फ़िल्म रिव्यू: रोहित शेट्टी, गाड़ियां उड़ाना जेसन बोर्न से सीखो!
फ़िल्म रिलीज़ हुई है. जेसन बोर्न. अब भी खुद को ढूंढ रहा है. पढ़ें फिल्म रिव्यू.
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फोटो - thelallantop
जेसन बोर्न.
बोर्न आइडेंटिटी, बोर्न सुप्रीमेसी, बोर्न अल्टिमेटम और बोर्न लेगसी के बाद बोर्न सीरीज़ की पांचवी फ़िल्म आई है. नाम है जेसन बोर्न.
फ़िल्म का नाम ही बहुत कुछ कहता है. देखें तो ये सिर्फ़ लीड कैरेक्टर का नाम भर है. पिछली फिल्मों के टाइटल में मात्र बोर्न होकर उसके साथ एक पोस्टफ़िक्स होता था. मगर इस बार जेसन बोर्न का नाम है. पिछली फिल्मों में जब जेसन बोर्न खुद को और खुद से जुड़ी सच्चाई को ढूंढ रहा था तो इस फ़िल्म में जेसन बोर्न उस सच्चाई के और भी नज़दीक पहुंच पाता है. फ़िल्म की कहानी अब भी वही है. जेसन बोर्न अपनी असलियत जानना चाहता है. अमरीकी एजेंसी सीआईए नहीं चाहती कि जेसन को ये मालूम चले कि वो कौन है और ऑपरेशन ट्रेडस्टोन क्या है. इसके लिए दोनों ही पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक देती हैं.
Tommy Lee Jones
जेसन बोर्न यानी मैट डेमन की मदद करने वाली निकी पार्सन्स को जेसन और ट्रेडस्टोन की सारी असलियत मालूम चल जाती है. वो किसी भी तरह से जेसन तक उस इनफॉर्मेशन को पहुंचाना चाहती है. जिसे किसी भी तरह से सीआईए के डायरेक्टर रॉबर्ट ड्यूवी रोकना चाहते हैं. इसी दौरान एंट्री होती है सीआईए के साइबर ऑपरेशन सेल की हेड हीथर ली की. जेसन के बारे में और उनकी फ़ाइल पढ़ने के बाद हीथर चाहती हैं कि जेसन दोबारा सीआईए में शामिल हो जाए. रॉबर्ट ड्यूवी किसी भी हालत में जेसन को मारना चाहते हैं. और इसी भागा-दौड़ी में कहानी चल निकली जेसन बोर्न की.
फ़िल्म पूरी तरह से एक रेगुलर बोर्न सीरीज़ की फ़िल्म है. वो चाहे कैमरा हो या साउंड या कहानी का फ्लो. फ़िल्म शुरू होती है मुद्दे पे और खतम होती है मुद्दे पे. कोई लौं-लौं चौं-चौं नहीं. कोई इश्क़-मुहब्बत नहीं. न ये 'एक था टाइगर' है, न जेम्स बॉन्ड. ये है जेसन बोर्न. जो काम है, किया और खतम. फ़िल्म में सबसे मारक चीज है इसके चेज़ सीक्वेन्सेस. जब एक आदमी दुनिया की सबसे बड़ी सिक्योरिटी एजेंसी से भाग रहा होता है, ज़ाहिर है चेज़ सीक्वेंस होंगे ही. फ़िल्म में लम्बे चेज़ सीक्वेंस हैं. ऐसे कि आप अपने दांत पीसते हुए, मुट्ठी भींचे हुए पाए जायेंगे. फ़िल्म के क्लाइमेक्स में हुआ सीक्वेंस एक बेमिसाल चेज़ सीक्वेंस है. ये मौका है जब रोहित शेट्टी इस फिल्म के डायरेक्टर पॉल ग्रीनग्रास के शागिर्द बन 'गाड़ियां कैसे उड़ायें' का क्रैश कोर्स कर सकते हैं.
