो हो रहा था वो क्यों हो रहा था. 'मिसिंग' एक साइकोलॉजिकल थ्रिलर है. इसे देखते वक्त आपको कायदे से ध्यान लगाकर देखना पड़ता है. इस दौरान एक कॉल रिसीव करना भी आपको भारी पड़ सकता है. आप कुर्सी की एज़ पर बैठे नाखून चबाते हु्ए सोचते हैं कि अब क्या होगा.
फिल्म में और जो बात कर सकते हैं वो यूं है. इसमें तबु की 'तितली' नाम की तीन साल की बच्ची कहीं लापता हो जाती है. उसे ढ़ूंढने का काम अन्नू कपूर को मिलता है. वो मॉ़रिशस पुलिस में इंस्पेक्टर है. उनका किरदार एक ऐसे पुलिसवाले का है, जो अपने काम से कभी संतुष्ट नही होता. वो कई बार मनोज बाजपेयी के किरदार से पूछताछ करता है. वो जब उससे कुछ पूछता है, तो मनोज का कैरेक्टर भयानक नर्वस होता है. और जितनी बार भी नर्वस होता है, आप उसकी नर्वसनेस फील कर पाते हैं. आपको इन दोनों एक्टर्स के बीच फिल्माए गए हर सीन में मजा आता है. बावजूद इसके कि कोई फनी सीक्वेंस नहीं है. फिल्म के डायलॉग ही उस तरह से बुने और पूछे गए हैं कि आपको सुनते हुए मजा तो आएगा लेकिन उनके जवाब सीरियस होंगे.

फिल्म के एक सीन में अन्नू कपूर.
एक ऐसा ही इंटेरोगेशन सीन फिल्म में है, जहां अन्नू कपूर मनोज से कहते हैं कि वो तबु के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उन्हें अपने रिजॉर्ट लाए थे. क्योंकि उन्होंने उनके कमरे के डस्टबिन में कॉन्डम का पैकेट देखा था. फिल्म में हालांकि वैसा कुछ है नहीं. ये गलत है या सही ये तो सही गलत के पार जो मैदान है, वहीं जाकर पता चलेगा. खैर, यहां पर मनोज पुलिस को बताई अपनी पूरी कहानी बदल देते हैं. और वो सच्चाई बताने लगते हैं. लेकिन इस बार अन्नू उन्हें गलत समझ लेते हैं और कसकर झापड़ रसीद करते हैं. इसके बाद मनोज बाजपेयी का जो रिएक्शन है, वो इस फिल्म में सबसे कमाल है की चीज़ है. तबु को शुरू में देखते हुए आपको लगता है कि वो बहुत कुछ और कर सकती हैं. जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है आप खुद को गलत मानने लगते हैं.

फिल्म के एक सीन में तबु.
'मिसिंग' की कहानी बहुत कमाल नहीं है लेकिन इसका ट्रीटमेंट बहुत उम्दा है.
ये बिना किसी गाने वाली फिल्म है. इसमें आप थ्रिलर का मजा लेने जाते हैं और पूरा लेकर आते हैं. वेब सीरीज़ के ज़माने में इस फिल्म की लंबाई इसका प्लस पॉइंट है. तकरीबन दो घंटे के अंदर ये फिल्म फैलती है और बिना टाइम खराब किए खुद को समेट भी लेती है. इसके आखिरी बीस सेकंड में सबकुछ खुलता है और वहीं से क्रेडिट आने शुरू हो जाते हैं. जो बिलाशक अच्छी बात है.
फिल्म 'मिसिंग' के इर्द-गिर्द जो हो सकता था उसमें से किसी भी चीज़ के मिसिंग होने की शिकायत आप नहीं कर सकते.
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