बॉलीवुड किस्से: जब आनंद बक्शी ने कहा- 'सिगरेट-शराब ने नहीं, मेरे गानों ने मेरी जान ले ली
1930 में रावलपिंडी में जन्मे आनंद बख्शी को पिंडी से बड़ा प्रेम था.
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जादूगर. शब्दों की जादूगरी जिसका फ़न है. जिसके गीत नाव की तरह मन में तैरते हैं. जिसकी कलम से गानों का झरना फूटा करता था. जिसने एक बार इस झरने का पानी पिया, वो बार-बार, कई बार इसकी ओर लौटा. उसने अपनी कलम से ऐसी आग लगायी जो सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी की कलम से बुझाई सकती है. फ़िल्म इंडस्ट्री भी उसके बारे में बेशक़ यही राय रखती है. जहां आनंद बख्शी न हों वहां कैसे गीत! कैसा संगीत! कैसे सुपरस्टार! उन्होंने जिसको ज़मीन से उठाया सीधे आसमान पर बिठा दिया. पर ख़ुद हमेशा ज़मीन पर रहे. देखें वीडियो.