एक बात जो फिल्मों, कहानियों में हमेशा देखने को मिलती है. वो बात जिससे फ़िल्में 'उठाई' जाती हैं. देशभक्ति. जेसन बोर्न को कई मोड़ों पर देश और प्रेम के मोहपाश में फंसाने की कोशिश की जाती है. जिससे वो बड़ी ही बेअदबी और खूबसूरती से बाहर निकलता है. बेअदबी इसलिए क्यूंकि उस पर इन सभी चाशनी में लपेटे मिर्च के पकौड़ों का कुछ खास असर नहीं होता. और खूबसूरत इसलिए क्यूंकि इसे आज के वक़्त में जब आधी दुनिया बाकी बची हुई आधी दुनिया से जंग करने में मशगूल है, एक कहानी में देखना अच्छा लगता है. ये सब कुछ वो करता है फुल जेसन बोर्न स्टाइल में. फ़िल्म में 'पेट्रियट' शब्द एक नहीं कई बार सुनने को मिलता है. लेकिन देश की सिक्योरिटी एजेंसी को पर्दाफ़ाश और देशभक्ति के झूठे चोगे को उतारने के लिए बोर्न हर वक़्त पूरी तरह से तैयार दिखता है. हिंदी फ़िल्मों को इससे ज़रूर कुछ सीखना चाहिए. जहां सेना या सिक्योरिटी एजेंसियों पर सवाल खड़े करते ही आप पर सैकड़ों सवाल खड़े हो जाते हैं.

इसके साथ ही पूरी फ़िल्म के दौरान हमें कई ऐसी चीज़ें देखने-सुनने को मिलती हैं जो हमें अचानक ही ये अहसास दिलाती हैं कि फिल्मों का किस कदर एवोल्यूशन हो रहा है. सिर्फ उनके बनने के तरीके का ही नहीं बल्कि अन्दर पड़े मसाले का भी. ये एवोल्यूशन हर वक़्त चल रहा था लेकिन ये वो समय है जब इसे काफ़ी प्रमुखता से देखा जा सकता है. फ़िल्म में एक ऐंगल सोशल मीडिया और उससे जुड़ी खामियां, खतरे और पर्दे के पीछे रची जाती साज़िशों को दिखाता है. किस तरह से सरकारें या सुरक्षा एजेंसियां सोशल मीडिया के थ्रू हम सभी की आम ज़िन्दगी में चुप-चाप सेंध मार रही हैं, इसे यहां कायदे से दिखाया गया है.
फ़िल्म में जेसन बोर्न का रोल हमेशा की तरह मैट डेमन ने किया है. उन्हें मदद करने की कोशिश में लगी हुई निकी पार्सन्स के रोल में जूलिया स्टाइल्स हैं. सीआईए के डायरेक्टर रॉबर्ट ड्यूवी के रूप में हम एक बेहतरीन ऐक्टर टॉमी ली जोन्स को देखेंगे. और साइबर डिवीज़न की हेड बनी हैं एलिशिया विकेंडर. एक चेहरा जो दिखते ही आपको 'कहीं देखा है' का सवाल देता है, रिज़ अहमद. जिन्हें हमने देखा है द रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट
में. पूरी तरह से एक बेहतरीन ऐक्टर विन्सेंट कैसेल इस फ़िल्म में वो हिटमैन बने हैं, जो जेसन बोर्न को मारने की कसम उठाये हुए है. विन्सेंट को देख अगर कुछ याद आता है, तो वो है ओशंस थर्टीन
. वो इसलिए क्यूंकि ओशंस सीरीज़ भी लास वेगस के इर्द-गिर्द घूमती रहती है और जेसन बोर्न भी किन्हीं वजहों से लॉस वेगस ही जा पहुंचता है. वहीं उसका पीछे करते हुए पहुंचते हैं विन्सेंट.

Riz Ahmad, Julia Stiles, Matt Demon, Vincent Cassel
कुल मिलाकर तापमान का हाल लिया जाए तो जेसन बोर्न एक दिमाग लगाने वाली, बिना किसी सजावट और बकैती के चलने वाली एक अच्छी ऐक्शन फ़िल्म है. इस फ़िल्म को बोर्न की लेगसी जानने समझने वाले खूब पसंद करेंगे और साथ ही बोर्न लेगसी में मैट डेमन को मिस करने वाले लोग भी.
https://www.youtube.com/watch?v=F4gJsKZvqE4