फिल्म रिव्यू- मालिक
राजकुमार राव की नई फिल्म 'मालिक' कैसी है, जानने के लिए ये पढ़ें ये रिव्यू.

फिल्म- मालिक
डायरेक्टर- पुलकित
एक्टर्स- राजकुमार राव, मानुषी छिल्लर, सौरभ शुक्ला, सौरभ सचदेवा, प्रोसेनजीत चैटर्जी, स्वानंद किरकिरे
रेटिंग- 1 स्टार
***
राजकुमार राव की नई फिल्म 'मालिक' थिएटर्स में रिलीज़ हुई है. रिलीज़ आज हुई है. मगर देखकर लगता है कि इसे कई सालों पहले बनाया जा चुका है. दूसरे एक्टर्स के साथ. एक टिपिकल गैंगस्टर फिल्म, जिसमें कुछ भी नया नहीं है. ये कहानी आप इतनी बार देख चुके हैं कि आप फिल्म से एक कदम आगे चलते हैं. आपको पता है कि अगले सीन में क्या होने वाला है. बुरा तब लगता है, जब आप इस तरह की फिल्मों में राजकुमार राव को देखते हैं. राज को आज के दौर के एक ऐसे एक्टर के तौर पर देखा जाता है, जो हर फिल्म में कुछ नया करने की कोशिश करते हैं. मगर फिर एक 'मालिक' आती है और आपका सारा भरोसा धराशाई हो जाता है.
'मालिक' की कहानी 90 के दशक के इलाहाबाद में घटती है. एक लड़का है दीपक, उसके पिता किसान हैं. वो ज़मींदारों का खेत जोतते हैं, जिन्हें वो मालिक बुलाते हैं. मगर दीपक को खेती वगैरह में इंट्रेस्ट नहीं है. वो कुछ बड़ा करना चाहता है. 'मालिक' बनना चाहता है. एक दिन दीपक के पिता के साथ एक दुर्घटना हो जाती है. दीपक उसका बदला लेने निकलता है. और इसी बदले की आग में वो शहर का सबसे कुख्यात अपराधी 'मालिक' बन जाता है.
हैरत की बात ये कि इस फिल्म को पुलकित ने डायरेक्ट किया है. पुलकित इससे पहले राजकुमार के साथ 'बोस: डेड और अलाइव' जैसी सीरीज़ बना चुके हैं. उनकी पिछली फिल्म थी 'भक्षक'. फिर वो 'मालिक' नाम की एक गैंगस्टर फिल्म बनाते हैं. जो कि राज और पुलकित, दोनों का ही 'मास' सिनेमा में पहला काम है. 'मास' शब्द के साथ कुछ मजबूरियां नत्थी होकर आती हैं. मसलन, आपको दर्शकों के बड़े तबके तक पहुंचना है. इसलिए आपका सिनेमा बेदिमाग होना चाहिए. ताकि आपकी फिल्म टियर 3 सिटीज़ और सिंगल स्क्रीन्स से पैसे कमा सके. आपको उसमें कुछ भी नया ट्राय करने का जहमत नहीं लेना है. एक हीरो होगा, जिसके पास कुछ अथाह शक्तियां होंगी. वो कुछ भी कर सकता है. मगर मर नहीं सकता.
ये फिल्में एक तय टेंप्लेट पर बनती हैं, जो कुछ यूं है-
* एक लड़का होगा, जिसकी अपने पिता से नहीं बनती. इसलिए वो बड़ा होकर गुंडा बनेगा.
* इस बात से उसका पूरा परिवार खफा रहेगा. पिताजी तो बात ही नहीं करेंगे.
* इस सबके बीच एक आइटम नंबर होगा.
* हीरो की पत्नी होगी, जो उसे पुलिस के पास सरेंडर करने को कहेगी.
* जैसे ही हीरो उसकी बात मानेगा, उसकी पत्नी के साथ कुछ अनहोनी हो जाएगी.
* पत्नी के गुज़रने से पहले या गुज़रने के ऐन बाद हीरो को पता चलेगा वो पत्नी प्रेग्नेंट थी.
* अब अपनी पत्नी और अनबॉर्न बच्चे का बदला लेने के लिए वो बहुत सारे लोगों का कत्ल करेगा.
* दी एंड.
'मालिक' इसमें किसी भी चीज़ को बदलने की कोशिश नहीं करती. न ही कुछ नया जोड़ती है. डिट्टो यही फॉरमैट उठाकर आपके सामने लाकर पटक देती है. हीरो के प्रेज़ेंटेशन तक पर कोई मेहनत नहीं की गई. तिस पर ये फिल्म चलती ही जाती है. जब आपको लगता है कि सब खत्म हो गया, तभी एक 'अग्निपथ' के गणेश विसर्जन नुमा सीक्वेंस आ जाता है. खत्म होते होते 'मालिक' आपको इस डर के साथ छोड़ जाती है कि इसका सीक्वल भी आ सकता है. खोखले किस्म का सिनेमा, जिसके पास न कुछ नया कहने को है, न दिखाने को.
वीडियो: मूवी रिव्यू: जानिए कैसी है आमिर की नई फिल्म 'सितारे जमीन पर'?