तमिल एक्टर ने सेंसर बोर्ड पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, अब सरकार की कही ये बात CBFC की नींद उड़ा देगी
साउथ एक्टर विशाल ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाया कि उन्हें अपनी फिल्म 'मार्क एंटनी' के हिंदी वर्जन को पास करवाने के लिए 6.5 लाख की घूस देनी पड़ी थी. अब इस पर बवाल मचा हुआ है.

तमिल एक्टर-प्रोड्यूसर Vishal ने हाल ही में सेंसर बोर्ड पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. आरोप ये कि उन्हें अपनी तमिल फिल्म 'मार्क एंटनी' के हिंदी वर्जन को पास कराने के लिए घूस देनी पड़ी. उन्होंने 6.5 लाख रुपए का भुगतान किया. इसके बाद उनकी फिल्म के हिंदी वर्जन को स्क्रीनिंग की इजाज़त दी गई. उनके इन आरोपों पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय का जवाब भी आ गया है. इसमें भ्रष्टाचार में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही गई है.
विशाल ने Central Board of Film Certification (CBFC) यानी सेंसर बोर्ड के मुंबई ऑफिस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. इस आरोप पर आईबी मिनिस्ट्री ने 29 सितम्बर को सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी. इसमें कहा गया है कि करप्शन को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी फॉलो की जाएगी. मंत्रालय के X (पहले ट्विटर) अकाउंट से लिखा गया,
“एक्टर विशाल ने CBFC में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती है और इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को आज ही जांच करने के लिए मुंबई भेजा गया है.”
ये भी पढ़ें: अनुभव सिन्हा की 'भीड़' का सेंसर सर्टिफिकेट वायरल, CBFC ने काटे फिल्म से ये 13 सीन/डायलॉग
बात यहां तक ठीक थी. ऐसा होता भी है. कोई सरकारी संस्थाओं पर आरोप लगाता है और सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कहती है. कार्रवाई होना या न होना ये अलग बात है. इस बार आईबी मिनिस्ट्री एक कदम और आगे निकल गई. उसने सेंसर बोर्ड की मुश्किलें बढ़ाने वाली बात कही है. मिनिस्ट्री ने बाक़ी पीड़ित लोगों से भी CBFC के खिलाफ शिकायत करने की गुज़ारिश की. X अकाउंट से लिखा गया,
“हम सभी से गुज़ारिश करते हैं, वो सीबीएफसी के उत्पीड़न के दूसरे उदाहरणों की जानकारी jsfilms.inb@nic.in पर देकर मंत्रालय का साथ दे सकते हैं.”
इससे पहले विशाल ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो पोस्ट किया. इसमें उन्होंने सेंसर बोर्ड पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि उन्हें अपनी हालिया फिल्म 'मार्क एंटनी' के हिंदी वर्जन को पास करवाने के लिए 6.5 लाख की घूस देनी पड़ी थी. उन्होंने आरोप लगाते हुए लिखा,
“करप्शन सिल्वर स्क्रीन पर दिखाया जाना ठीक है. लेकिन असल जिंदगी में नहीं. हजम नहीं हो रहा. खासकर सरकारी दफ्तरों में. और CBFC मुंबई ऑफिस में तो और भी बुरा हो रहा है. मुझे मेरी फिल्म मार्क एंटनी के हिंदी वर्जन के लिए 6.5 लाख का भुगतान करना पड़ा. स्क्रीनिंग के लिए 3 लाख और सर्टिफिकेट के लिए 3.5 लाख. अपने करियर में कभी भी इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा.”
विशाल ने आगे लिखा,
“मैं इसे महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के ध्यान में ला रहा हूं. ऐसा मैं सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि फ्यूचर प्रोड्यूसर्स के लिए कर रहा हूं. मेरी मेहनत की कमाई भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई?”
विशाल ने बाकायदा उन दो लोगों का नाम और अकाउंट नम्बर भी बता दिया, जिनको उन्होंने पैसे दिए. जीजा राम को उन्होंने दिए 3.5 लाख और एम. राजन को दिए 3 लाख.

बहरहाल, आईबी मिनिस्ट्री के बाद इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ने CBFC के चेयरपर्सन प्रसून जोशी को एक लेटर लिखा है. और उनसे भ्रष्टाचार के आरोपियों पर एक्शन लेने को कहा है.
बाक़ी आगे जो भी एक्शन लिया जाएगा. हम आपको इसका अपडेट देते रहेंगे.
वीडियो: दिलजीत दोसांझ और अर्जुन रामपाल की फिल्म के लिए सेंसर बोर्ड ने कहा: सिखों को कट्टरपंथ की ओर मोड़ देगी