The Lallantop
Advertisement

फिल्म रिव्यू- जाट

Gadar 2 की अपार सफलता के बाद Sunny Deol की नई फिल्म Jaat कैसी है, जानने के लिए पढ़िए ये रिव्यू.

Advertisement
jaat, sunny deol,
'जाट' के डायरेक्टर गोपीचंद मलिनेनी की ये पहली हिंदी फिल्म है.
pic
श्वेतांक
10 अप्रैल 2025 (Updated: 10 अप्रैल 2025, 09:32 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

फिल्म- जाट 
डायरेक्टर- गोपीचंद मलिनेनी
एक्टर्स- सनी देओल, रणदीप हुडा, विनीत कुमार सिंह, सैयामी खेर, रेजिना कसांड्रा, उपेंद्र लिमये 
रेटिंग- 2 स्टार
*** 

सनी देओल लंबे समय से एक अदद हिट फिल्म की तलाश में थे. उनकी वो मुराद पूरी हुई 'गदर 2' से. ये फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी हिट बनी. हालांकि 'गदर 2' एक अच्छी फिल्म होने की कसौटी पर खरी नहीं उतर पाई. ये बात सिर्फ 'गदर 2' के संदर्भ में नहीं है. इन दिनों हमारे यहां जितनी भी फिल्में बन रही हैं, उनका मक़सद एक अच्छी फिल्म होना है ही नहीं. उन्हें 'ब्लॉकबस्टर' होने के लिए ही बनाया जाता है. चाहे उसके लिए मेकर्स को किसी भी हद तक जाना पड़े. हमारे यहां वो फिल्में नहीं बनतीं, जो मेकर्स बनाना चाहते हैं. अब वो फिल्में बनाई जाती हैं, जो पब्लिक देखना चाहती है. सनी देओल की नई फिल्म 'जाट' भी इसी फॉर्मूले पर बनी है. इस फिल्म की खास बात ये है कि ये नॉर्थ और साउथ इंडस्ट्री की मिली-जुली पहल है. और जिस तरह से इस फिल्म को बरता गया है, ये चीज़ उसमें नज़र भी आती है.

अगर 'जाट' को बुनियादी तौर पर समझना चाहें, तो एक आदमी के ईगो की कहानी है. एक नॉर्थ इंडियन जाट आदमी भारत भ्रमण पर निकला है. उसकी यात्रा का अगला पड़ाव है आंध्र प्रदेश. वहां पहुंचकर वो एक ढाबे पर इडली खाने बैठता है. तभी वहां कुछ गुंडे आते हैं. जिनसे टक्कर में जाट के प्लेट की इडली गिर जाती है. वो उन लोगों से माफी मांगने को कहता है. गुंडे ज़ाहिर तौर पर ऐसा करने से मना कर देते हैं. इसके बाद जाट का दिमाग फिर जाता है. एक चेन रिएक्शन शुरू होता है. जो जाट को राणातुंगा नाम के क्रिमिनल तक लेकर जाता है. राणातुंगा, जाट को 'सॉरी' बोलकर मामला खत्म कर लेता है. मगर पिक्चर इंटरवल में तो खत्म नहीं हो सकती. इसलिए अब जाट, उस इलाके के लोगों को राणातुंगा के ताप से बचाने में जुट जाता है. और फिर शुरू होती है उसके दुश्मनों और स्क्रीनप्ले की ऐसी-तैसी.

सबसे पहले हम आपको ये बता दें कि उस किरदार को हम किसी जाति सूचक शब्द से नहीं बुला रहे. क्लाइमैक्स से पहले तक उस किरदार को सब लोग जाट ही बुलाते हैं. क्योंकि किसी को उसका नाम नहीं पता. मगर जाट के अलावा फिल्म के सभी पात्रों की बैकस्टोरी हमें बताई जाती है. एक कहानी शुरू होती है. जाट उसमें शामिल लोगों को पीटकर आगे बढ़ जाता है. फिर नया दुश्मन. नए तरीके की कुटाई. ये पूरी फिल्म इसी फॉरमैट पर चलती है. मगर मेकर्स को लगता है कि अब पब्लिक इतनी भी बेवकूफ नहीं रही. उन्हें इस मार-काट के लिए कोई ठोस वजह देनी पड़ेगी. इसलिए दर्शकों को सोशल मैसेजिंग नाम का खिलौना पकड़ा दिया जाता है. महिला सशक्तिकरण से लेकर देशभक्ति और ऐतिहासिक घटनाओं का ज़िक्र किया जाता है. फर्क बस ये है कि इस बार दुश्मन पाकिस्तान की बजाय श्रीलंका है. 
   
'जाट' का फर्स्ट हाफ फिर भी एंटरटेनिंग है. मगर दूसरे हाफ में जब फिल्म थोड़ी गंभीर होनी शुरू होती है, तब चीज़ें बिल्कुल ही बिखरने लगती हैं. लूज़ एंड्स को कसने की कोशिश की जाती है. मगर वो कन्विंसिंग नहीं लगता. फिर मेकर्स इमोशन नाम का रामबाण इस्तेमाल करते हैं. तमाम सिनेमैटिक टूल्स का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए होता है, ताकि हीरो को एक पर्पस दिया जा सके. ताकि दर्शकों को पता चले कि वो जो कुछ भी कर रहा है, वो क्यों कर रहा है. जबकि उसका उस पूरे प्रकरण से कोई लेना-देना भी नहीं है.

'जाट' में तमाम खामियां हैं. मगर सनी देओल उसमें शामिल नहीं हैं. इस उम्र में भी उनकी स्क्रीन प्रेजेंस आपको हैरान करती है. एक्शन सीक्वेंस में भी वो कतई कंफर्टेबल लगते हैं. कहीं ऐसा नहीं लगता कि उनकी बॉडी स्टिफ हो गई है. रणदीप हुडा ने फिल्म में राणातुंगा नाम के विलन का रोल किया है. जो हर छोटी चीज़ पर लोगों का सिर काट देता है. रणदीप के हिस्से बमुश्किल फिल्म में 4 या 5 डायलॉग्स होंगे. बावजूद इसके वो सनी देओल के सामने एक बेहतर विलन साबित होते हैं. विनीत कुमार सिंह ने राणातुंगा के छोटे भाई कोमुली का रोल किया है. विनीत उस किस्म के एक्टर हैं, जिन्हें आप किसी फिल्म में डाल दीजिए, वो सेट हो जाते हैं. आपको इसी साल का उदाहरण देते हैं. 2025 में उनकी तीन फिल्में रिलीज़ हो चुकी हैं. पहली फिल्म में वो कवि बने थे. दूसरी फिल्म में राइटर. और तीसरी फिल्म में वो गुंडा बने हैं. उपेंद्र लिमये एक बार फिर छोटे से मगर मज़ेदार रोल में दिखलाई पड़ते हैं. सैयामी खेर, जगपति बाबू और जरीना वहाब भी इस फिल्म का हिस्सा हैं. मगर उनके हिस्से परफॉरमेंस का स्कोप नहीं था.

'जाट' एक टिपिकल सनी देओल फिल्म है. इस फिल्म से इससे कुछ भी ज़्यादा होने की उम्मीद रखना बेमानी है. अंग्रेज़ी में जिसे नो ब्रेनर कहते हैं. ये फिल्म क्या करना चाहती है, वो सनी देओल खुद आपको चिल्ला-चिल्लाकर बताते हैं- "इस ढाई किलो के हाथ की गूंज नॉर्थ सुन चुका है, अब साउथ सुनेगा."      

 

वीडियो: मूवी रिव्यू: कैसी है सलमान की सिकंदर?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement