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चित्रांगदा सिंह की 15 क्विक बातेंः बाल्टी में किताबें लेकर, 40 तेल लगी चोटियां बनाकर कॉलेज जाती थीं

आज उनके बर्थडे पर पढ़ें वो बातें जो आप जानते हैं और वो जो आप नहीं जानते.

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एक फोटोशूट में चित्रांगदा. दूसरी तस्वीर उनके पहले प्रोजेक्ट की जो उन्होंने गुलज़ार के साथ किया. तीसरी में नजर आ रहे हैं उनके पिता और मां.
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गजेंद्र
30 अगस्त 2018 (Updated: 30 अगस्त 2018, 03:50 PM IST) कॉमेंट्स
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1. जोधपुर में चित्रांगदा जन्मीं. 30 अगस्त 1976 को. उनके पिता कर्नल निरंजन सिंह चाहल वहां पोस्टेड थे. आर्मी के माहौल में पली-बढ़ीं. परिवार में भाई दिग्विजय सिंह हैं जो जाने-माने गोल्फर है. इसके अलावा एक्ट्रेस मेघना मलिक उनकी कज़िन सिस्टर हैं जो टीवी शो 'ना आना इस देस लाडो' में अम्माजी के अपने रोल से जानी जाती हैं.
2. चित्रांगदा की स्कूलिंग मेरठ से हुई. कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली में की. वहां के लेडी इरविन कॉलेज से उन्होंने होम साइंस में (फूड एंड न्यूट्रिशन) ग्रेजुएशन किया. इसके अलावा उन्होंने मॉडलिंग और एक्टिंग भी की लेकिन दोनों में उन्होंने किसी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी, न ही इसमें करियर बनाने की उनकी कोई योजना थी.
वे और उनकी मां.
वे और उनकी मां.

3. मॉडलिंग कॉलेज टाइम से करने लगीं. उसकी शुरुआत रैगिंग से हुई. वे फर्स्ट ईयर में थीं. हॉस्टल में सीनियर्स ने कहा रोज़ उल्टी सलवार कमीज पहननी है. चालीस चोटियां बनानी हैं जिनसे तेल चूता हो. और अपनी बुक्स बाल्टी में डालकर हॉस्टल से कॉलेज लेकर जाना है. एक महीने तक उन्हें ऐसा करना था और चित्रांगदा ने ये सब किया. रैगिंग के दौरान एक दिन ऑडिटोरियम में उनको किसी ने बुलाया. सीनियर्स को लगता था कि ये बड़ा बनती है और बड़ा एटि्टयूड है इसमें. उनको बोला गया कि तुम अगली हो. ये बाल्टी लेकर जाओ स्टेज पर और रैंप वॉक करो. पूरा ऑडिटोरियम भरा हुआ था. चित्रांगदा ने भी सोच लिया कि चाहे जो हो अब करना है तो पूरा मॉडल के जैसे. उन्होंने एकदम पेशेवर मॉडल की तरह लंबे कदम भरते हुए वॉक किया, पोज़ दिए. वो इतना अच्छा था कि एक सीनियर ने कहा इसे कॉलेज की फैशन शो टीम में डाल दो, वो बहुत अच्छी है. ऐसे वो उस टीम में आ गईं. फिर किसी ने कहा कि अपना फोटोशूट करवाकर पोर्टफोलियो बनवा लो. एक्स्ट्रा पैसे, पॉकेटमनी के लिए वो वहां से मॉडलिंग करने लगीं.
4. उनको सबसे पहला ब्रेक गुलज़ार ने दिया था. गुलज़ार के गीतों के वीडियो 'सनसेट पॉइंट' में चित्रांगदा थीं. संजय सूरी उनके साथ लीड थे. गुलज़ार ने ही इसे डायरेक्ट किया था. ये रोल उन्हें यूं मिला कि जब वे दिल्ली में मॉडलिंग करने लगीं तो उन्होंने ड्रीमफ्लावर टैल्क का एड किया था. जब गुलज़ार अपने वीडियो एल्बम के लिए फीमेल लीड ढूंढ़ रहे थे तो किसी ने चित्रांगदा का वो एड उनके सामने ले जाकर रख दिया. उन्होंने देखकर कहा कि ये लड़की कौन है, इसका ऑडिशन दिखाओ. उन्हें दिखाया गया और गुलजार ने उनको फाइनल कर लिया.

