KK के चेहरे और सिर पर मिले चोट के निशान, पुलिस ने दर्ज किया अप्राकृतिक मौत का केस
KK कलकत्ता के एक कॉलेज फेस्ट में परफॉर्म करने पहुंचे थे. मगर होटल पहुंचते ही वो बेहोश होकर गिर पड़े. मगर अब इस मामले में कोई नया ट्विस्ट आता नज़र आ रहा है. ऑटोप्सी के बाद पुलिस पूछताछ करेगी.

31 मई की रात मशहूर सिंगर KK का निधन हो गया. केके एक कॉन्सर्ट के लिए कोलकाता गए हुए थे. जैसे ही उनका प्रोग्राम खत्म हुआ, वो अपने होटल पहुंचे. ग्रैंड होटल पहुंचते ही वो बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें तत्काल एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कोलकाता पुलिस ने इस मामले में अन-नैचुरल डेथ का केस दर्ज किया है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक केके के चेहरे और सिर पर चोट के निशान पाए गए हैं. केके 53 साल के थे.
1 जून को कलकत्ता के ही SSKM अस्पताल में केके की ऑटोप्सी की जाएगी, जिससे उनकी मौत के असल कारणों का पता लग पाएगा. इसके बाद पुलिस ग्रैंड होटल के स्टाफ और कॉन्सर्ट के ऑर्गनाइज़र्स से पूछताछ करेगी. KK के गुज़रने के बाद उनके आखिरी कॉन्सर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें वो अपना चर्चित गाना 'हम रहें न रहें' गाते सुने जा सकते हैं, जिसे सुनकर ऑडियंस काफी भावुक नज़र आ रही है.
KK ने अपने फिल्मी सिंगिंग करियर की शुरुआत 1996 में आई तमिल फिल्म 'कढ़ल देसम' से की थी. इस फिल्म में उन्होंने ए.आर. रहमान के कंपोज़ किए 'कल्लुरी सलाई' और 'हल्लो डॉक्टर' जैसे गाने गाए थे. ये वही फिल्म है, जिसके साउंडट्रैक का हिस्सा 'मुस्तफा मुस्तफा' गाना भी था. इसी फिल्म से तबू ने अपने तमिल फिल्म करियर की शुरुआत की थी.
गुलज़ार की फिल्म 'माचिस' का गाना 'छोड़ आए हम वो गलियां' केके के करियर का पहला हिंदी गाना था. हालांकि इस गाने को उन्होंने हरिहरन, सुरेश वाडकर और विनोद सहगल के साथ मिलकर गाया था. केके को पॉपुलैरिटी मिली 'हम दिल दे चुके सनम' के गाने 'तड़प तड़प के' से. इस्माइल दरबार की इस कंपोज़िशन को उन्होंने डॉमिनिक सेरेजो के साथ मिलकर गाया था. केके का आखिरी गाना फिल्म '83' में आया था. रणवीर सिंह की कबीर खान डायरेक्टेड इस फिल्म के लिए केके ने 'हौसले' नाम का गाना गाया था.
केके ने अपने करियर की शुरुआत ऐड फिल्म्स के लिए जिंगल गाने से की थी. आगे उन्होंने अपने करियर में हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी समेत 10 से ज़्यादा भाषा की फिल्मों में हज़ारों गाने गाए. मगर उनके गाए दो गाने 'पल' और 'यारों दोस्ती' बेहद खास रहे. किसी स्कूल या कॉलेज का फेयरवेल इन गानों के बिना पूरा नहीं होता था. इनफैक्ट 31 मई को भी वो कलकत्ता के सर गुरुदास महाविद्यालय कॉलेज के फेस्ट में पहुंचे थे. उन्होंने नज़रुल मंच नाम के ऑडिटोरियम में परफॉर्म किया. मगर यहां से लौटते ही उनकी तबीयत बिगड़ी और उनकी डेथ हो गई.
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