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अंतिम संस्कार में लॉजिक ढूंढ रहीं रश्मिका की 'गुडबाय' के ट्रेलर में अमिताभ पूरा अटेंशन ले गए

बतौर बॉलीवुड डेब्यू फिल्म, जो स्पार्क रश्मिका के किरदार में होना चाहिए था वो कहीं मिसिंग लगता है.

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Amitabh Bacchan
अमिताभ बच्चन और रश्मिका मंदाना की ये फिल्म 07 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है.
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मेघना
6 सितंबर 2022 (Updated: 7 सितंबर 2022, 10:10 AM IST) कॉमेंट्स
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मौत. दो अक्षरों का ये शब्द बहुत डरावना होता है. किसी की मौत के बाद पूरे घर में मातम पसर जाता है. घर में कई तरह के रिवाज़ फॉलो किए जाते हैं. अंतिम यात्रा से पहले कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं. कुछ लोग इसे परंपरा कहते हैं, तो कुछ लोगों के लिए ये बिना किसी लॉजिक के किया जाने वाला काम होता है. मौत के बाद एक परिवार का माहौल कैसा होता है, इसी पर एक फिल्म आ रही है. नाम है ‘गुडबाय’. 

फिल्म में अमिताभ बच्चन हैं. 'पुष्पा' वाली श्रीवल्ली यानी रश्मिका मंदाना इसी मूवी से बॉलीवुड डेब्यू करने जा रही हैं. फैमिली ट्रेडिशन और लॉजिक्स के बीच के द्वंद को दिखाता ये ट्रेलर मज़ाक-मज़ाक में सीरियस बातें कर जाता है.

पहले आप ये ट्रेलर देखिए- 

फिल्म में रश्मिका, अमिताभ बच्चन की बेटी बनी हैं. जो नौकरी करने दूसरे शहर जाना चाहती हैं. अमिताभ उन्हें घर पर ही रखना चाहते है. रश्मिका के घर से जाने के बाद उनकी मां नीना गुप्ता का निधन हो जाता है. मौत के बाद उनके घर में धीरे-धीरे करके परिवार के लोग इकट्ठा होने लगते हैं. मां की मौत के बाद बेटी और पिता के बीच अंतिम संस्कार को लेकर आर्ग्युमेंट शुरू हो जाता है.

बेटी को दकियानुसी से लगते हैं सारे रिवाज़

रश्मिका को लगता है कि ये सभी परंपराएं सिर्फ पुरानी दकियानुसी हैं. इसमें कोई भी लॉजिक नहीं है. रश्मिका चाहती है कि उनकी मां का अंतिम संस्कार वैसे ही किया जाए, जैसा वो चाहती थीं. लेकिन पिता ऐसा नहीं चाहते. वो सालों से चले आ रहे नियमों के हिसाब से ही सारी रस्में निभाना चाहते हैं.

‘राम प्रसाद की तेरहवीं’ की आएगी याद

साल 2019 में सीमा पाहवा की एक फिल्म आई थी. नाम था ‘राम प्रसाद की तेरहवीं’. नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध हैं. ‘गुडबाय’ का ट्रेलर देखकर कहीं ना कहीं इसी फिल्म की याद आ जाएगी. कहानी अलग हो सकती है. नो डाउट, अमिताभ बच्चन का काम आउटस्टैंडिंग है. बच्चन साहब जिस तरह डायलॉग डिलीवर करते हैं, पंचेस मारते हैं, वो कमाल के है. उनके बिना ट्रेलर बिल्कुल फीका होता. जहां तक रश्मिका मंदाना की बात है, उनके किरदार में स्पार्क कहीं मिसिंग लगता है.

डायरेक्शन में विकास बहल का टच

विकास बहल के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म के कुछ सीन्स बहुत मज़बूत है. एक सीन में रश्मिका बिल्कुल चुपचाप बैठी हैं. उनके सामने उनकी मां का शव पड़ा है. जिसके पैर को बांधा जा रहा है, नाक में रुई लगाई जा रही है. 

गुडबाय के एक सीन में रश्मिका.

फिर एक सीन में पूरे घरवाले पार्थिव शरीर को लिए घूम रहे हैं. दक्षिण दिशा की पहचान की जा रही है. ताकि उस तरफ मिट्टी को रखा जा सके. 

ट्रेलर में जिस ह्यूमर के साथ इन सीन्स को दिखाया गया है उसमें हंसी ज़रूर आती है. लेकिन रश्मिका की ’लॉजिक कहां है' वाली बातों को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता.

ट्रेलर के कुछ डायलॉग्स भी असरदार हैं. यहां राइटर विकास बहल के काम की तारीफ करनी चाहिए. जो अपने लिखे डायलॉग्स से आज के परिवेश को पर्दे पर उतारना चाहते हैं. शुरुआती सीन में अमिताभ, रश्मिका पर चिल्लाते हैं. कहते हैं-

दो दिन से उसका फोन नहीं उठाया इसने. रात भर फोन करती रही तुम्हें. फिर कहां गया था तुम्हारा लॉजिक.

फिर एक सीन में वो कहते हैं

अमेरिकी हो गए हो तुम. वहां होता होगा ये सब. सुबह मां की अर्थी का योग और रात में सम्भोग.

आज के समय को ध्यान में रखते हुए फिल्म की राइटिंग की गई है. एक सीन में वीडियो कॉल से अंतिम संस्कार दिखाया जा रहा है. फिल्म में कुछ देर के लिए सुनील ग्रोवर भी हैं. अमित त्रिवेदी का म्यूज़िक फिल्म की स्टोरीलाइन को बांधता है. ‘आरआरआर’, ‘केजीएफ’, ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी तगड़ी वीएफएक्स वाली फिल्मों के बीच रिश्तों को बताने वाली हल्की-फुल्की फिल्म लोगों को कैसी लगेगी, ये तो 07 अक्टूबर को ही पता चलेगा. जब फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज़ होगी.

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