5. फिर वे डीनो मोरिया के साथ एक म्यूजिक वीडियो में भी दिखीं. वो वीडियो अभिजीत के गाने - 'कोई लौटा दे वो प्यारे प्यारे दिन' पर बना था.
6. उन्होंने 2003 में राइटर-डायरेक्टर सुधीर मिश्रा की फिल्म 'हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी' से अपना फिल्म डेब्यू किया. उस फिल्म में स्वानंद किरकिरे सुधीर के असिस्टेंट थे, उन्होंने ऑडिशन लिया था. सुधीर को चित्रांगदा का वो ऑडिशन बिलकुल पसंद नहीं आया था. उनका कहना था - "ये लड़की हंसती ही जा रही है. मॉडल है. इससे कुछ होगा नहीं." लेकिन स्वानंद ने उन्हें कहा कि "नहीं, नहीं. इस लड़की में एक बात है. मुझे एक मौका और दो." तो स्वानंद ने उन्हें दोबारा बुलाया. चित्रांगदा के साथ बैठे. उन्हें कर-कर के दिखाया कि लाइन्स ऐसे बोलो. फिर कैमरे के साथ खड़ा किया. दूसरा ऑडिशन लिया. वो सुधीर को ठीक लगा. फिर तीसरे और फाइनल ऑडिशन के लिए उन्हें मुंबई बुलाया गया. वो ऑडिशन सुधीर मिश्रा ने खुद लिया. उसमें वो सीन किया गया जहां गीता पुलिसवालों पर चिल्लाती है. सुधीर इसमें पुलिसवाला बने. चित्रांगदा पहले से ही नर्वस थी. ऊपर से सुधीर ने जब पूरी तरह लाउड होकर अपना डायलॉग बोला तो वो रोने लगीं. लेकिन फिर उसी पुश की वजह से उन्होंने गीता की तरह अपने संवाद बोल दिए. आखिर वो फिल्म उन्हें मिली.
'हज़ारों..' के उस दृश्य में चित्रांगदा.
'हज़ारों..' के उस दृश्य में चित्रांगदा.

7. उसके बाद सुधीर के साथ चित्रांगदा ने 2011 में 'ये साली जिंदगी' और 2013 में 'इनकार' (वर्कप्लेस में सेक्शुअल हैरसमेंट पर बेस्ड) में भी काम किया. इनके अलावा सुधीर की शॉर्ट फिल्म 'किर्चियां' में भी उन्होंने एक प्रॉस्टिट्यूट का रोल किया.
8. अपने फिल्म डेब्यू से दो साल पहले 2001 में वे शादी कर चुकी थीं. गोल्फर ज्योति रंधावा से. वो ज्योति को तब से जानती थीं जब 8वीं क्लास में पढ़ती थीं और वो स्कूल के आखिरी साल में थे. दोनों के पिता आर्मी में शायद साथ में थे. उनके एक बेटा है - ज़ोरावर.
9. उनकी अन्य फिल्मों में डायरेक्टर रोहित धवन की 'देसी बॉयज़' (2011), जॉन अब्राहम के साथ 'आई मी और मैं' (2013) और तिग्मांशु धूलिया की 'साहब बीवी और गैंगस्टर-3' (2018) भी हैं.
10. तीन फिल्मों में उन्होंने स्पेशल सॉन्ग भी किए हैं. 'गब्बर इज़ बैक' (2015) में 'कुंडी मत खड़काओ राजा सीधे अंदर आओ राजा'. 'जोकर' (2012) में 'काफिराना है नीयत मेरी.' सूर्या और मनोज बाजपेयी अभिनीत तमिल फिल्म 'अंजान' (2014) में 'सिरिपु.' चित्रांगदा का कहना है कि वो एक आर्टिस्ट हैं और हर चीज आज़माना चाहती हैं. हैलेन ने भी ऐसे गाने किए थे. हॉट गर्ल बनना, सिंपल गर्ल बनना, हाउसवाइफ बनना ये सब एक एक्टर का काम है.

