''फिल्में बॉयकॉट करके हम गरीब परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं''
''आप फिल्म देखिए. फिर उसकी आलोचना करिए. मगर फिल्म की रिलीज़ से पहले उसे देखे बिना आप कैसे उसकी आलोचना कर सकते हैं?'' - दिग्गज फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर वारंगल श्रीनु.
साउथ इंडिया के मशहूर फिल्म डिस्ट्रिब्यूटर हैं वारंगल श्रीनु. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि श्रीनु ने फ्लॉप होती फिल्मों की वजह से पिछले एक साल में 100 करोड़ रुपए का नुकसान झेला. इसमें 'लाइगर' से हुए नुकसान भी शामिल हैं. मगर हालिया इंटरव्यू में श्रीनु ने इस सभी खबरों का खंडन किया है. साथ ही उन्होंने फिल्मों को बॉयकॉट करने की मांग करने वालों से भी एक बड़ी गंभीर बात कही है. श्रीनु का कहना है कि लोग एक्टर्स को बैन कर देते हैं. उस बैन की वजह से फिल्में पैसे नहीं कमा पातीं. स्टार्स तो आगे बढ़ जाते हैं. मगर फिल्म पर काम करने वाले गरीब लोगों के परिवार पर इसका असर पड़ता है.
वारंगल श्रीनु, 'कबाली', 'iस्मार्ट शंकर', 'नांधी' और 'क्रैक' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में डिस्ट्रिब्यूट कर चुके हैं. उन्होंने पिछले एक साल में 100 करोड़ का नुकसान उठाने की खबरों पर बात करते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा-
''नहीं, मैंने एक साल में 100 करोड़ रुपए का नुकसान तो नहीं उठाया. मगर मैंने निसंदेह बहुत पैसे खोए हैं. जैसे मैंने ‘लाइगर’ पर अपनी इनवेस्टमेंट का 65 फीसदी पैसा गंवा दिया है.''
'लाइगर' के पिटने की दो मुख्य वजहें बताई जा रही हैं. पहली, फिल्म को बॉयकॉट करने की मांग. और दूसरी, फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक्टर विजय देवरकोंडा का 'ओवर-कॉन्फिडेंस'. इस विषय पर विस्तार से बात करते हुए श्रीनु ने कहा-
''मुझे नहीं पता कि वो (विजय) ओवर कॉन्फिडेंट थे या नहीं. मगर मेरा ये मानना है कि अगर वो ओवर-कॉन्फिडेंट थे भी, तो एक अच्छी फिल्म को नहीं देखने का क्या मतलब है? क्या हमें ये अहसास हो रहा है कि अपने पूर्वाग्रहों के आधार पर एक्टर्स और फिल्ममेकर्स को बैन करने के चक्कर में हम गरीब क्रू सदस्यों के गरीब परिवारों को बर्बाद कर रहे हैं? इससे फिल्में बननी कम हो जाएंगी. और इससे वो परिवार परेशानी में पड़ जाएंगे, जो रोजी-रोटी के लिए फिल्मों पर निर्भर हैं.
फिल्म इंडस्ट्री बहुत बुरे दौर से गुज़र रही है. और जो भी सोशल मीडिया यूज़र इस गैर-ज़रूरी बैन कल्चर के सदस्य हैं, वो हावी हो गए हैं. हमें उन्हें नज़रअंदाज़ करने की ज़रूरत है. ऐसा लगता है रोज़-रोज़ हमारे खिलाफ सुनियोजित तरीके से अभियान चलाया जा रहा है. जो कि बिल्कुल अनावश्यक है. आप फिल्म देखिए. अगर आपको पसंद नहीं आती, तो उनकी आलोचना करिए. मगर फिल्म की रिलीज़ से पहले उसे देखे बिना आप कैसे उसकी आलोचना कर सकते हैं?''
इसके बाद श्रीनु से पूछा गया कि क्या उन्हें 'लाइगर' पसंद आई. श्रीनु ने कहा-
''हां. मुझे फिल्म पसंद आई. बस आखिर में क्लाइमैक्स के 7-10 मिनट ठीक नहीं थे. मेरे कई दोस्तों ने अपने परिवारों के साथ ये फिल्म देखी और उनकी भी यही राय थी.''
श्रीनु को भले 'लाइगर' पसंद आई हो, मगर फिल्म समीक्षकों और दर्शकों ने विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे स्टारर इस फिल्म को खारिज कर दिया. इसे आउटडेटेड और घिसी हुई फिल्म बताया गया. पुरी जगन्नाथ डायरेक्टेड इस फिल्म को हिंदी और तेलुगु में शूट किया गया था. तमिल, मलयालम और कन्नड़ा भाषाओं में डब करके रिलीज़ किया गया. 90 करोड़ रुपए के बजट में बनी ये फिल्म 40 करोड़ रुपए की लाइफटाइम कलेक्शन भी नहीं कर पाई. इसे 'लाल सिंह चड्ढा' और 'आचार्य' के लेवल का बॉक्स ऑफिस डिज़ास्टर बताया जा रहा है.
वीडियो देखें: फिल्म रिव्यू- लाइगर