अपनी फिल्म की स्क्रिनिंग के वक्त हिंदी डिक्शनरी लेकर सेंसर बोर्ड के पास पहुंचे थे अनुराग कश्यप
अनुराग कश्यप ने कहा, CBFC, महाराष्ट्र में बेस्ड है. वहां के लोग हिंदी नहीं जानते, इसलिए शब्दों को सेंसर करते रहते हैं.
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Anurag Kashyap और CBFC के बीच हमेशा ठनी रहती है. अनुराग अपने बयानों में अक्सर सेंसर बोर्ड को लेकर बातें करते हैं. सेंसर बोर्ड जिस तरह से फिल्मों को सेंसर करता है, उनमें बदलाव करवाता है, अनुराग उससे खुश नहीं दिखते. तभी अपनी फिल्मों या CBFC के पास अटकी पड़ी फिल्मों को लेकर वो खुलकर चर्चा करते हैं. रिसेंटली अनुराग ने ऐसी ही बात की है. कहा है कि अपनी पहली फिल्म की स्क्रिनिंग के टाइम वो हिंदी डिक्शनरी साथ लेकर सेंसर बोर्ड के पास गए थे.
वैसे, अनुराग कश्यप और सेंसर बोर्ड से उनकी दुश्मनी उतनी ही पुरानी है, जितना उनका करियर. अनुराग की साल 2003 में आई पहली फिल्म 'पांच' में सेंसर बोर्ड ने बहुत सारे बदलाव करवाए थे. वॉइलेंस, ड्रग्स, अभद्र भाषा के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी. हालांकि फिल्म को अंत में हरी झंडी मिल गई थी. मगर किन्हीं कारणों से ये पिक्चर सिनेमाघरों तक पहुंच नहीं पाई. फिर अनुराग का टकराव 'ब्लैक फ्राइडे' और 'बॉम्बे वेलवेट' जैसी फिल्मों के लिए भी सेंसर बोर्ड से होता रहा.
अब मलयालम फिल्म Janaki v/s State of Kerala controversy पर चल रहे विवाद को लेकर अनुराग ने बात की है. इस फिल्म को रिलीज़ करने से पहले सेंसर बोर्ड ने इसमें भी बहुत सारे बदलाव की मांग की है. बोर्ड ने मेकर्स से फिल्म के नाम, कैरेक्टर के नाम, जानकी को बदलने के लिए कहा गया है. क्योंकि ये नाम मां सीता से जुड़ा हुआ है. इसी पर बात करते हुए अनुराग ने The Juggernaut को बताया,
''अगर आप अपनी राइटिंग में, अपने कैरेक्टर्स के नाम पौराणिक पात्रों के नाम से नहीं रख सकते, तो ये बहुत अजीब बात है. फिर आप कहते हैं कि किसी जीवित व्यक्ति के नाम के ऊपर भी कैरेक्टर्स के नाम नहीं रखे जा सकते. तो क्या बचा? हम अपने पात्रों को फिर क्या कहें? ABC?, XYZ? या 1234? इसी वजह से बहुत सी फिल्में बन ही नहीं पाती हैं जो ऐसे मुद्दों पर बननी चाहिए.''
अनुराग ने आगे कहा,
''यही एक चीज़ आपको आगे नहीं बढ़ने देती. ऐसा तब होता है जब आप अपनी ऑडियंस को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते. वयस्क होना क्या होता है? वयस्क वही होते हैं जो खुद के लिए सोच सकें. मगर आप उन्हें सोचने ही नहीं देना चाहते. आप उन्हें नहीं सोचने देना चाहते कि क्या सही है क्या गलत. उस चीज़ को आप सोच रहे हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स सोच रहे हैं. बस जिन्हें सोचना चाहिए, वो नहीं सोच रहे हैं.''
अनुराग ने अपनी फिल्म 'पांच' की स्क्रिनिंग के वक्त का किस्सा सुनाया. जब सेंसर बोर्ड उनकी इस फिल्म को देख रहा था. अनुराग ने एक शब्द का ज़िक्र किया, चू@#. उन्होंने कहा कि इस शब्द का मतलब बेवकूफ होता है. इससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं. मगर चूंकी CBFC मुंबई में बेस्ड है और वहां के लोगों को हिंदी नहीं आती इसलिए वो शब्दों का कुछ और ही मतलब निकालते हैं. अनुराग ने कहा,
''मैं अपनी पहली फिल्म के वक्त पर अपने साथ हिंदी शब्दकोष लेकर गया था. अब वो तो लोग फोन तक अंदर ले जाना अलाउ नहीं करते.''
ख़ैर, अनुराग ने बीते दिनों प्रतीक गांधी की फिल्म 'फुले' और सिद्धांत चतुर्वेदी की फिल्म 'धड़क 2' को लेकर सेंसर बोर्ड से नाराज़गी जताई थी. लंबा-चौड़ा पोस्ट भी किया था. हालांकि बाद में अनुराग का विरोध हुआ और उनको माफी भी मांगनी पड़ी थी.
वीडियो: अनुराग कश्यप के 'बॉलीवुड टॉक्सिक' वाले बयान पर, 'छावा' डायरेक्टर ने जमकर सुना दिया