11. ऋतिक रोशन के साथ 'कृष-3' भी उनको ऑफर की गई थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया. उनका कहना था कि लंबा शेड्यूल होने की वजह से वे डेट्स नहीं दे सकती थीं.
12. उनकी आने वाली फिल्मों में सैफ अली खान के साथ फिल्म 'बाज़ार' है.
13. इस साल वे 'सूरमा' फिल्म से प्रोड्यूसर बन गई हैं. उन्होंने इसका सह-निर्माण किया है. हॉकी प्लेयर संदीप सिंह की इस कहानी को परदे पर लाने के बारे में सोचने वाली वे थीं और दीपक सिंह थे. तीन-चार साल पहले संदीप सिंह से वे मिलीं तब उनकी कहानी चित्रांगदा ने शॉर्ट में लिखी. इस प्रोजेक्ट पर कुछ करना चाहती थीं. एक्टिंग, प्रोडक्शन, कुछ भी. बताया जाता है 2014 में उन्होंने संदीप सिंह से इस बायोपिक को बनाने के राइट्स खरीदे. जुलाई में ये फिल्म लोगों के बीच पहुंची. इसमें दिलजीत दोसांझ और तापसी पन्नू ने लीड रोल किए.
संदीप सिंह के साथ चित्रांगदा, और फिल्म के एक दृश्य में तापसी पन्नू - दिलजीत दोसांझ.
संदीप सिंह के साथ चित्रांगदा, और फिल्म के एक दृश्य में तापसी पन्नू - दिलजीत दोसांझ.

14. वे एक सुलझी हुईं, इंडिपेंडेंट, सक्षम महिला हैं, बावजूद इसके फिल्म मीडिया में उनको संबोधित करते हुए "thinking man's sex symbol" और "males आपको बहुत लाइक करते हैं" जैसे वाक्य यूज़ किए गए हैं. इन्हें लेकर चित्रांगदा ने कहा है कि इन टाइटल्स के बजाय अगर उन्हें कोई रोचक इंसान कहे या ये कहे कि उनसे बात करना अच्छा लगता है तो ज्यादा खुशी होगी. उनका कहना है - "सेक्स सिंबल जैसी टर्म इसलिए भी बन जाती है क्योंकि फिल्म एक विजुअल मीडियम यानी देखने का माध्यम है. इसमें आप जो भी किरदार करते हैं, दर्शक उसके अलग-अलग हिस्से, अलग-अलग इमेज अपने साथ ले जाते हैं."
15. उन्हें अपनी लाइफ की सबसे बढ़िया प्रशंसा वो लगती है जो डायरेक्टर केतन मेहता ने उन्हें दी थी. हुआ ये कि चित्रांगदा की पहली फिल्म 'हज़ारों ख्वाहिशें..' की स्क्रीनिंग हुई थी. उसकी पार्टी में काफी लोग आए हुए थे. चित्रांगदा केतन मेहता को जानती नहीं थीं लेकिन उनकी फिल्मों और स्मिता पाटिल के साथ किए काम से परिचित थीं. उस इवेंट में केतन दूर से खड़े होकर उन्हें देख रहे थे. चित्रांगदा को नहीं पता था कि वो कौन हैं और वो जब भी देखती केतन उनकी ओर देख रहे होते थे. कुछ देर बात उन्होंने उनकी ओर चलना शुरू किया. केतन आए और अपना परिचय दिए बगैर आंख में आंख डालकर कहा सिर्फ तीन शब्द कहे - "you are rare / आप दुर्लभ हैं." और वो वहां से चले गए. चित्रांगदा कहती हैं कि आज तक इससे बेहतर तारीफ उन्हें नहीं मिली.

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