The Lallantop
Advertisement

कोरोना: लॉकडाउन के बीच 'लक्ष्मण रेखा' पार करने से पहले धारा 188 समझना जरूरी है

COVID-19 के खतरे के बीच पूरे देश में सख्त कानून लागू है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो: पीटीआई
pic
आदित्य
25 मार्च 2020 (Updated: 24 मार्च 2020, 03:27 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
कोरोना वायरस से बचाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अपील पर 22 मार्च को 'जनता कर्फ्यू' लगाया गया. इसके बाद कई प्रदेशों ने इस संक्रमण से बचने के लिए पूरी तरह से लॉकडाउन कर दिया. लेकिन इस सबके बावजूद लोग घरों से बाहर निकलते रहे. न्यूज़ एजेंसी IANS के मुताबिक़, लॉकडाउन के पहले दिन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पुलिस ने 1012 मामले दर्ज किए. इनमें से ज्यादातर मामले धारा-188 और दिल्ली पुलिस एक्ट के तहत दर्ज किए गए. ऐसे में इस कानून को ठीक से समझना जरूरी हो जाता है. कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जारी किए गए महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत आदेश जारी किए गए हैं. इसके तहत नियमों को नहीं मानने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अनुसार सजा दी जाती है. सजा है- छह महीने तक की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों. महामारी ऐक्ट, 1897 को पहले भी समय-समय पर लागू किया गया है. स्वाइन फ्लू, डेंगू और हैजा जैसी बीमारियों से निपटने के लिए. भारतीय दंड संहिता की धारा 188 क्या है? महामारी अधिनियम, 1897 का सेक्शन-3 जुर्माने के बारे में है. इसमें कहा गया है कि महामारी के संबंध में सरकारी आदेश न मानना अपराध होगा. इस अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 188 के तहत सज़ा मिल सकती है. धारा 188 में IPC के चैप्टर 10 के तहत किसी आर्डर को न मानने वाले को सजा देने का प्रावधान किया गया है. सजा को दो भागों में बांटकर समझ सकते हैं. क्या सजा हो सकती है? 1- अगर कोई सरकारी ऑर्डर में रुकावट, खतरा या क्षति पहुंचाए, तो उसे जेल भेजा जा सकता है. 200 रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ कारावास की सजा भी हो सकती है. 2- अगर कोई सरकारी ऑर्डर के दरम्यान इंसान की जान, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है या दंगा-फसाद करता है, तो उसे तुरंत जेल भेजा जा सकता है. ऐसे में उसे छह महीने तक की जेल हो सकती है. 1000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. या जुर्माने के साथ जेल की सजा भी हो सकती है. इसमें यह नहीं देखा जाता है कि आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा था या नहीं. सजा के लिए केवल यही काफी होता है कि उसने नियमों का उल्लंघन किया है. सरकार ने 188 क्यों लगाया है? कोरोना वायरस का संक्रमण इंसानों से इंसानों में तेजी से फैल रहा है. सबसे पहले चीन के वुहान में इस वायरस का संक्रमण देखा गया, जो अब दुनिया के 177 से अधिक देशों में फ़ैल गया है. लाखों लोग इस वायरस से संक्रमित हैं. दुनिया के कई क्षेत्रों में कोरोना का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भी देखा गया है. इस प्रकोप से मुकाबला करने के लिए पूरे भारत में लॉकडाउन है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए कहा गया है. ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, स्पोर्ट्स इवेंट, शादी समारोह, सभी रद्द करने के ऑर्डर हैं. 11 मार्च को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने सरकारों से कोरोना से बचाव के लिए कारगर उपाय करने को कहा था. भारत में कोरोना का क्या हाल है? कोरोना वायरस के देशभर में 560 एक्टिव केस हैं. 40 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज कर दिए गए हैं. 11 लोगों की मौत हो चुकी है. दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई है.

'महामारी ऐक्ट, 1897' के बारे में विस्तार से यहां पढ़ सकते हैं


विडियो- कोरोना वायरस: सरकार ने महामारी अधिनियम, 1897 लगाने की बात क्यों कही?

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement