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हंता वायरस को लेकर जो अल्लड़-बल्लड़ बोल रहे हैं, उन्हें यह पढ़ा दीजिए

कोरोना के साथ ही हंता वायरस को लेकर खूब बात हो रही है.

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फोटो: रॉयटर्स
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24 मार्च 2020 (Updated: 25 मार्च 2020, 02:42 PM IST) कॉमेंट्स
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41 साल के स्कंद शुक्ला मूलतः उत्तरप्रदेश के बांदा जिले से हैं. पढ़ाई-लिखाई मेरठ से की. एमबीबीएस और एमडी की. बाद में इंदिरा गांधी पीजीआई से इम्यूनोलॉजी में डी. एम. किया. मौजूदा वक्त में लखनऊ में गठिया रोग विशेषज्ञ के रूप में काम करते हैं. लिखने-पढ़ने का बोरा भर इंट्रेस्ट है. 'परमारथ के कारने...' , 'अधूरी औरत' जैसी किताबें लिख चुके हैं. अभी हंता वायरस को लेकर लिखा है. पढ़िए. स्कंद से उनके ई मेल shuklaskand@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है.


चीन से कुछ खबरें एक दूसरे विषाणु, हंता वायरस-संक्रमण की आ रही हैं. एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है और 30 से अधिक लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं. सोशल मीडिया पर इस खबर से ज़ाहिर तौर पर परेशान लोगों की अकुलाहट और बेचैनी बढ़नी थी.
हंता वायरस कोई एक विषाणु नहीं है, अनेक विषाणुओं का एक समूह है. चूहों की अलग-अलग प्रजातियों को ये वायरस संक्रमित करते हैं, पर उनमें रोग उत्पन्न नहीं करते. विज्ञान का ऐसा मानना है कि ये विषाणु चूहों की प्रजातियों के साथ ही लाखों सालों से विकसित होते रहे हैं. यह एक किस्म का को-इवॉल्यूशन है. एक ऐसा साहचर्य, जिसमें दोनों एक-साथ बिना किसी को हानि पहुंचाए रह सकते हैं.
किन्तु इन संक्रमित चूहों के मल-मूत्र या लार के संपर्क में आने से मनुष्यों में भी ये हंता वायरस पहुंच सकते हैं. इंसानी शरीर के भीतरी अंगों में इनके कारण दुष्प्रभाव पैदा हो सकते हैं. फेफड़ों और गुर्दों को ये विषाणु अधिक प्रभावित करते हैं. हंता वायरस से आम तौर पर दो रोग होते हैं- हेमरेजिक फ़ीवर विद रीनल सिंड्रोम और हंता वायरस पल्मोनरी सिंड्रोम. हालांकि ये बीमारियां काफी रेयर हैं लेकिन इनकी वजह से मरीज़ों की मृत्यु भी हो सकती है.
Hanta Virus
फोटो: रॉयटर्स

हंता वायरस-रोगों का संक्रमण एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में होना बहुत मुश्किल है. ऐसा न के बराबर मामलों में देखा गया है. इन विषाणुओं का संक्रमण तभी संभव है, जब कोई मनुष्य किसी संक्रमित चूहे के मल-मूत्र या लार को सूंघ कर फेफड़ों में प्रविष्ट करा ले. चूहों के काटने, संक्रमित चूहों के मल-मूत्र-लार से युक्त किसी वस्तु को छूने अथवा ऐसे संक्रमित भोजन खाने से से भी इन विषाणु-रोगों का होना पाया गया है.
बुखार, बदन दर्द, खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षणों वाले इन रोगों के कारण मरीज़ों में ब्लड प्रेशर का गिरना, शॉक और गुर्दों का फेल होने जैसी चीज़ें पाई जा सकती हैं. हंता वायरस की वजह से होने वाले हेमरेजिक बुखारों की मृत्यु दर 30 प्रतिशत से भी ऊपर पायी गई है.
हंता वायरस-सम्बन्धित संक्रमणों की मनुष्य-से-मनुष्य में पहुंचने की आशंका न के बराबर है. इसलिए वर्तमान कठिन समय में चीन में पुष्ट हुए कुछ मामलों के आधार पर यहां जनता को घबराए बिना कोरोना-विषाणु-सम्बन्धित पैंडेमिक के लिए अपने रोकथाम के उपायों पर अमल करते रहना चाहिए.


विडियो- कोरोना वायरस में इस्तेमाल हो रहे शब्दों के मतलब आपको जानने चाहिए

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